वॉशिंगटन: इजराइल-हमास जंग के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इजराइल का बचाव करते हुए कहा कि ‘गाजा पट्टी में हमास के लड़ाकों के खिलाफ उसका हमला ‘नरसंहार’ नहीं है।’ बाइडन ने व्हाइट हाउस में यहूदी अमेरिकी विरासत माह कार्यक्रम (Jewish American Heritage Month event) में कहा, ‘अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) द्वारा लगाए गए आरोपों से उलट गाजा में जो हो रहा है वह नरसंहार नहीं है। हम इसे खारिज करते हैं।’
बाइडन ने आगे कहा, ‘हम इजराइल के नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट के आईसीसी के आवेदन को खारिज करते हैं। इन वारंटों का जो भी अर्थ हो, इजराइल और हमास के बीच कोई समानता नहीं है। यह स्पष्ट है, इजराइल नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहता है।’
‘हम चाहते हैं हमास हार जाए’
बाइडन ने कहा, ‘हम (याह्या) सिनवार (हमास प्रमुख) और हमास के बाकी कसाईयों को बाहर निकालने के लिए इजराइल के साथ खड़े हैं। हम चाहते हैं कि हमास हार जाए। ऐसा हो, इसके लिए हम इजराइल के साथ मिलकर काम करेंगे।’ बाइडन ने कहा कि हमास द्वारा छेड़े गए युद्ध की वजह से ‘पीड़ित निर्दोष फिलिस्तीनियों’ की वर्तमान स्थिति ‘दिल दहला देने वाली’ है। उन्होंने कहा कि उनकी टीम उन्हें ‘महत्वपूर्ण मानवीय सहायता’ प्रदान करने के लिए काम कर रही है।
इजारइली पीएम और हमास चीफ के खिलाफ अरेस्ट वारंट!
दरअसल, आईसीसी के मुख्य अभियोजक ने कथित युद्ध अपराधों के लिए शीर्ष इजराइली और हमास नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट के लिए आवेदन किया है। आईसीसी अभियोजक करीम खान ने सोमवार को बताया कि उनके कार्यालय ने इजराइल पर हमास के नेतृत्व में 7 अक्टूबर के हमले और फिर गाजा पर इजराइल के हमले के बाद भड़के युद्ध के लिए हमास और इजराइल के शीर्ष नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट की अनुशंसा की है।
खान कहा कि उनके कार्यालय के पास यह मानने का ‘उचित आधार’ है कि इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योआव गैलेंट को ‘युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों’ के लिए ‘आपराधिक जिम्मेदारी’ लेनी चाहिए। खान ने युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए हमास के तीन नेताओं – याह्या सिनवार, इस्माइल हानियेह, और मोहम्मद दीब इब्राहिम अल-मसरी (मोहम्मद देइफ) के लिए भी गिरफ्तारी वारंट का आवेदन किया है।
अब आगे क्या…आईसीसी के अरेस्ट वारंट का क्या मतलब है?
आईसीसी में अब जजों का एक पैनल अब इस बात पर विचार करेगा कि इजराइली शीर्षी नेताओं और हमास के नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाए या नहीं। इसके बाद आईसीसी की रोम संधि (Rome Statute) पर हस्ताक्षर करने वाले देश मौका मिलने पर इन्हें हिरासत में लेने के लिए बाध्य होंगे। अभी तक 124 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें रूस, चीन और अमेरिका शामिल नहीं हैं। इजराइल ने भी हस्ताक्षर नहीं किये हैं।
हालांकि, आईसीसी ने कहा है कि उसके पास युद्ध में आपराधिक कृत्यों पर मुकदमा चलाने का कानूनी अधिकार है क्योंकि फिलिस्तीनी ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं। बहरहाल, यदि गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाता है तो इसका मतलब यह होगा कि इजराइल के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले नेतन्याहू का पश्चिमी सहयोगी देशों में जाना हमेशा खतरे से भरा होगा क्योंकि उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी होगी।
गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ तो हमास का क्या होगा?
दूसरी ओर यदि हमास के पॉलिटिकल ब्रांच के प्रमुख इस्माइल हानियेह के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होता है, तो उन्हें अरब नेताओं से मिलने के लिए अपनी नियमित यात्राओं के बारे में गंभीरता से सोचना होगा। ऐसे में वे कतर में अपने बेस पर अधिक समय बिताएंगे क्योंकि उसने भी इजराइल की तरह ही आईसीसी की रोम संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
वहीं, माना जा रहा है कि अन्य हमास के अन्य दो आरोपी याह्या सिनवार और मोहम्मद देइफ गाजा के अंदर ही कहीं छिपे हुए हैं। ऐसे में गिरफ्तारी वारंट से उन पर कुछ खास दबाव नहीं पड़ेगा। इजराइल वैसे भी पिछले सात महीने से उन्हें मारने की कोशिश कर रहा है।
इन नेताओं पर जारी हो चुका है वारंट
नेतन्याहू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होता है तो वे भी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और लीबिया के दिवंगत कर्नल मुअम्मर गद्दाफी की श्रेणी में शामिल हो जाएंगे। यूक्रेन से रूस में बच्चों के गैरकानूनी निर्वासन और स्थानांतरण के लिए पुतिन को गिरफ्तारी वारंट का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, अपने ही लोगों द्वारा मारे जाने से पहले कर्नल गद्दाफी के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट आम नागरिकों की हत्या और उत्पीड़न के लिए जारी किया था।