पाकिस्तान में बलोच कार्यकर्ता सरकार के निशाने पर, महरंग बलोच समेत कई के खिलाफ FIR

पिछले कई महीनों से पाकिस्तान की सरकार ने मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ महरंग बलोच की स्वतंत्र आवाजाही पर प्रतिबंध लगा रखा है। अब उन पर और बलूच येकजेहती कमिटी (बीवाईसी) के कई साथी सदस्यों के खिलाफ तुरबत पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया है।

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Pakistan wants Balochistan through force and violence: Mahrang Baloch

बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. महरांग बलूच (फोटो- एक्स)

क्वेटा: मानवाधिकार कार्यकर्ता और बलोच यकजेहती कमिटी (बीवाईसी) की आयोजक डॉ. महरंग बलोच ने पाकिस्तानी पर बलूचिस्तान में शांतिपूर्ण राजनीतिक आवाजों को दबाने के लिए 'बल और हिंसा' का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर डॉ. बलोच ने लिखा कि बीवाईसी ने 24 नवंबर को तुरबत शहर में एक शांतिपूर्ण सेमिनार का आयोजन किया था। उन्होंने बताया कि यह सेमिनार 'बलोच लोगों के चल रहे नरसंहार' को उजागर करने के लिए बुलाया गया था।

महरंग बलोच ने आरोप लगाया कि तुरबत पुलिस ने उनके और उनके कई अन्य समर्थकों के खिलाफ 'गैरकानूनी' रूप से एफआईआर दर्ज की है। डॉ. बलोच ने कहा, 'यह कार्रवाई तानाशाही की ओर बढ़ते कदम का एक स्पष्ट संकेत है, जहां शांतिपूर्ण सेमिनार और सभाओं को भी दमन का सामना करना पड़ता है।'

'द बलूचिस्तान पोस्ट' की एक रिपोर्ट के अनुसार एफआईआर में कथित तौर पर तुरबत के वरिष्ठ वकील डॉ. महरंग बलोच, 70 वर्षीय अम्मा नसीमा, बालाच मौला बक्स के परिवार, सिबगतुल्लाह और बीवाईसी के अन्य प्रतिनिधियों के नाम शामिल हैं।

यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि पाकिस्तान के मुख्य समाचार पत्रों ने सरकारी एजेंसियों के निर्देश पर बलूचिस्तान की अधिकांश घटनाओं का कवरेज लगभग बंद कर दिया है। वहीं, स्थानीय अधिकारियों ने एफआईआर दर्ज होने की पुष्टि की है लेकिन उन्होंने आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं की है। साथ ही सेमिनार में हिस्सा लेने वालों को निशाना बनाने के कारणों के बारे में नहीं बताया है।

हमें नहीं रोक सकेगी दमनकारी नीति: महरंग बलोच

डॉ. महरंग बलोच ने इस तरह की कार्रवाइयों का विरोध करते रहने की प्रतिबद्धता जताते हुए कहा, 'इस तरह की दमनकारी रणनीति हमें रोक नहीं पाएगी। हम किसी भी हालत में चुप नहीं बैठेंगे। हम अपने अधिकारों के लिए और बलोच लोगों के योजनाबद्ध तरीके से हो रहे नरसंहार के खिलाफ आवाज उठाना जारी रखेंगे।'

डॉ. बलोच ने सोमवार को बलूचिस्तान में सैन्य अभियानों का समर्थन करने के लिए पंजाब के बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की आलोचना की थी। उन्होंने ये टिप्पणी ग्वादर बार रूम के दौरे के दौरान की थी, जहां ग्वादर बार के अध्यक्ष नईम शरीफ और अन्य सदस्यों ने उनका स्वागत किया था।

वकीलों की एक सभा को संबोधित करते हुए डॉ. महरंग बलोच ने बलोच लोगों के सामने आ रही चुनौतियों पर बात की और मजबूत राजनीतिक और कानूनी सक्रियता की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, 'हमारे लोग इस बात से अनजान हैं कि क्या हो रहा है। वे पहले ही बेहद जुल्म सह चुके हैं। आज, सेना उनके घरों को जला देती है और उन्हें विस्थापित कर देती है, फिर भी कोई इस पर सवाल नहीं उठाता।'

महरंग बलोच ने पाकिस्तान की न्यायिक प्रणाली पर भी बलोच लोगों के 'नरसंहार' को एक तरह से समर्थन देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रणाली इस उत्पीड़न को बढ़ावा दे रही है और अगर इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई जाती है तो भविष्य में और भी अधिक ऐसी कार्रवाई हो सकती है। उन्होंने कहा, 'बलोच राष्ट्र के अस्तित्व के लिए इस आंदोलन को और अधिक सुनियोजित और एकजुट होना चाहिए।'

बलूचिस्तान: 10 साल से स्कूल छात्र के अपहरण पर बवाल

बलूचिस्तान में रेल और सड़क यातायात पिछले तीन दिनों से बाधित है। दरअसल, 10 वर्षीय स्कूली छात्र के अपहरण के विरोध में राजनीतिक दलों, व्यापारियों और नागरिक समाज के संयुक्त आह्वान पर सोमवार को पूरे प्रांत में पूर्ण चक्का जाम रहा। क्वेटा और प्रांत के अन्य हिस्सों में सभी सरकारी और निजी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बंद रहे।

बलूचिस्तान विधानसभा में भी विपक्षी सांसदों ने अपहरण का मुद्दा उठाया और 10 दिन बीत जाने के बावजूद बच्चे की सुरक्षित बरामदगी में विफलता के लिए सरकार की आलोचना की।

इस बीच, एक अन्य लापता युवक दिलजान बलोच की सुरक्षित वापसी की मांग को लेकर अवारन में उपायुक्त (डीसी) परिसर के बाहर पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से धरना जारी है। परिवार ने घोषणा की है कि दिलजान बलोच के सुरक्षित वापसी होने तक डीसी कॉम्प्लेक्स किसी भी गतिविधि के लिए पूरी तरह से बंद रहेगा। अवारान के निवासी दिलजान को कथित तौर पर 12 जून, 2024 को पाकिस्तानी बलों ने हिरासत में ले लिया था और तब से वह लापता है। उसके ठिकाने या मौजूदा स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

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