इजराइल ने जब केवल 'टूथपेस्ट' के जरिए फिलिस्तीनी कमांडर की कर दी थी हत्या! गुत्थी सुलझाने में लग गए कई दशक

इजराइली लेखक और पत्रकार एरोन जे. क्लेन ने अपनी पुस्तक स्ट्राइकिंग बैक में यह दावा किया था कि वादी हद्दाद की मौत जहरीली चॉकलेट के कारण हुई थी।

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Know how Israel murdered Palestinian leader Wadie Haddad using only toothpaste it took decades to solve mystery of conspiracy

इजराइल और ईरान (फाइल फोटो- IANS)

तेहरान: हाल में हमास चीफ इस्माइल हानिया की ईरान में हत्या के बाद मध्य पूर्व क्षेत्र में तनाव काफी बढ़ चुका हैं और इससे एक नए युद्ध की शुरुआत की आहट भी मिल रही है। कुछ रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि यह हत्या इजराइल ने करवाई है। दावा यह भी है कि इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद ने हत्या को अंजाम देने के लिए तेहरान में ईरानी सुरक्षा एजेंटों का इस्तेमाल किया है। हालांकि इसकी अभी पुष्टि नहीं हो पाई है।

तेहरान के जिस गेस्ट हाउस में हमास का चीफ ठहरा हुआ था वहां पर विस्फोटक लगवाने और इस्माइल हानिया की हत्या करवाने के लिए इजराइल को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

हालांकि यह पहली बार नहीं है कि जब इजराइल ने इस तरह की हत्या को अंजाम दिया है, बल्कि पूर्व में मोसाद द्वारा इस तरह के हत्याओं को अंजाम दिया गया है। साल 1978 में भी मोसाद ने इसी तरीके से फिलिस्तीनी नेता वादी हद्दाद की हत्या की थी। मोसाद के एजेंटों ने जहरीले टूथपेस्ट का इस्तेमाल कर फिलिस्तीनी नेता वादी की हत्या थी।

कौन था वादी हद्दाद

वादी हद्दाद पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ फिलिस्तीन (पीएफएलपी) का नेता था। उस पर कई हाई-प्रोफाइल हमलों का आरोप था। वादी पर साल 1976 में एयर फ्रांस फ्लाइट 139 का अपहरण करने का भी आरोप था। इस ऑपरेशन को एंटेबे अपहरण नाम दिया गया था। वादी द्वारा विमान को अपहरण कर उसे पहले लीबिया और फिर युगांडा ले जाया गया था।

विमान को वादी के कब्जे से छुड़ाने के लिए इजराइल ने ऑपरेशन थंडरबोल्ट चलाया था। इस ऑपरेशन में विमान को सफलतापूर्वक बचा लिया गया था लेकिन इसमें इजराइल के लेफ्टिनेंट कर्नल योनातन नेतन्याहू की मौत हो गई थी।

इजराइल ने ऐसे लिया था बदला

विमान अपहरण और लेफ्टिनेंट कर्नल योनातन नेतन्याहू की मौत के बाद इजराइल ने बदला लेने की ठानी थी और इसके लिए वह वादी को निशाना बनाना शुरू किया था। अंतरराष्ट्रीय जांच से बचने के लिए और हाई प्रोफाइल और डायरेक्ट हमले से बचने के लिए इजराइल ने एक खास तरीका निकाला था।

इजराइल द्वारा वादी को जहरीले टूथपेस्ट के जरिए मारने की योजना बनाई गई थी। इसके लिए इजराइल ने कथित तौर पर 'एजेंट सैडनेस' नामक अपने एक एजेंट को यह काम सौंपा था जिसकी पहुंच वादी हद्दाद तक थी।

इजराइल के लैब में बना था जहर

10 जनवरी 1978 को इजराइल के 'एजेंट सैडनेस' ने वादी द्वारा हर रोज इस्तेमाल किए जाने वाले टूथपेस्ट को जहरीले टूथपेस्ट से बदल दिया था। यह टूथपेस्ट इजराइल इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल रिसर्च द्वारा विकसिक किया गया था जिसे इस्तेमाल करने वाले की धीरे-धीरे मौत हो जाती है।

जहर को इस तरीके से बनाया गया था कि यह श्लेष्म झिल्ली के माध्यम से वादी के रक्तप्रवाह में प्रवेश करे और फिर धीरे-धीरे उसे यह घातक खुराक मिलती रहे जिससे अंत में उसकी मौत हो जाए।

वादी की इलाज के लिए जर्मनी से मांगी गई थी मदद

ऐसे में जब भी वादी ब्रश करता था जहर का थोड़ा खुराक उसके पेट में जाता था और उस पर असर होना शुरू हो जाता था। जनवरी में ही जहर ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था और इस कारण बगदाद में मौजूद वादी की हालत धीरे-धीरे खराब होने लगी थी।

उसे पेट में दर्द और वजन घटने जैसी समस्याएं होने लगी थी। शीर्ष इराकी डॉक्टरों की इलाज के बावजूद उसकी हालात खराब होती गई थी। जब वादी की हालत ज्यादा खराब होने लगी तो फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन के नेता यासर अराफात ने पूर्वी जर्मनी की खूफिया एजेंसी स्टासी से इस संबंध में मदद मांगी थी।

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जर्मन डॉक्टर भी नहीं पकड़ पाए थे

इसके बाद वादी को 19 मार्च 1978 को हवाई रास्ते के जरिए पूर्वी बर्लिन ले जाया गया और एक गुप्त अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां पर उसका इलाज चला था। इस दौरान वादी के कई टेस्ट किए गए और इलाज जारी रहा लेकिन उसकी हालत दिन पर दिन खराब होती रही।

जर्मनी के डॉक्टरों ने भी उसकी बिगड़ती तबियत को लेकर कोई ठोस प्रमाण नहीं दे पाए थे और कहा था कि हो सकता है कि वादी को चूहे को देने वाला जहर या फिर थैलियम दिया गया हो।

सालों तक नहीं सुलझ पाई थी वादी की मौत की गुत्थी

गंभीर रक्तस्राव और प्लेटलेट काउंट में गिरावट के कारण 29 मार्च 1978 को वादी की मौत हो गई थी। वादी की मौत के बाद जब प्रोफेसर ओटो प्रोकॉप ने उसके शरीर का पोस्टमार्टम किया तो यह पता चला कि वादी हद्दाद की मौत ब्रेन हैमरेज और पैनमायलोपैथी के कारण हुए निमोनिया से हुई थी।

कई सालों से इस मौत का गुत्थी सुलझ नहीं पाई थी और वादी की कैसे मौत हुई है, इसका पता नहीं चल पाया था।

वादी को मौत को लेकर किए गए कई दावें

वादी की मौत को लेकर इससे पहले कई दावे किए गए थे। इजराइली लेखक और पत्रकार एरोन जे. क्लेन ने अपनी पुस्तक "स्ट्राइकिंग बैक" में यह दावा किया था कि वादी की मौत जहरीली चॉकलेट के कारण हुई थी।

एक और इजराइली पत्रकार और लेखक रोनेन बर्गमैन ने अपनी किताब "राइज एंड किल फर्स्ट" में वादी की हत्या के पीछे टूथपेस्ट के इस्तेमाल का जिक्र किया था।

बर्गमैन की पुस्तक में इस ऑपरेशन को 'कम हस्ताक्षर वाली हत्या' के रूप में वर्णित किया गया था। यह हत्या इतनी सफाई से की गई थी कि इसके विवरण को सार्वजनिक होने में लगभग तीन दशक लग गए थे।

जर्मन स्टासी ने पकड़ लिया था जहर देने का तरीका

इस किताब के जरिए अपने खुलासे के बाद बर्गमैन ने टाइम्स ऑफ इजराइल के साथ एक साक्षात्कार में यह दावा किया था कि पूर्वी जर्मनी की खूफिया एजेंसी स्टासी ने यह पकड़ लिया था कि वादी को कैसे और किस तरीके से जहर दी गई थी। बर्गमैन ने बताया कि स्टासी को यह संदेह हो गया था कि वादी के टूथपेस्ट में जहर दिया गया था।

बर्गमैन ने यह भी दावा किया है कि यही कारण है कि वादी की हत्या के बाद इराकी खुफिया विभाग ने यात्रा के दौरान अपने डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को एहतियात के तौर पर अपना टूथपेस्ट साथ रखने का आदेश दिया था।

मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि मोसाद की कार्रवाइयां इजराइल के मार्गदर्शक सिद्धांत बेबीलोनियाई तल्मूड से प्रभावित है। इस सिद्धांत में यह कहा गया है कि "अगर कोई तुम्हें मारने आता है, तो उठो और पहले उन्हें मार डालो।" इजराइल द्वारा इस सिद्धांत को हमास नेताओं की हत्या के प्रयासों में देखा गया है।

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