तेल अवीव/वाशिंगटनः इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सच्चा मित्र बताते हुए कहा है कि इजराइल डिफेंस फोर्सेज (IDF) ने जो ऑपरेशन शुरू किया था, उसे अमेरिका ने अंजाम तक पहुंचाया। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों - फोर्दो, नतांज और इस्फहान- पर हवाई हमले कर दिए हैं।

हिब्रू भाषा में जारी एक भावुक वीडियो संदेश में नेतन्याहू ने कहा, “ऑपरेशन की शुरुआत में मैंने वादा किया था कि ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटीज को किसी न किसी तरह तबाह कर दिया जाएगा। आज, वह वादा पूरा हुआ। अमेरिका ने वह काम पूरा किया जिसे हमने 13 जून को शुरू किया था।”

इजराइली प्रधानमंत्री ने ट्रंप से फोन पर हुई बातचीत का भी उल्लेख करते हुए कहा, “ऑपरेशन के बाद मैंने राष्ट्रपति ट्रंप को फोन कर धन्यवाद दिया। हमारी बातचीत बेहद गर्मजोशी और भावुक थी। उन्होंने हमारी सेना को बधाई दी, हमारे लोगों को सलाम किया, और कहा कि यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।”

नेतन्याहू ने ट्रंप को 'स्वतंत्र विश्व का नेता' बताते हुए कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप इजराइल के उतने बड़े मित्र हैं, जितना शायद ही कोई और हो। उन्होंने यह साबित किया कि शक्ति के बिना शांति संभव नहीं। उन्होंने दिखा दिया कि जब मित्र एकजुट हों, तो आतंक और परमाणु खतरे का सामना किया जा सकता है।”

ईरान की न्यूक्लियर क्षमता पूरी तरह तबाहः अमेरिका

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार तड़के राष्ट्र को संबोधित करते हुए पुष्टि की कि अमेरिकी वायुसेना ने फोर्दो, नतांज और इस्फहान में ईरान की संवेदनशील परमाणु ठिकानों को निशाना बनाकर “पूरी तरह से तबाह” कर दिया है। ट्रंप ने कहा, “यह एक ऐतिहासिक सैन्य सफलता है। अब या तो ईरान शांति का रास्ता चुनेगा, या उसे त्रासदी का सामना करना पड़ेगा।”

उन्होंने आगे कहा कि अभी भी कई टारगेट बाकी हैं, और अगर ईरान पीछे नहीं हटा, तो अगली कार्रवाई और ज्यादा सटीक, तेज और घातक होगी। ट्रंप ने इस हमले को “न्यूक्लियर खतरे को खत्म करने का निर्णायक प्रयास” बताया।

हमने  एक टीम की तरह काम कियाः ट्रंप

ट्रंप ने इस ऑपरेशन के लिए इजराइली सेना और नेतन्याहू की तारीफ करते हुए कहा, “हमने एक टीम की तरह काम किया — जैसी शायद पहले कभी नहीं बनी। हमने इजराइल के लिए इस भयानक खतरे को मिटाने में बड़ी प्रगति की है।”

इसी भावना को नेतन्याहू ने दोहराते हुए कहा, “हम और राष्ट्रपति ट्रंप हमेशा कहते हैं — पहले शक्ति आती है, फिर शांति। और शनिवार की रात अमेरिका ने पूरी ताकत के साथ यह संदेश दिया।”

13 जून को शुरू हुआ था इजराइल-ईरान संघर्ष

यह संघर्ष 13 जून को तब शुरू हुआ था जब इजराइल ने ईरान की परमाणु गतिविधियों को रोकने के लिए ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के तहत हमला किया था। इजराइली दावा था कि यह कार्रवाई ईरान को न्यूक्लियर वेपन विकसित करने से रोकने के लिए “निवारक” थी। जवाब में ईरान ने दर्जनों ड्रोन और मिसाइलें इजराइल पर दागीं, जिससे संघर्ष और तेज हो गया।

अब अमेरिका की खुली सैन्य भागीदारी ने इस युद्ध को वैश्विक संकट में बदल दिया है, जिसके असर सिर्फ पश्चिम एशिया तक सीमित नहीं रहेंगे।

समाचार एजेंसी आईएएनएस इनपुट के साथ