केन्या के साथ क्यों बढ़ रहा सूडान का तनाव, सख्त कदम उठाने की दी चेतावनी

सूडान के अधिकारियों ने दरअसल केन्या पर आरएसएफ को सपोर्ट करने का आरोप लगाया, जो अप्रैल 2023 के मध्य से सूडानी सशस्त्र बलों (एसएएफ) से लड़ रहा है।

Sudan

फाइल फोटो Photograph: (IANS)

खार्तूम: सूडानी सरकार ने सोमवार को अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) को इस्तेमाल करने का आरोप केन्या पर लगाया है। सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए केन्या के खिलाफ सख्त कदम उठाने का फैसला लिया है। 

सूडान के विदेश मंत्रालय के अवर सचिव हुसैन अल-अमीन ने पोर्ट सूडान में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम अफ्रीकी संघ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों को एक ज्ञापन सौंपेंगे और सूडान के शत्रुतापूर्ण रुख को देखते हुए उसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने को तैयार हैं।"

उन्होंने कहा, "हम केन्याई उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाने सहित आर्थिक कार्रवाई करेंगे, खासकर इसलिए क्योंकि सूडान केन्या के सबसे बड़े चाय आयातकों में से एक है।"

आरएसएफ का सहयोग करने का आरोप

सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, सूडानी अधिकारी ने केन्या पर आरएसएफ को सपोर्ट करने का आरोप लगाया, जो अप्रैल 2023 के मध्य से सूडानी सशस्त्र बलों (एसएएफ) से लड़ रहा है।

उन्होंने केन्या द्वारा आरएसएफ और उसके सहयोगियों के लिए एक संस्थापक चार्टर पर हस्ताक्षर समारोह की मेजबानी करने को "एक शत्रुतापूर्ण कार्य और सूडान के आंतरिक मामलों में स्पष्ट हस्तक्षेप" बताया, जिसमें समानांतर सरकार के गठन का आह्वान किया गया है।

उन्होंने कहा कि केन्या का व्यवहार संयुक्त राष्ट्र, अफ्रीकी संघ, विकास पर अंतर-सरकारी प्राधिकरण और अन्य सहित सभी अंतरराष्ट्रीय चार्टर और समझौतों का उल्लंघन था।

सूडान के विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान जारी कर केन्या को आरएसएफ और उसके सहयोगियों की मेजबानी करने के लिए फटकार लगाई।

पिछले हफ्ते, आरएसएफ सहित सूडान के विपक्षी समूहों ने सूडान में एक समानांतर नागरिक सरकार स्थापित करने के लिए केन्या के नैरोबी में सूडान संस्थापक चार्टर पर हस्ताक्षर किए।

एसएएफ और आरएसएफ के बीच संघर्ष

सूडान में पिछले साल अप्रैल से एसएएफ और आरएसएफ के बीच भीषण संघर्ष जारी है। अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के अनुसार, इस युद्ध में अब तक कम से कम 29,683 लोगों की जान जा चुकी है और बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए हैं।

इस संघर्ष के कारण सूडान की अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचा बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हजारों लोग पड़ोसी देशों में शरण लेने को मजबूर हुए हैं। हालात को देखते हुए कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने संघर्ष विराम की अपील की है, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है।

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article