हिजबुल्लाह के पेजरों में ब्लास्ट की योजना पर इजराइल कब से कर रहा था काम? रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

एडिट
हिजबुल्लाह के पेजरों में ब्लास्ट की योजना पर इजराइल कब से कर रहा था काम? रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

तेल अवीवः लेबनान में ईरान समर्थित आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के हजारों पेजर और वॉकी-टॉकी 17 और 18 सितंबर को अचानक विस्फोटित हो गए, जिसमें 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग घायल हो गए। हाल ही में सामने आई जानकारी के अनुसार, यह इजराइल की सालों से चली आ रही एक सुनियोजित ऑपरेशन का हिस्सा था। इजराइल ने करीब एक दशक तक इन उपकरणों में गुप्त रूप से विस्फोटक लगाए थे, जिनका इस्तेमाल वह न केवल जासूसी के लिए कर रहा था, बल्कि आपात स्थिति में उन्हें दूर से नियंत्रित कर विस्फोट करने की क्षमता भी रखता था।

मोसाद की पेजर ब्लास्ट योजना 2015 में शुरू हुई

वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना का पहला चरण 2015 में इजराइली जासूसी एजेंसी मोसाद द्वारा शुरू किया गया था, जिसमें इन उपकरणों को गुप्त रूप से लेबनान में हिजबुल्लाह तक पहुंचाया गया था। रिपोर्ट में अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा गया है, "9 साल तक इजराइल हिजबुल्लाह की बातचीत को सुनने तक सीमित रहा, लेकिन संकट की स्थिति में वॉकी-टॉकी को बम में बदलने का विकल्प उसके पास था। फिर एक नया अवसर और एक शक्तिशाली विस्फोटक वाला छोटा पेजर विकसित किया गया।"

दो साल पहले बेची गई थी "अपोलो AR924" पेजर की पहली खेप

2022 में पेजर विस्फोट की योजना उजागर हुई थी, जो 7 अक्टूबर 2023 को हुए हमास हमले से काफी पहले बनाई गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, हिजबुल्लाह को "अपोलो AR924" पेजर की पहली खेप दो साल पहले बेची गई थी। इन पेजर्स का आकार थोड़ा बड़ा था और इनमें लगी बैटरी लंबे समय तक चल सकती थी, जिससे इजरायली विशेषज्ञों ने इनमें आसानी से विस्फोटक सामग्री छिपा दी थी।

दो-चरणीय प्रक्रिया से विस्फोट

इन पेजर्स की सबसे घातक विशेषता उनकी दो-चरणीय प्रक्रिया थी, जिससे उपयोगकर्ता को पेजर का उपयोग करने के लिए दोनों हाथों का इस्तेमाल करना पड़ता था। रिपोर्ट में बताया गया कि 17 सितंबर को मोसाद ने इन उपकरणों में विस्फोट किया, जब अधिकांश उपयोगकर्ता दोनों हाथों से पेजर पकड़े हुए थे। इस विस्फोट के परिणामस्वरूप उनके दोनों हाथ बुरी तरह जख्मी हो गए, जिससे वे लड़ने की स्थिति में नहीं रहे।

इजराइल ने हिजबुल्लाह में घुसपैठ के कई प्रयास किए

मोसाद ने हिजबुल्लाह में घुसपैठ के लिए इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और मानव मुखबिरों के जरिए कई प्रयास किए। हिजबुल्लाह के नेताओं को ऐसे संचार माध्यम की तलाश थी जो इजराइल द्वारा ट्रैक न किया जा सके। इसी संदर्भ में, अपोलो पेजर्स को एक ऐसे उपकरण के रूप में पेश किया गया, जिसका उपयोग हिजबुल्लाह बिना किसी निगरानी के कर सके।

इस ऑपरेशन के लिए ताइवान की कंपनी का चयन करना भी बेहद महत्वपूर्ण था, क्योंकि हिजबुल्लाह के नेता इजराइल से जुड़े देशों के उपकरणों के प्रति सजग थे। ताइवान की अपोलो पेजर्स, जो वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध थी, का इजराइल या यहूदी हितों से कोई सीधा संबंध नहीं था, जिससे हिजबुल्लाह को यह उपकरण सुरक्षित प्रतीत हुआ।

पेजर और वॉकी-टॉकी के विस्फोट ने इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच लंबे समय से चल रहे संघर्ष में एक नए चरण की शुरुआत की, जिसके परिणामस्वरूप पूरे पश्चिम एशिया में युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई।

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article