म्यांमार में आए भीषण भूकंप से मरने वालों की संख्या 1,644 हो गई है, जबकि 3,400 से अधिक लोग घायल हैं। शुक्रवार को मांडले के पास आए इस शक्तिशाली भूकंप ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई, जिससे कई इमारतें और बुनियादी ढांचे ध्वस्त हो गए।

बचाव दल राहत कार्यों में जुटे हैं, लेकिन कई इलाके अब भी सड़क और पुलों के क्षतिग्रस्त होने के कारण पहुंच से बाहर हैं। भूकंप के बाद बिजली और पानी के गंभीर संकट का सामना कर रहा है। म्यांमार के जुंटा प्रमुख, मिन आंग ह्लाइंग ने दूसरे देशों से सहायता की अपील की है। उन्होंने कहा, मैं म्यांमार में किसी भी देश, किसी भी संगठन या किसी भी व्यक्ति को मदद के लिए आमंत्रित करना चाहूंगा।  

नेपीडा एयरपोर्ट का कंट्रोल टावर ढहा

नेपीडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर भी इस भूकंप में गिर गया। Planet Labs PBC की सैटेलाइट इमेज से खुलासा हुआ कि टावर पूरी तरह से अपने आधार से अलग होकर मलबे में बदल गया है। इसके कारण हवाई यातायात ठप हो गया है, क्योंकि सभी रडार और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम इसी टावर से जुड़े थे।

म्यांमार ब्रॉडकास्टिंग एजेंसी MIBAWI ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, "सैटेलाइट तस्वीरों में नेपीडा एयरपोर्ट का कंट्रोल टावर ध्वस्त दिख रहा है। इसमें काम करने वाले सभी छह कर्मचारियों की मौत हो गई है।"

 'फर्स्ट रिस्पॉन्डर' की भूमिका में भारत, ऑपरेशन ब्रह्मा शुरू किया

इस प्राकृतिक आपदा के मद्देनजर भारत सरकार ने ऑपरेशन ब्रह्मा शुरू किया है। भारत ने "फर्स्ट रिस्पॉन्डर" की भूमिका निभाते हुए दो नौसैनिक जहाजों को शनिवार को म्यांमार भेजा, जबकि एक फील्ड अस्पताल को एयरलिफ्ट करने की योजना है। भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने बताया कि 118 सदस्यों वाली एक मेडिकल टीम को भी आगरा से म्यांमार भेजा गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार की सैन्य सरकार के प्रमुख मिन आंग हलाइंग से फोन पर बात कर संवेदनाएं प्रकट कीं। उन्होंने कहा, "म्यांमार में भूकंप से हुए जानमाल के नुकसान पर गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। भारत इस कठिन समय में अपने पड़ोसी और मित्र देश के साथ खड़ा है।"

भारत ने 15 टन राहत सामग्री भेजी है, जिसमें सोलर लैंप, खाद्य पैकेट और किचन सेट शामिल हैं। इसके अलावा, 80 एनडीआरएफ बचावकर्मी खोजी कुत्तों और विशेष उपकरणों के साथ नेपीडा के लिए रवाना हुए हैं। आईएनएस सतपुड़ा और आईएनएस सावित्री नामक भारतीय नौसेना के दो जहाज 40 टन मानवीय सहायता लेकर यंगून पोर्ट के लिए रवाना हो चुके हैं।

म्यांमार में दर्दनाक मंजर

म्यांमार में भूकंप के बाद लोगों की दर्दनाक कहानियां सामने आ रही हैं। बीबीसी से बात करते हुए एक पीड़ित ने बताया कि जब भूकंप आया, वह बाथरूम में था। जैसे-तैसे मलबे से बाहर निकलकर वह और कुछ अन्य लोग एक दूसरी इमारत में शरण लेने पहुंचे, लेकिन तभी दूसरा झटका आया और वह इमारत भी गिर गई।

उसने कहा, "मेरी दादी, चाची और चाचा अब भी लापता हैं। मुझे नहीं लगता कि वे बच पाए होंगे।" वहीं म्यांमार से लौटे एक भारतीय नागरिक आलोक मित्तल ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि स्थिति बहुत खतरनाक थी। उन्होंने कहा कि हम मॉल के ग्राउंड फ्लोर पर थे। सभी दुकानदार मॉल से बाहर चले गए थे। हम 6 घंटे तक सड़कों पर बैठे रहे...हमने तुरंत फ्लाइट बुक की और वापस भारत आ गए।

थाईलैंड में भी नुकसान, बैंकॉक में 9 की मौत

भूकंप का असर थाईलैंड में भी महसूस किया गया। बैंकॉक में एक गगनचुंबी इमारत के गिरने से नौ लोगों की मौत हो गई और 40 से अधिक लोग अब भी मलबे में फंसे हैं। बैंकॉक प्रशासन को 2,000 से अधिक इमारतों में दरारें पड़ने की शिकायतें मिली हैं।

बैंकॉक के गवर्नर चाडचार्ट सिट्टिपुंट ने कहा, "हमने 15 जीवित लोगों के संकेत मलबे में देखे हैं। हम बिना रुके राहत कार्य जारी रखेंगे।" थाई सरकार ने बैंकॉक में आपातकाल की घोषणा कर दी है और बचाव कार्य तेज कर दिया गया है।

इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भूकंप प्रभावित म्यांमार को सहायता भेजने का वादा किया है, हालांकि USAID (अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी) की फंडिंग में कटौती के कारण वैश्विक मानवीय राहत प्रयास प्रभावित हो रहे हैं।