बर्लिन: जर्मनी ने मंगलवार को कहा कि लाल सागर में एक चीनी सैन्य पोत ने जर्मन निगरानी विमान को लेजर से निशाना बनाया। इसके बाद जर्मनी की ओर से इस घटना को लेकर राजनयिक स्तर पर कड़ी आपत्ति जताई गई और बर्लिन में चीनी राजदूत को भी तलब किया गया। जिस एयरक्राफ्ट पर चीन की ओर से हमला किया गया, वह यूरोपीय संघ के नेतृत्व वाले ASPIDES मिशन का हिस्सा था, जो यमन के हूथी विद्रोहियों की वजह से उच्च जोखिम वाले जल क्षेत्र से गुजरने वाले नागरिक जहाजों की सुरक्षा करता है। 

जर्मन विदेश कार्यालय ने इस कृत्य को 'पूरी तरह से अस्वीकार्य' बताया और चीनी युद्धपोत पर उसके कर्मियों और परिचालन सुरक्षा दोनों को खतरे में डालने का आरोप लगाया। इस घटना ने पहले से ही अस्थिर इस समुद्री क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है।

बिना चेतावनी के किया गया हमला

समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस महीने की शुरुआत में कथित तौर पर एक चीनी युद्धपोत द्वारा लेजर दागा गया था, जो बार-बार इस क्षेत्र में सामने आ रहा था। जिस विमान को निशाना बनाया गया, उसे नागरिक वाणिज्यिक प्रदाता द्वारा संचालित किया जा रहा था। इसमें जर्मन सेना के जवान सवार थे। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि लेजर से हमले के पहले किसी तरह का संपर्क या कारण नहीं बताया गया था।

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने नाम न बताने की शर्त पर एपी को बताया कि 'लेजर का इस्तेमाल करके युद्धपोत ने लोगों और एयरक्राफ्ट पर रखी सामग्री को खतरे में डालने का जोखिम उठाया।' एहतियात के तौर पर विमान ने अपना मिशन रद्द कर दिया और जिबूती में अपने बेस पर सुरक्षित उतर गया। इस घटना में किसी को कोई हानि नहीं पहुंची। बाद में एयरक्राफ्ट भी अपने मिशन पर वापस काम करने लगा।

क्या है ASPIDES, चीन ने क्या प्रतिक्रिया दी?

यूरोपीय संघ की साझा सुरक्षा और रक्षा नीति के तहत ASPIDES मिशन का ध्यान विशेष रूप से लाल सागर, अदन की खाड़ी और हिंद महासागर से गुजरने वाले वाणिज्यिक और व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा पर रहता है। यह किसी भी आक्रामक या सैन्य हमले में भाग नहीं लेता है। 

हूथी विद्रोही हमलों से बढ़ते खतरे के कारण दक्षिणी लाल सागर को उच्च जोखिम वाला क्षेत्र घोषित किया गया है। अक्सर अंतरराष्ट्रीय शिपिंग को निशाना बनाकर किए जाने वाले इन हमलों ने वैश्विक व्यापार को बाधित किया है और क्षेत्र में तनाव को बढ़ाया है।

इन सबके बीच मंगलवार तक चीन ने जर्मनी के आरोपों पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया जारी नहीं की है। बर्लिन में चीनी दूतावास और चीन के विदेश मंत्रालय ने राजनयिक सम्मन के बाद भी चुप्पी साधे रखी है। इस बीच, यमन के हूथी विद्रोहियों ने लाल सागर में लाइबेरियाई झंडे वाले मालवाहक जहाज पर एक और हमला किया और यह करीब एक घंटे तक चला। एक दिन पहले इन विद्रोहियों ने एक और जहाज को डुबोने का दावा किया था। 

बताते चलें कि लेजर हमले से हालांकि किसी को चोट नहीं पहुंची, लेकिन इस घटना ने साझा अंतरराष्ट्रीय जल में सैन्य बलों के बीच साझा नियमों और सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा कर दी है। बर्लिन के लिए, बिना किसी पूर्व चेतावनी के चीनी युद्धपोत द्वारा लेजर डिवाइस का उपयोग परिचालन मानदंडों का उल्लंघन है, विशेष रूप से तब जब यह एक शांति मिशन था।