इस्लामाबाद: पाकिस्तान की सेना ने पहली बार सार्वजनिक रूप से भारत के खिलाफ 1999 के कारगिल युद्ध में अपनी भागीदारी स्वीकार की है। पाकिस्तान के रक्षा दिवस के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए पाक सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने कारगिल युद्ध सहित भारत के साथ हुई दूसरी लड़ाईयों में मारे गए पाकिस्तानी सैनिकों को सम्मानित किया। उन्होंने अपने भाषण में कारगिल का भी जिक्र किया। कारगिल युद्ध एक ऐसा विषय रहा है जिस पर पिछले दो दशकों से अधिक समय से पाकिस्तान अपने आधिकारिक बयानों में बहुत सावधानी बरतता रहा है।

कुल मिलाकर ये एक ऐसा सच है, जिसे जानती तो पूरी दुनिया है लेकिन पाकिस्तानी सेना हमेशा से इस पर चुप्पी साधे रही है। हालांकि, शुक्रवार को पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने सीधे-सीधे कारगिल में मारे गए अपने सैनिकों को भी याद किया। मुनीर ने कहा, 'पाकिस्तानी समुदाय बहादुरों का समुदाय है जो स्वतंत्रता के महत्व को समझता है और इसके लिए कीमत चुकाना भी जानता है।' उन्होंने आगे कहा, 'चाहे 1948, 1965, 1971 या 1999 का कारगिल युद्ध, हजारों सैनिकों ने देश और इस्लाम के लिए अपनी जान को कुर्बान किया।'

पाक आर्मी चीफ का यह बयान पाकिस्तान के लंबे समय से चले आ रहे आधिकारिक स्टैंड और कहानी से हटकर है। पाकिस्तान आधिकारिक तौर पर कारगिल के युद्ध को कश्मीरी आतंकवादियों जिन्हें वो 'मुजाहिदीन' कहता हैं, उससे जोड़ता रहा है। पाकिस्तान यही कहता रहा है कि कारगिल की जंग को 'मुजाहिदीनों' द्वारा अंजाम दिया गया।
बहरहाल, पाकिस्तानी जनरल की मौजूदा टिप्पणी से सीधे तौर पर कारगिल में पाकिस्तानी सैनिकों की मौत की बात को स्वीकार किया गया है।

कारगिल में मिली थी पाकिस्तान को करारी हार

कारगिल की जंग में हालांकि पाकिस्तान को अपमानजनक हार मिली थी। अमेरिका के तब राष्ट्रपति रहे बिल क्लिंटन ने भी तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को कारगिल सेक्टर से सेना के सैनिकों की वापसी का आदेश देने के लिए मजबूर किया था। भारत ने शुरू से लगातार इस बात पर जोर दिया कि यह संघर्ष पाकिस्तानी सेना की भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ से शुरू हुई।

शव लेने से इनकार

पाकिस्तान ने तब अपने सैनिकों के शव भी लेने से इनकार कर दिए थे, ताकि भेद न खुले। ऐसे में भारत ने पूरे सैन्य सम्मान के साथ इन पाकिस्तानी सैनिकों का अंतिम संस्कार किया था। हालांकि, आतंकवादियों की आड़ में कारगिल में पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ का सच बाद में सबूतों के साथ सामने आ गया था जब जनरल मुशर्रफ (बीजिंग यात्रा के दौरान) और उनके चीफ ऑफ जनरल स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अजीज के बीच इंटरसेप्ट की गई बातचीत दुनिया ने सुनी।

कारगिल की जंग के समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ ने बाद में दावा किया था कि उन्हें पाकिस्तानी सेना के इस ऑपरेशन की कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने खुले तौर पर उस ऑपरेशन की आलोचना भी की थी। पूर्व पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) शाहिद अजीज ने रिटायर होने के बाद कारगिल में पाकिस्तानी सैनिकों की भूमिका को स्वीकार किया था।

अजीज ने इस पूरे ऑपरेशन को 'फोर-मैन शो' बताया था जिसके बारे में केवल जनरल परवेज मुशर्रफ और कुछ अन्य शीर्ष कमांडरों को ही पता था। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ 1999 के लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नवाज शरीफ ने बाद में स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने कारगिल के ऑपरेशन से इस समझौते का उल्लंघन किया था। कारगिल की लड़ाई के कुछ महीने बाद ही जनरल परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान में तख्तापलट करते हुए सैन्य शासन लागू कर दिया था।