ओटावाः कनाडा के अधिकारियों ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में चार भारतीय आरोपियों की जमानत के दावों को खारिज कर दिया है। ब्रिटिश कोलंबिया की अदालत द्वारा अनिवार्य हिरासत आदेश पारित किए गए हैं, जिसके तहत सभी आरोपी हिरासत में रहेंगे।
इंजिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया और कुछ ऑनलाइन रिपोर्टों में आरोपियों की रिहाई के दावे किए गए थे। लेकिन कनाडा के अटॉर्नी जनरल मंत्रालय की वरिष्ठ अधिकारी ऐन सीमोर ने कहा कि चारों आरोपी अभी भी हिरासत में हैं। हालांकि अदालत के रिकॉर्ड में उनकी स्थिति ‘N’ (हिरासत में नहीं) के रूप में दर्ज थी, जिससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई। सीमोर ने कहा कि इस मामले में कोई जमानत सुनवाई फिलहाल तय नहीं है।
गिरफ्तार किए गए 4 भारतीय नागरिक कौन हैं?
आरोपियों में करण ब्रार, कमलप्रीत सिंह, करनप्रीत सिंह, और अमनदीप सिंह शामिल हैं। करण, कमलप्रीत और करनप्रीत को मई 2023 में एडमंटन और आसपास के क्षेत्रों से गिरफ्तार किया गया था। अमनदीप सिंह को नवंबर 2023 में गिरफ्तार किया गया, जब वह पहले से ही अन्य आरोपों में पुलिस की हिरासत में थे। उन्हें नौ आरोपों का सामना करना पड़ा, जिनमें बिना लाइसेंस हथियार रखने और प्रतिबंधित पदार्थ रखने के आरोप शामिल हैं।
मामले में अब तक क्या हुआ है?
सीमोर ने कहा कि ब्रिटिश कोलंबिया की अदालत, जिसने अनिवार्य हिरासत का आदेश दिया था, ने अगली सुनवाई फरवरी के लिए तय की है। आरोपियों को 11 फरवरी को एक केस मैनेजमेंट कॉन्फ्रेंस के लिए पेश किया जाएगा, जहां पूर्व-परीक्षण आवेदन पर विचार किया जाएगा, और मुकदमे की तारीखें तय की जाएंगी।
सीमोर ने बताया कि अदालत के हिरासत आदेश यह सुनिश्चित करते हैं कि मुकदमे की शुरुआत तक आरोपी हिरासत में रहेंगे। हालांकि जमानत आवेदन पर बाद में विचार किया जा सकता है, लेकिन पहले दर्जे के हत्या और हत्या की साजिश जैसे गंभीर आरोपों को देखते हुए जमानत की संभावना बहुत कम है।
निज्जर हत्याकांड में भारत-कनाडा के आरोप
गौरतलब है कि आरोपियों की गिरफ्तारी के तीन महीने बाद, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हाउस ऑफ कॉमन्स में यह बयान दिया कि इस हत्या में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता के विश्वसनीय आरोप हैं। हाल के दिनों में भी ट्रूडो ने दावा किया कि इस हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों की संभावित संलिप्तता हो सकती है। हालांकि भारत इन आरोपों को हमेशा से “बेतुका” और “राजनीतिक रूप से प्रेरित” कहकर खारिज करता रहा है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी कनाडा पर आरोप लगाया है कि उसने हत्या के मामले में कोई ठोस सबूत या औपचारिक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई, भले ही इस मामले में भारतीय नागरिकों की गिरफ्तारी हो चुकी है। भारत ने लंबे समय से कनाडा पर खालिस्तान आंदोलन के समर्थकों और उग्रवादियों को शरण देने का आरोप लगाया है। यह मुद्दा द्विपक्षीय संबंधों में एक प्रमुख बाधा बना हुआ है।
ब्रिटिश कोलंबिया में इंटीग्रेटेड होमिसाइड इन्वेस्टिगेशन टीम (IHIT), जो इस जांच का नेतृत्व कर रही है, ने आरोपियों पर हत्या और हत्या की साजिश के आरोप लगाए हैं। हालांकि, मामले में कनाडा ने अभी तक भारत को कोई सबूत नहीं दे सका है।