नेपिदाऊः म्यांमार में चार सालों के सैन्य शासन के बाद अब इमरजेंसी हटाने का निर्णय लिया गया है। सैन्य सरकार ने आपातकाल समाप्ति की घोषणा के साथ दिसंबर में चुनाव कराने के लिए आयोग का गठन किया है।

म्यांमार में 1 फरवरी 2021 को सेना ने देश की नेता आंग सान सू की को अपदस्थ कर दिया था और फिर वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लांग सत्ता में आए। उन्होंने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी थी और कई नेताओं को गिरफ्तार किया। इस सैन्य तख्तापलट के बाद लोगों में आक्रोश देखा गया जो आज तक गृहयुद्ध के रूप में जारी है।

दिसंबर में होंगे चुनाव

ह्लांग ने 30 जुलाई, बुधवार को घोषणा की थी कि दिसंबर में चुनाव होंगे। वहीं देश की मीडिया ने 31 जुलाई को बताया कि जुंटा ने ह्लांग के नेतृत्व में 11 सदस्यीय आयोग का गठन किया है।

एक ओर जहां ह्लाइंग ने चुनाव को गृहयुद्ध में एक घाटा बताया है, वहीं, आलोचक और विपक्षी दल चुनावों की घोषणा को सिर्फ एक दिखावा करार दे रहे हैं और बहिष्कार की घोषणा की है। विश्लेषकों ने बताया कि ह्लाइंग या तो राष्ट्राध्यक्ष बनेंगे या सशस्त्र बलों के प्रमुख के रूप में सत्ता में बने रहेंगे। 

देश में जारी गृह युद्ध सरकार के पक्ष में नहीं गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सैन्य सरकार देश के सिर्फ पांचवे हिस्से पर ही नियंत्रण रखती है और देश का बाकी हिस्सा या तो विपक्षी समूहों की राष्ट्रीय एकता सरकार या फिर देश में सक्रिय विभिन्न सशस्त्र जातीय समूहों के हाथ में हैं।

चुनाव का विरोध करने वालों पर होगी कार्रवाई

एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनावों की घोषणा और आयोग के गठन से ठीक पहले जुंटा ने बुधवार को एक कानून पारित किया। इस प्रावधान के तहत दिसंबर में होने वाले चुनावों का विरोध करने वाले लोगों या बाधा बनने वाले लोगों को मृत्युदंड की सजा का भी प्रावधान है।

नए नियम के मुताबिक, जो भी व्यक्ति चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए बोलता है, आयोजन करता है, उकसाता है, विरोध करता है या पत्र वितरित करता है तो तीन से 10 साल तक की कैद और जुर्माने की सजा दी जाती है।