नई दिल्ली/इस्लामाबादः भारत द्वारा हालिया ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन और तुर्की से पाकिस्तान को मिली रणनीतिक मदद के दावे पर पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने सोमवार को कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने भारत के आरोपों को गैर-जिम्मेदाराना और तथ्यहीन करार देते हुए कहा कि पाकिस्तान ने इस अभियान को पूरी तरह अपनी घरेलू सैन्य क्षमता के दम पर अंजाम दिया।
मुनीर ने इस्लामाबाद स्थित नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम में कहा, “ऑपरेशन बुन्याने मर्सूस' में बाहरी समर्थन को लेकर की गई बातें न केवल गलत हैं बल्कि पाकिस्तान की वर्षों की रणनीतिक परिपक्वता और संस्थागत मजबूती को नजरअंदाज करने की आदत को दर्शाती हैं।”
उन्होंने भारत पर द्विपक्षीय सैन्य संघर्ष को बहुपक्षीय बताकर कैंप पॉलिटिक्स खेलने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि अगर हमारी आबादी वाले केंद्रों, सैन्य ठिकानों, बंदरगाहों या आर्थिक केंद्रों को निशाना बनाने की कोशिश की गई, तो उसका तुरंत और करारा जवाब दिया जाएगा, बिना किसी झिझक और सीमा के।
मुनीर ने आगे कहा कि पाकिस्तान किसी भी "राजनीतिक बयानबाजी, विदेशी हार्डवेयर या मीडिया हेडलाइन" से युद्ध नहीं जीतता बल्कि उसकी ताकत "विश्वास, पेशेवर योग्यता, संस्थागत एकता और राष्ट्रीय संकल्प" से आती है।
भारत के आरोप क्या थे?
पिछले हफ्ते भारतीय सेना के उपसेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने नई दिल्ली में FICCI के एक कार्यक्रम में कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को चीन और तुर्की से सक्रिय सैन्य मदद मिल रही थी।
सिंह ने कहा था, “पाकिस्तान को चीन से लाइव इंटेलिजेंस फीड मिल रही थी। डीजीएमओ स्तर की बातचीत के दौरान पाकिस्तान हमारे हथियार तैनाती की सटीक जानकारी साझा कर रहा था, जो साफ संकेत है कि यह इनपुट उन्हें चीन से मिल रही थी।”
उन्होंने यह भी कहा था कि पाकिस्तान के पास मौजूद 81 प्रतिशत सैन्य साजो-सामान चीन से है और चीन इस युद्ध को अपने हथियारों के लिए ‘लाइव लैब’ की तरह इस्तेमाल कर रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि तुर्की ने भी बायराकटार ड्रोन जैसे उपकरणों से पाकिस्तान की मदद की।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की थी, जो 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत के जवाब में हुआ था। इस अभियान में भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान की सीमा में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। यह संघर्ष चार दिनों तक चला और 10 मई को दोनों पक्षों के बीच संघर्षविराम पर सहमति बनी थी।