नेपीडॉः म्यांमार के मध्य क्षेत्र में शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप से भारी तबाही मची है। राजधानी नेपीडॉ में सड़कें फट गईं और झटके चीन, थाईलैंड तथा भारत तक महसूस किए गए। म्यांमार की सत्तारूढ़ सेना के प्रमुख के अनुसार, इस आपदा में कम से कम 144 लोगों की मौत हो गई, जबकि 700 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र सगाइंग शहर से 16 किलोमीटर (9.9 मील) उत्तर-पश्चिम में, 10 किलोमीटर की गहराई पर स्थित था। इस शक्तिशाली झटके के बाद 6.4 तीव्रता का एक और झटका महसूस किया गया। भूकंप के कारण मांडले, सगाइंग और नेपीडॉ के अस्पतालों में घायलों की संख्या तेजी से बढ़ गई, जिससे चिकित्सा सेवाओं पर भारी दबाव आ गया।

थाईलैंड में भी भारी नुकसान, 9 की मौत

सीमा पार थाईलैंड में भी भूकंप का व्यापक असर देखने को मिला। बैंकॉक में एक निर्माणाधीन गगनचुंबी इमारत गिरने से 9 लोगों की मौत हो गई, जबकि 81 लोग अब भी लापता हैं और मलबे में फंसे होने की आशंका है। बैंकॉक के डिप्टी गवर्नर तवीदा कामोलवेज ने बताया कि 8 मौतें इमारत गिरने से हुईं, जबकि एक व्यक्ति की जान अलग स्थान पर चली गई।

थाईलैंड पर्यटन प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि भूकंप के बावजूद बैंकॉक के सभी हवाई अड्डे चालू हैं। हालांकि, भारतीय पर्यटकों की ओर से हवाई यात्रा और पर्यटन एजेंसियों को बड़ी संख्या में फोन कॉल मिल रहे हैं। अब तक किसी भी प्रमुख यात्रा कंपनी ने टिकट रद्द होने की पुष्टि नहीं की है।

अन्य देशों में भी महसूस हुए झटके

चीन के दक्षिण-पश्चिमी युन्नान प्रांत में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। बीजिंग की भूकंप एजेंसी ने इसे 7.9 तीव्रता का बताया। इसके अलावा वियतनाम और भारत (कोलकाता  और इम्फाल) में भी हल्के झटके दर्ज किए गए। हालांकि, पीटीआई समाचार एजेंसी के अनुसार, भारत में अब तक किसी तरह के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है।

म्यांमार की सत्तारूढ़ सेना के प्रमुख मिन आंग हलाइंग ने सरकारी प्रसारक MRTV पर अपने संबोधन में कहा कि राहत कार्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता की मांग की गई है। उन्होंने कहा, "मैंने AHA सेंटर और भारत से कुछ सहायता प्रस्तावों को स्वीकृति दी है।"

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी इस आपदा पर चिंता जताई और कहा कि "हमारा संगठन दक्षिण-पूर्व एशिया में राहत पहुंचाने के लिए सक्रिय हो गया है। म्यांमार सरकार ने मदद मांगी है और हमारा दल वहां सहायता पहुंचाने के लिए संपर्क में है।"

भविष्य की चेतावनी और संभावित नुकसान

USGS के अनुसार, म्यांमार में भूकंप आना कोई असामान्य घटना नहीं है। 1930 से 1956 के बीच, सगाइंग फॉल्ट के पास 7.0 या उससे अधिक तीव्रता के छह बड़े भूकंप दर्ज किए गए हैं।

एक अमेरिकी एजेंसी के पूर्वानुमान के मुताबिक, इस आपदा से हजारों लोगों की जान जाने और म्यांमार के सगाइंग व मीकटिला क्षेत्रों में भारी आर्थिक नुकसान होने की आशंका है। यूएसजीएस के अनुसार, "इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में इमारतें भूकंपरोधी नहीं हैं, जिससे जान-माल के नुकसान की संभावना और बढ़ गई है।"

बचाव अभियान तेज

म्यांमार में आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी गई है। देश की सैन्य सरकार ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से राहत कार्यों में सहयोग की अपील की है। सेना प्रमुख ने कहा, "हताहतों की संख्या अभी और बढ़ सकती है, क्योंकि कई इलाकों में बचाव अभियान जारी है।" 

सरकार के निर्देश पर आपदा प्रबंधन एजेंसियां राहत और बचाव कार्यों को तेज करने में जुटी हैं। प्रभावित क्षेत्रों में भोजन, दवा और शरणस्थलों की तत्काल व्यवस्था की जा रही है। आपातकालीन टीमें जीवित बचे लोगों को ढूंढने तथा अपने घरों में फंसे लोगों की सहायता करने के लिए अथक प्रयास कर रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी म्यांमार और थाईलैंड में आए शक्तिशाली भूकंप पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने दोनों सरकारों को हर संभव मदद देने का वादा किया है।पीएम मोदी ने शुक्रवार को कहा, "म्यांमार और थाईलैंड में भूकंप के बाद की स्थिति से चिंतित हूं। सभी की सुरक्षा और खुशहाली के लिए प्रार्थना करता हूं। भारत हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है। इस संबंध में, हमने अपने अधिकारियों से तैयार रहने को कहा है। साथ ही विदेश मंत्रालय से म्यांमार और थाईलैंड की सरकारों के साथ संपर्क में रहने को कहा है।"