चीन के करीबी माने जाने वाले और ‘इंडिया आउट’ का नारा देकर मालदीव के राष्ट्रपति बने मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी पीपल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) ने देश के संसदीय चुनाव में बड़ी जीत हासिल की है। मालदीव के संसदीय चुनाव के लिए मतदान 21 अप्रैल को कराए गए थे और अब नतीजे सामने आए हैं। पीएनसी ने मालदीव की संसद ‘मजलिस’ (Majlis) की 93 सीटों में से 90 सीटों पर चुनाव लड़ा था और समाचार लिखे जाने तक आए 86 सीटों के नतीजों में 66 पर जीत हासिल कर ली है। इस तरह मालदीव के संसद में दो तिहाई से अधिक की बहुमत के साथ पीएनसी इस बार कदम रखने जा रही है।
देश में मुख्य विपक्षी पार्टी मालदिवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) केवल 15 सीट जीत सकी है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार मालदीव के जानकार और यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में व्याख्याता अजीम जहीर कहते हैं, ‘यह मुइज्जू के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।’ जहीर आगे कहते हैं, ‘राजनीतिक संस्थागत दृष्टिकोण से मुइज्जू अब प्रभावी रूप से सब कुछ नियंत्रित कर सकते हैं। वह सैद्धांतिक रूप से न्यायपालिका को भी नियंत्रित कर सकते हैं क्योंकि उनके पास संसद में पर्याप्त संख्या है।’
मालदीव चुनाव के नतीजे क्यों अहम…क्या ये भारत के लिए झटका है?
माना जा रहा है कि मालदीव के संसदीय चुनाव के नतीजे भारत विरोधी माने जाने वाले राष्ट्रपति मुइज्जू को संसद के माध्यम से अपनी नीतियों को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाएंगे। राष्ट्रपति मुइज्जू चीन के करीब माने जाते हैं और पिछले साल राष्ट्रपति बनने के बाद से इसकी झलक कई बार देखने को मिलती रही है।
मालदीव की संसद ‘मजलिस’ में इससे पहले तक विपक्षी पार्टी मालदिवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) का बहुमत था, जो भारत समर्थक मानी जाती है। ऐस में मुइज्जू को अपनी चीन परस्त नीतियों को आगे बढ़ाने में लगातार मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। दरअसल, मालदीव की संसद के पास राष्ट्रपति के निर्णयों पर भी रोक लगाने की शक्ति है। चुनाव से पहले पीएनसी उस गठबंधन का हिस्सा थी जो सदन में अल्पमत में था। इसका मतलब यह था कि भले ही मुइज्जू राष्ट्रपति थे, लेकिन उनके पास नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए राजनीतिक ताकत नहीं थी। जबकि अब तस्वीर उलटी है।
इससे पहले विपक्षी एमडीपी के प्रभुत्व वाले सदन ने मुइज्जू की कई योजनाओं को रोक दिया था। साथ ही विपक्ष के सदस्य लगातार मुइज्जू के भारत विरोधी स्टैंड की आलोचना भी करते थे। मुइज्जू के एक वरिष्ठ सहयोगी के अनुसार, ‘वह (मुइज्जू) भारतीय सैनिकों को वापस भेजने के वादे पर सत्ता में आए थे और वह इस पर काम कर रहे हैं। संसद सहयोग नहीं कर रही है।’ यह परिणाम उस परिस्थिति को बदल देगा।
इस संसदीय चुनाव को चीन के साथ आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने की मुइज्जू की योजनाओं के टेस्ट के रूप में भी देखा जा रहा था। राष्ट्रपति बनने के बाद से मुइज्जू ने चीनी सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियों को कई बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के कॉन्ट्रैक्टस दिए हैं। अब उनकी पार्टी की बड़ी चुनावी जीत उनके लिए अधिकांश बाधाओं को दूर कर देगी।
‘इंडिया आउट’ का नारा देकर राष्ट्रपति बने थे मुइज्जू
मुइज्जू भारत विरोध का नारा बुलंद करते हुए पिछले साल राष्ट्रपति बने थे। उनका पूरा अभियान मालदीव की ‘भारत पहले’ नीति को समाप्त करने पर केंद्रित था, जिसे पिछली सरकार ने अपनाया था। मुइज्जू राष्ट्रपति बनने के बाद से अभी तक भारत की यात्रा पर भी नहीं आए हैं। यही नहीं, उन्होंने भारत के प्रभाव को कम करने के लिए मालदीव में स्थित सभी भारतीय सैनिकों को घर भेजने की भी बात कही है।
असल में बचाव और टोही कार्य के लिए दो हेलीकॉप्टरों और एक विमान के रखरखाव और संचालन के लिए लगभग 85 भारतीय सैन्यकर्मी मालदीव में स्थित थे। ये विमान कुछ साल पहले दिल्ली की ओर से मालदीव को दिए गये थे। अब भारतीय सैन्यकर्मियों के दो बैच पहले ही मालदीव छोड़ चुके हैं और उनकी जगह भारत के सिविलियन टेक्निकल स्टाफ ने ले ली है। शेष सैनिकों के 10 मई तक मालदीव छोड़ने की उम्मीद है।
भारतीय सैनिकों के वापस भारत भेजने के मुइज्जू के फैसले ने दिल्ली के साथ माले के संबंधों में भी तनाव ला दिया था। भारत से नाराजगी के बीच मुइज्जू इसी साल जनवरी में बीजिंग की यात्रा पर गए थे और निवेश के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
मालदीव पर्यटन का बहिष्कार भी रहा था सुर्खियों में
पिछले साल से भारत और मालदीव के रिश्तों में आई खटास के बाद से भारतीयों की तरफ से सोशल मीडिया पर मालदीव पर्यटन का बहिष्कार भी हाल में सुर्खियों में रहा था। इसका असर भी मालदीव में देखने को मिला है। मालदीव सरकार के हालिया आंकड़ों के मुताबिक मालदीव घूमने जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई है।
साल 2024 की पहली तिमाही में मालदीव की यात्रा करने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट की बात सामने आई है। इन आंकड़ों के मुताबिक मालदीव में इस तिमाही में सबसे ज्यादा पर्यटक चीन से पहुंचे। जबकि भारत, जो मालदीव का दूसरा पड़ोसी देश है, वहां से मालदीव जाने वालों की संख्या घटकर छठवें स्थान पर पहुंच गई।
आंकड़ों के मुताबिक चीन के बाद रूस से सबसे अधिक पर्यटक मालदीव पहुंचे हैं। इसके बाद यूरोप-यूके, इटली व जर्मनी का नंबर है। आंकड़ों के अनुसार मार्च 2023 की तुलना में मार्च 2024 में भारतीय पर्यटकों की संख्या में 54 प्रतिशत की गिरावट आई है। इससे पहले जनवरी और मार्च 2023 के बीच मालदीव पहुंचने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या 56,208 थी, जो इस साल जनवरी-मार्च के बीच घटकर 34,847 हो गई।