फ्रांस में मध्यावधि चुनाव के पहले दौर में नेशनल रैली पार्टी ने किया जीत का दावा, विरोध में पेरिस में प्रदर्शन शुरू

इससे पहले कई ओपिनियन पोल्स ने कट्टर दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी की जीत की भविषवाणी की थी।

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National Rally Party claims victory in the first round of mid-term elections in France protest begins in Paris

राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों (फाइल फोटो- IANS)

पेरिस: मरीन ले पेन की धुर दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी ने फ्रांस के मध्यावधि संसदीय चुनावों के पहले दौर में जीत हासिल करने का दावा किया है। फ्रांस में पहले दौर का चुनाव 30 जून को खत्म हुआ है और दूसरे और अंतिम दौर का चुनाव सात जुलाई को होने वाला है।

दूसरे दौर के परिणाम पर यह निर्भर करेगा कि फ्रांस में किसकी सरकार बनेगी। हालांकि इससे पहले कई ओपिनियन पोल्स ने कट्टर दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी की जीत की भविषवाणी की थी।

किस पार्टी को कितने वोट मिलने का अनुमान

दावा है कि पहले दौर के चुनाव में नेशनल रैली को लगभग 34 फीसदी वोट मिले हैं जबकि न्यू पॉपुलर फ्रंट को 29 प्रतिशत और मैक्रॉन के मध्यमार्गी गठबंधन को 21 फीसदी वोट मिले हैं। हालांकि यह अंतिम परिणाम नहीं है और दूसरे और अंतिम दौर का चुनाव के बाद इस पर फैसला होगा।

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ओलंपिक से पहले पेरिस में तनाव का माहौल

फ्रांस के संसदीय चुनाव के पहले दौर में नेशनल रैली पार्टी द्वारा जीत के दावे के बाद कल रात से राजधानी पेरिस में तनाव का माहौल है और इस वजह से यहां पर विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गया है। हजारों की संख्या में वामपंथी कार्यकर्ताओं ने तोड़फोड़ और आगजनी की है।

प्रदर्शनकारियों ने दुकानों की खिड़कियों में आग लगी दी है और कई जगहों पर तोड़फोड़ को अंजाम दिया है। प्लेस डे ला रिपब्लिक के आसपास पुलिस और दंगाइयों के बीच काफी झड़पें भी हुई है और यह काफी देर तक चली है। फ्रांस में यह सब तब हो रहा है जब 25 दिन बाद पेरिस में ओलंपिक का आयोजन होने वाला है।

अगर नेशनल रैली पार्टी चुनाव जीत लेती है तो क्या होगा

अगर नेशनल रैली पार्टी यह चुनाव जीत जाती है तो वह फ्रांस में सरकार बना सकती है। अगर ऐसा हुआ तो यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार होगा जब फ्रांस में किसी धुर-दक्षिणपंथी ताकत सत्ता संभालेगी।

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इमैनुअल मैक्रों अभी फ्रांस के राष्ट्रपति हैं और वे इस पद पर 2027 तक बने रहेंगे लेकिन नेशनल रैली पार्टी के सत्ता संभालने पर फ्रांस के अगले प्रधानमंत्री का चयन किया जाएगा। ऐसे में फ्रांस में एक पार्टी का राष्ट्रपति होगा और दूसरे पार्टी का प्रधानमंत्री होगा जिससे फ्रांस की राजनीति में नीतिगत टकराव और अनिश्चितता पैदा हो सकती है।

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