पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में आत्मघाती हमले में 18 सैनिकों की मौत, TTP ने ली जिम्मेदारी

तहरीक तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने खैबर पख्तूनख्वा में दो हमले किए जिसमें कम से कम 18 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। इन हमलों के संबंध में सरकार या सेना की मीडिया शाखा आईएसपीआर की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। खुफिया अधिकारियों के अनुसार, हताहतों की संख्या अधिक होने की संभावना है क्योंकि कई घायलों की हालत गंभीर है।

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Pakistan Security Personnel at Incident Site After Five Chinese Nationals Killed In A Suicide Attack In Khyber Pakhtunkhwa (File Photo- IANS)

खैबर पख्तूनख्वा में एक आतंकी हमले के बाद जायजा लेते पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारी (फाइल फोटो- IANS)

इस्लामाबाद: उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान में तहरीक तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) द्वारा किए गए एक संदिग्ध आत्मघाती हमले में मंगलवार शाम 10 सैनिक मारे गए। इससे पहले एक और हमले में अफगानिस्तान की सीमा से लगे क्षेत्र में कम से कम आठ सैनिक मारे गए थे। इस तरह इन दो हमलों में 18 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।

हताहतों की संख्या छुपाने की कोशिश!

पाकिस्तान में पिछले कुछ हफ्तों से एक नया चलन देखा जा रहा है कि जिन इलाकों में सुरक्षाकर्मियों के हताहत होने की खबर आती है, वहां इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी जाती हैं। आधिकारिक शब्द आमतौर पर यह होता है कि हमले को अंजाम देने वालों के संचार नेटवर्क को बाधित करने के लिए कार्रवाई की जाती है। वहीं, नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर अधिकारियों ने कहा कि हकीकत कुछ और है। दरअसल, अधिकारी नहीं चाहते कि हताहतों की वास्तविक तस्वीर सामने आए।

न्यूज इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार खैबर पख्तूनख्वा के बन्नू में हुए ताजा हमले के बारे में एक खुफिया अधिकारी ने कहा, 'एक संदिग्ध आत्मघाती हमलावर ने चौकी के पास विस्फोटक से भरे वाहन में धमाका कर दिया, जिसके बाद उसके साथियों ने गोलियां चलानी शुरू कर दी।' उन्होंने कहा, 'ताजा अपडेट के अनुसार, हमले में 10 सैनिक मारे गए हैं और सात घायल हुए हैं।'

अधिकारी ने कहा कि विस्फोट से माली खेल चौकी के साथ-साथ सैन्य वाहनों को भी 'व्यापक क्षति' पहुंची। हाफिज गुल बहादुर सशस्त्र समूह ने हमले की जिम्मेदारी ली है। यह टीटीपी का ही एक गुट है। एक अन्य अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बमबारी एक अन्य हमले के 24 घंटे से भी कम समय बाद हुई। पहला हमला खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में हुआ था।

सात पुलिसकर्मियों को छुड़ाने में मिली कामयाबी

इस बीच अधिकारियों के अनुसार, सोमवार को अहमदजई सबडिविजन में रोचा पोस्ट से अपहरण किए गए सात पुलिसकर्मियों को स्थानीय आदिवासी बुजुर्गों की ओर से सफल बातचीत के बाद सुरक्षित निकाल लिया गया है। कुछ दिन पहले सामने आई एक घटना में सशस्त्र तहरीक तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के लोगों ने पुलिस चौकी पर हमला किया था। इन्होंने हथियार और गोला-बारूद लूटा और फिर बंदूक की नोक पर इन सात पुलिसकर्मियों को अपने साथ ले गए।

बता दें कि पाकिस्तान के सरकारी अधिकारियों ने अक्सर जिरगाओं के बारे में भद्दी टिप्पणियाँ और हाल के दिनों में उन्हें परेशान करने की कोशिश की है। हालांकि, इस मौके पर यह जनजातीय जिरगा बुजुर्ग ही थे जिसने एक अज्ञात स्थान पर सशस्त्र अपहरणकर्ताओं के साथ चर्चा की।

यह बातचीत सफल रही और पुलिसकर्मियों को बिना शर्त रिहा कर दिया गया। जिला पुलिस अधिकारी जियाउद्दीन अहमद ने कहा कि सभी सात पुलिसकर्मियों को बिना किसी फिरौती की रकम या शर्तों के रिहा कर दिया गया। आदिवासी बुजुर्गों ने स्थिति को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने और पुलिसकर्मियों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई।

सूत्रों ने बताया कि संबंधित घटनाक्रम में जानीखेल क्षेत्र, बन्नू में एक सुरक्षा चौकी पर आतंकवादियों के हमले में दो सुरक्षाकर्मी भी घायल हो गए, जबकि सरदीखेल क्षेत्र में एक नाई की दुकान को उड़ा दिया गया।

सूत्रों ने बताया कि आतंकवादियों ने सुरक्षा चौकी को रॉकेट से निशाना बनाया, जिसमें दो सुरक्षाकर्मी घायल हुए। हमले के बाद हमलावरों और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी हुई। वहीं, सरदीखेल में एक नाई की दुकान के पास अज्ञात लोगों ने विस्फोटक लगा दिया था। विस्फोट में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।

इस बीच पुलिस और खुफिया अधिकारियों ने मंगलवार देर रात कहा कि खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के तिराह इलाके में झड़प के दौरान आठ सैनिक मारे गए। पाकिस्तानी तालिबान ने हमले को अंजाम देने की जिम्मेदारी ली है।

वहीं, विभिन्न सशस्त्र समूहों द्वारा बार-बार किए जा रहे हमलों से चिंतित प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार ने सुरक्षा बलों से बलूचिस्तान में विद्रोहियों का सफाया करने को कहा है। इस कार्रवाई को नेशनल एक्शन प्लान के फेडरल एपेक्स कमिटी द्वारा मंजूरी दी गई है। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, 'बाहरी शक्तियों के इशारे पर नागरिकों और विदेशी नागरिकों को निशाना बनाकर बार-बार किए जाने वाले हमलों का उद्देश्य असुरक्षा पैदा करना है।'

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