बीजिंगः चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को तीन सबसे बड़ा खतरा बताया। उन्होंने इन खतरों से निपटने के लिए एससीओ देशों से सख्त और साझा रुख अपनाने की अपील की।
बैठक में पाकिस्तान और चीन सहित 10 सदस्य देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे। जयशंकर ने नाम लिए बिना पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि अप्रैल 2024 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में जो आतंकी हमला हुआ, वह न केवल धार्मिक विभाजन को भड़काने बल्कि कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की सोची-समझी साजिश थी।
एस जयशंकर ने कहा, "भारत ने इस हमले के दोषियों, योजनाकारों, फंडिंग करने वालों और उनके मददगारों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की है और आगे भी करता रहेगा।" उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की और दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने की बात कही थी।
जयशंकर की यह सख्त टिप्पणी तब आई जब इससे कुछ घंटे पहले पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने चीन से ‘भाईचारे’ और ‘अटूट साझेदारी’ की बात की थी। डार ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद कहा था, "हम पाक-चीन रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने को प्रतिबद्ध हैं।"
भारत की ओर से पहलगाम आतंकी हमले के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया गया, जिसमें पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। जयशंकर ने कहा कि आतंक और उसके समर्थकों के बीच कोई भेद नहीं किया जा सकता। उन्होंने एससीओ को इसके संस्थागत उद्देश्यों के प्रति ईमानदार रहने के लिए आतंकवाद के खिलाफ "बिलकुल भी समझौता न करने वाला" रुख अपनाने को कहा।
एससीओ में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस देश शामिल हैं। यह संगठन क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और आतंकवाद विरोधी रणनीति के लिए स्थापित हुआ था।