जापान को मिलेगा नया प्रधानमंत्री! फुमियो किशिदा का पार्टी अध्यक्ष पद का अगला चुनाव लड़ने से इनकार

जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा भले ही घरेलू स्तर पर विवादों में रहे लेकिन अपनी विदेश कूटनीति के लिए सुर्खियाँ भी बटोरते रहे हैं। जापान लंबे समय से संकटग्रस्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका का एक प्रमुख सहयोगी बन कर उभरा है।

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japan pm fumio kishida may resign as will not seek re election for ldp chief

जापान को मिलेगा नया प्रधानमंत्री! फुमियो किशिदा का पार्टी अध्यक्ष पद का अगला चुनाव लड़ने से इनकार (फोटो- IANS)

टोक्यो: जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा है कि पार्टी को एक नए शुरुआत की जरूरत है। माना जा रहा है कि सितंबर में पार्टी द्वारा नया अध्यक्ष चुने जाने के बाद 67 वर्षीय किशिदा प्रधानमंत्री पद छोड़ सकते हैं।

साल 2021 से जापान के प्रधानमंत्री रहे किशिदा के लिए देश में समर्थन लगातार घट रहा है। इसके पीछे की अहम वजहों में उनकी पार्टी से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले, बढ़ती महंगाई और जापानी मुद्रा येन में गिरावट जैसी बातें शामिल हैं। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले महीने यानी जुलाई में उनकी अप्रूवल रेटिंग भी गिरकर 15.5% हो गई थी, जो एक दशक से भी अधिक समय में किसी जापानी पीएम के लिए सबसे कम है।

फुमियो किशिदा ने क्या कहा है?

किशिदा ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने फैसले की घोषणा करते हुए कहा, 'आगामी राष्ट्रपति चुनाव में लोगों को यह दिखाना जरूरी है कि लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी बदल जाएगी।'

उन्होंने कहा, 'एक पारदर्शी और खुला चुनाव सहित स्वतंत्र और खुली बहस महत्वपूर्ण है। एलडीपी बदल जाएगी, ये आसानी से समझाने के लिए सबसे पहला कदम जो मेरे लिए है, वह ये कि मैं पीछे हट जाऊं।'

1955 से एलडीपी का रहा है दबदबा

जापानी पीएम के इस कदम से पहले ही पार्टी के भीतर कुछ लोगों ने संदेह करना शुरू कर दिया था कि क्या किशिदा अपने नेतृत्व में 2025 में होने वाले आम चुनाव में एलडीपी को जीत दिला सकते हैं। जापान में एलडीपी 1955 से लगभग लगातार सत्ता में रही है।

इस बीच एक वरिष्ठ नेता ने जापानी ब्रॉडकास्टर एनएचके से कहा कि उन्होंने किशिदा को चुनाव लड़ने के लिए मनाने की कोशिश की थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने कहा कि यह 'गैर-जिम्मेदाराना' होगा।

पार्टी में किशिदा के गुट के एक अन्य सदस्य ने इस फैसले को 'बहुत अफसोसजनक और दुर्भाग्यपूर्ण' बताया, उन्होंने कहा कि पीएम किशिदा का 'विदेश नीति, रक्षा नीति और घरेलू राजनीति में अच्छा रिकॉर्ड था, लेकिन उन्हें राजनीति और पैसे मुद्दे पर पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।'

एलडीपी को लेकर क्या विवाद है?

जापान की राजनीति की समझ रखने वालों के अनुसार एलडीपी इस समय गंभीर राजनीतिक संकट से गुज़र रही है। सत्तारूढ़ दल के सामने अपनी छवि को साफ करने की चुनौती है।

पिछले साल दिसंबर में पार्टी के लिए फंड जुटाने से जुड़े एक घोटाले के सामने आने के बाद एलडीपी के चार कैबिनेट मंत्रियों ने करीब एक पखवाड़े के भीतर इस्तीफा दे दिया था। इस घोटाले को लेकर उंगली पार्टी के सबसे शक्तिशाली धड़े पर उठी थी। इस गुट का नेतृत्व पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो भी पहले कर चुके हैं। इसी शक्तिशाली गुट के पांच वरिष्ठ उप-मंत्रियों और एक संसदीय उप-मंत्री ने भी पद छोड़ दिया था।

जापान इस बात की आपराधिक जांच भी तब शुरू हुई थी कि क्या दर्जनों एलडीपी सांसदों को फंड जुटाने के कार्यक्रमों से आय प्राप्त हुई थी। आरोप लगे कि लाखों डॉलर आधिकारिक पार्टी रिकॉर्ड में शामिल ही नहीं किए गए थे। उस समय किशिदा द्वारा धन जुटाने से जुड़े इस घोटाले से निपटने के तरीके की सार्वजनिक आलोचना हुई थी। इससे उनकी लोकप्रियता में काफी कमी आई।

इसके अलावा जापानी परिवार इन दिनों लगभग पिछले आधी सदी में सबसे तेज दर से बढ़ने वाली खाद्य वस्तुओं की कीमतों की समस्या से भी जूझ रहे हैं। कमजोर और विभाजित विपक्ष के बावजूद, आर्थिक मोर्चे और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार की विफलता ने सत्तारूढ़ दल को लेकर लोगों में अविश्वास बढ़ाया है।

फुमियो किशिदा कौन हैं?

किशिदा के परिवार का राजनीति से पुराना संबंध रहा है। उनके पिता और दादा दोनों जापान के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स के सदस्य रहे हैं। किशिदा पहली बार 1993 में सदन के लिए चुने गए थे। वे 2012 से 2017 के बीच पांच साल तक जापान के सबसे लंबे समय तक विदेश मंत्री रहने वाले शख्स भी हैं।

उन्होंने अक्टूबर 2021 में योशीहिदे सुगा की जगह लेते हुए पीएम का पद संभाला था। सुगा ने सिर्फ एक साल के बाद पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके कुछ महीने बाद ही किशिदा ने 2021 के आम चुनाव में एलडीपी को जीत दिलाई। पिछले तीन वर्षों में किशिदा की सरकार ने बढ़ती महंगाई के बीच वेतन और घरेलू आय बढ़ाने के लिए नीतियों पर जोर दिया है।

किशिदा कोविड-19 महामारी के बाद जापान को फिर से पटरी पर लाने में कामयाब रहे। साथ ही वह उस समय भी पद पर थे जब जापान के राजनीतिक इतिहास में सबसे चौंकाने वाला मोड़ आया। दरअसल, ये जुलाई 2022 का वक्त था जब जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या गोली मारकर कर दी गई थी। किशिदा हालांकि शिंजो आबे को राजकीय अंत्येष्टि देने के फैसले पर भी विवादों में आए थे।

विदेश नीति को लेकर सुर्खियों में रहे किशिदा

किशिदा भले ही घरेलू स्तर पर विवादों में रहे लेकिन अपनी विदेश कूटनीति के लिए सुर्खियाँ भी बटोरते रहे हैं। जापान लंबे समय से संकटग्रस्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका का एक प्रमुख सहयोगी बन कर उभरा है। जापान को अक्सर चीन और परमाणु हथियार से लैस उत्तर कोरिया के आक्रामक रवैये का सामना करना पड़ता है। ऐसे में किशिदा देश के सैन्य बजट का विस्तार करने में सफल रहे हैं।

उनकी सरकार के तहत वाशिंगटन के साथ जापान का रक्षा सहयोग गहरा हुआ है। उन्होंने दक्षिण कोरिया के साथ भी जापान के रिश्तों में सुधार किया है। इसके अलावा एक और अभूतपूर्व समय वो भी था जब जापान, अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने पिछले अगस्त में 'कैंप डेविड शिखर सम्मेलन' में एक संयुक्त बयान जारी करते हुए उनके बीच सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया।

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