न्यूयॉर्क: कई बड़ी टेक कंपनियां H-1B वीजा धारकों से अमेरिका नहीं छोड़ने का आग्रह कर रही हैं। मीडिया रिपोर्ट के हवाले से ये जानकारी सामने आई है। दरअसल, ये टेक दिग्गज इस बात से चिंतित हैं कि एक बार जब उनके कर्मचारी अमेरिकी धरती छोड़ेंगे, तो उन्हें वापस आने की अनुमति नहीं मिलेगी।
ताजा घटनाक्रम डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की आव्रजन नीतियों के बारे में सिलिकॉन वैली में बढ़ी अनिश्चितता के बीच सामने आया है। इससे पहले जनवरी में ट्रंप ने कहा था कि उन्हें H-1B वीजा के जरिए विदेशी कर्मचारियों के आने को लेकर कही जा रही बातों के दोनों पक्ष पसंद हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें देश में आने वाले 'बहुत सक्षम लोग' पसंद हैं और उन्होंने खुद इस कार्यक्रम का इस्तेमाल किया है।
क्या है H-1B वीजा कार्यक्रम और विवाद?
अमेरिका का एच-1बी वीजा कार्यक्रम विदेशियों को एक निश्चित अवधि के लिए अमेरिका में काम करने और बसने की अनुमति देता है। भारतीय एच-1बी वीजा के सबसे बड़े धारकों में से हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका हर साल 65,000 ऐसे वीजा जारी करता है।
भारतीयों को इनमें से अधिकांश वीजा मिलते हैं। उसके बाद चीनी और कनाडाई नागरिकों का स्थान आता है। रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 तक भारतीय नागरिकों को अमेरिका द्वारा जारी किए गए सभी H-1B वीजा का 72.3 प्रतिशत प्राप्त हुआ।
वाशिंगटन पोस्ट की ताजा रिपोर्ट के अनुसार गूगल, अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक कम्पनियां अपने कर्मचारियों को अमेरिका नहीं छोड़ने की चेतावनी दे रही हैं। अखबार ने दो एच-1बी कार्ड धारकों के हवाले से बताया कि उन्होंने अमेरिका में वापस आने की अनुमति मिलने की चिंता को देखते हुए अपनी भारत की यात्रा रद्द कर दी है।
एक एच-1बी धारक ने ट्रंप प्रशासन द्वारा जन्मसिद्ध नागरिकता को खत्म करने की कोशिश पर चिंता व्यक्त की। उसने कहा कि अगर ऐसा होता है, तो भविष्य में बच्चे स्टेटलेस हो जाएंगे। वे न तो भारतीय रहेंगे और न ही अमेरिकी। वहीं, दूसरे एच-1बी धारक ने कहा, 'यह धारणा बढ़ रही है कि जो लोग अमेरिकी नागरिक नहीं हैं, वे अवैध रूप से यहां रह रहे हैं।'
कर्मचारी ने कहा, 'जब हम कहीं घूम रहे होते हैं, तो हम हमेशा अपने दस्तावेज साथ रखते हैं।'
जानकार क्या कह रहे हैं?
जानकारों का मानना है कि टेक फर्म और H-1B धारकों का चिंतित होना जायज है। वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार टेक इंडस्ट्री में बिजनेस इमिग्रेशन का काम मुख्य रूप से देखने वाले सैन फ्रांसिस्को स्थित गोएशल लॉ के मुख्य वकील मैल्कम गोएशल ने कहा, 'हम अभी जो देख रहे हैं, वह बहुत चिंता और घबराहट वाला है...ऐसा लगता है कि ये (प्रशासन) और अधिक गति पकड़ रहा है, और हमें नहीं पता कि आगे क्या होने वाला है।'
वहीं, टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक एक अन्य आव्रजन-केंद्रित कानूनी फर्म डेविस एंड एसोसिएट्स, LLC की कंट्री हेड सुकन्या रमन ने कहा, 'जब से नए ट्रंप प्रशासन ने कार्यभार संभाला है, हमने वैध गैर-आप्रवासी वीजा धारकों जिनमें H-1B और F-1 वीजा धारक शामिल हैं, साथ ही अमेरिकी प्रवेश बंदरगाहों पर ग्रीन कार्ड धारकों से पूछताछ में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है।'
इंडिया लॉ ऑफिसेज एलएलपी के प्रबंध साझेदार गौतम खुराना ने कहा, 'हम देख रहे हैं कि एच-1बी वीजा धारकों (भारतीयों) द्वारा अमेरिका से बाहर यात्रा न करने की संख्या में वृद्धि हो रही है, क्योंकि उन्हें डर है कि वे फिर से अमेरिका में प्रवेश नहीं कर सकेंगे।'