नेपाल में पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' की सरकार खतरे में, सत्ता से हटाने के लिए नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल ने किया समझौता

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Pushp Kamal Dahal 'Prachanda's government in Nepal is in danger, Nepali Congress and CPN-UML made an agreement to remove him from power.

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड'। फोटोः IANS

काठमांडूः नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को सत्ता से हटाने के लिए देश के दो सबसे बड़े दल - नेपाली कांग्रेस और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (सीपीएन-यूएमएल) एक साथ आ गए हैं।

नेपाली मीडिया के मुताबिक सोमवार आधी रात नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह घटना प्रचंड के चौथी बार विश्वास मत जीतने के सिर्फ एक महीने बाद की है।

प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी सेंटर) ने हाल ही में नेपाली कांग्रेस से गठबंधन तोड़ लिया था। इसके बाद उन्होंने ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल के साथ गठबंधन बना लिया था। अब ओली ने भी साथ छोड़ दिया है।

इस समझौते के अनुसार, ओली डेढ़ साल तक सरकार चलाएंगे इसके बाद वे शेष 1.5 वर्षों के लिए सत्ता देउबा को सौंप देंगे।  78 साल के देउबा और 72 साल के ओली ने शनिवार को मुलाकात की। यह मुलाकात दो पार्टियों के बीच नए राजनीतिक गठबंधन की संभावना तलाशने के लिए थी।

काठमांडू पोस्ट ने बताया कि इस मुलाकात के बाद ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएल ने प्रचंडा की अगुवाई वाली सरकार से सिर्फ चार महीने समर्थन देने के बाद अपना नाता तोड़ लिया। दोनों नेता नई सरकार बनाने, संविधान में बदलाव करने और सत्ता में हिस्सेदारी का फैसला करने पर सहमत हुए।

प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ने कहा- नहीं दूंगा इस्तीफा

नेपाल सरकार में सीपीएन-यूएमएल के आठ मंत्री सत्तारूढ़ गठबंधन में देर रात हुए बदलाव के बाद अपने पद से इस्तीफा देने वाले हैं। सीपीएन-यूएमएल के मुख्य सचेतक महेश बर्तौला ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, "हमारे मंत्री आज ही प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप देंगे। प्रधानमंत्री प्रचंड के भी इस्तीफा देने की संभावना जताई जा रही थी लेकिन उन्होंने साफ कर दिया है कि वह पद से इस्तीफा नहीं देंगे और विश्वास मत का सामना करेंगे।

नेपाल में बनेगी 'राष्ट्रीय सहमति सरकार'

आधी रात को हुए समझौते का उद्देश्य प्रचंड को सत्ता से बेदखल करना था। समझौते के तहत, ओली डेढ़ साल तक नई 'राष्ट्रीय सर्वसम्मति वाली सरकार' का नेतृत्व करेंगे। जबकि देउबा शेष कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री होंगे।

महेश बर्तौला ने बताया कि ओली के कार्यकाल के दौरान, सीपीएन-यूएमएल प्रधानमंत्री पद और वित्त मंत्रालय सहित अन्य मंत्रालयों का नियंत्रण संभालेगा। इसी तरह, नेपाली कांग्रेस गृह मंत्रालय सहित दस मंत्रालयों की देखरेख करेगी। सीपीएन-यूएमएल कोशी, लुम्बिनी और कर्णाली प्रदेशों में सरकार बनाएगी, जबकि नेपाली कांग्रेस बागमती, गंडकी और सुदूर पश्चिम प्रदेशों का नेतृत्व करेगी।

नए गठबंधन ने चुनाव प्रक्रियाओं और संविधान में संशोधन पर सुझाव देने के लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश कल्याण श्रेष्ठ की अध्यक्षता में एक समिति भी बनाई है। शक्ति-साझाकरण व्यवस्था, संविधान में प्रस्तावित संशोधन, चुनाव प्रणाली की समीक्षा और प्रांतीय विधानसभाओं के आकार पर चर्चा का विवरण देते हुए एक मसौदा समझौता आज जारी होने की उम्मीद है।

समझौते पर हस्ताक्षर से पहले कांग्रेस और यूएमएल के नेताओं ने राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल से मुलाकात की और उन्हें गठबंधन में बदलाव के बारे में जानकारी दी। प्रचंड की पार्टी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, जो पहले कह रही थी कि वह ओली की पार्टी के संपर्क में है।

गौरतलब है कि नेपाली कांग्रेस के पास 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 89 सीटें हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन-माओवादी केंद्र के पास क्रमशः 78 और 32 सीटें हैं।

16 साल में 13 सरकारें

पिछले 16 वर्षों में नेपाल में 13 सरकारें बनी हैं। 2022 के आम चुनावों के बाद सत्ता में आए दहाल को संसद में रिकॉर्ड चार बार विश्वास मत लेना पड़ा है। यदि प्रधानमंत्री की पार्टी विभाजित होती है या गठबंधन सरकार का कोई सदस्य समर्थन वापस लेता है, तो प्रधानमंत्री को 30 दिनों के भीतर विश्वास मत लेना आवश्यक होता है। ओली और प्रचंड ने मार्च में नेपाली कांग्रेस के साथ विवाद के बाद सत्ता-साझाकरण का फार्मूला बनाया था।

सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-माओवादी केंद्र, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी और जनता समाजवादी पार्टी सहित एक नया गठबंधन शुरू में बनाया गया था। औपचारिक विभाजन के बाद जनता समाजवादी पार्टी नेपाल सरकार से बाहर हो गई और अब विपक्ष में है। प्रचंड का समर्थन लगातार विश्वास मतों में घटता गया है।

ओली और प्रधानमंत्री प्रचंड के बीच मतभेद धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे थे, और ओली हाल ही में सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए किए गए बजट आवंटन से नाखुश थे, जिसके बारे में उन्होंने सार्वजनिक रूप से बात भी की थी। देउबा और ओली के बंद दरवाजे के पीछे हुई बैठक से चिंतित प्रचंड, ओली से मिलने गए ताकि उन्हें आश्वस्त कर सकें कि सरकार सीपीएन-यूएमएल द्वारा उठाए गए मुद्दों, जिसमें नए बजट के बारे में चिंता भी शामिल है, को गंभीरता से ले रही है, पर्यवेक्षकों ने कहा।

सोमवार सुबह उनकी बैठक के दौरान, ओली ने कथित तौर पर प्रचंड से समर्थन के लिए पद से इस्तीफा देने का अनुरोध किया। इसपर प्रचंड ने ओली को मौजूदा सत्तारूढ़ गठबंधन में प्रधानमंत्री पद की पेशकश की, जिसे ओली ने ठुकरा दिया। और एक सर्वसम्मत सरकार का नेतृत्व करने की इच्छा जताई।

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