ढाका: बांग्लादेश में अंतरिम सलाहकार मोहम्मद यूनुस कथित तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग (एएल) के नेताओं के बिना सरकार बनाने पर विचार कर रहे हैं।
मोहम्मद यूनुस द्वारा यह निर्णय बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के बढ़ते दबाव और कोटा विरोधी आंदोलन के बीच शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद वहां पर बिगड़ते राजनीतिक अशांति के बीच लिया गया है।
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूनुस अवामी लीग को छोड़कर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ एक अंतरिम सरकार स्थापित करने के विचार पर विचार कर रहे हैं।
रिपोर्टों के मुताबिक, मोहम्मद यूनुस कुछ अवामी लीग के सदस्यों को अपनी पार्टी छोड़ने और अपनी पहल में शामिल होने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं।
अक्टूबर में फाइनेंशियल टाइम्स के साथ एक साक्षात्कार में मोहम्मद यूनुस ने अवामी लीग को एक “फासीवादी” पार्टी बताया था। उन्होंने यह भी कहा था कि अवामी लीग का बांग्लादेश के लोकतांत्रिक भविष्य में कोई स्थान नहीं है।
अवामी लीग और बीएनपी को लेकर क्या प्लान कर रहे हैं मोहम्मद यूनुस
विशेषज्ञों का मानना है कि मोहम्मद यूनुस की प्रस्तावित सरकार में बीएनपी, जमात-ए-इस्लामी और अवामी लीग का विरोध करने वाले अन्य इस्लामी गुटों के नेता शामिल हो सकते हैं।
वहीं, बांग्लादेश में हिंदू समुदायों पर हुए हमलों के कारण भारत और बांग्लादेश के रिश्ते पहले ही खराब हो चुके हैं। भारत ने इन हमलों की कड़ी आलोचना की है, जबकि यूनुस सरकार पर इन घटनाओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया गया है।
यह पहली बार नहीं है जब बांग्लादेश में शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के खिलाफ कोई विरोध शुरू हुआ हो या फिर कोई नई पार्टी बनी हो। 1970 के दशक में जनरल जियाउर रहमान ने अवामी लीग और भारत विरोधी ताकतों को एकजुट करके बीएनपी का गठन किया था। इसके बाद जनरल एचएम इरशाद ने जातीय पार्टी बनाई।
रिपोर्ट के अनुसार, जानकारों का मानना है कि मोहम्मद यूनुस भी इसी तरह की रणनीति अपना रहे हैं और वह नई सरकार में बांग्लादेश की दो बड़ी पार्टियों, अवामी लीग और बीएनपी, को बाहर रखने की योजना बना रहे हैं।
अंतरिम सरकार बनने के बाद अवामी लीग से दूरी बना रहे हैं मोहम्मद यूनुस-दावा
मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सलाहकार बनने के बाद से अवामी लीग को सरकार से दूर रखा है। फाइनेंशियल टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने अवामी लीग पर आरोप लगाया था कि पार्टी ने राजनीतिक और संस्थागत प्रणालियों को अपने फायदे के लिए नियंत्रित किया।
यूनुस का यह रुख तब और साफ हो गया जब उन्होंने भारत और बांग्लादेश के द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों की एक बैठक बुलाई, जिसमें अवामी लीग और उसके सहयोगी दलों को आमंत्रित नहीं किया गया।
इस पर कानून सलाहकार आसिफ नजरुल ने बाद में कहा कि इस बैठक में केवल “गैर-फासीवादी” पार्टियों को ही बुलाया गया था।
यह राजनीतिक बदलाव ऐसे समय में हुआ है जब भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री नौ दिसंबर को ढाका यात्रा पर जाने वाले हैं। उनकी यात्रा का उद्देश्य बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता के बीच भारत की सुरक्षा चिंताओं पर चर्चा करना है।