फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र (UN) का परमानेंट मेंबर बनाने का प्रस्ताव पास होने के खिलाफ इजराइल के राजदूत गिलाद एर्दान ने सबके सामने आक्रोश में यूएन चार्टर फाड़ दिया। एर्दान ने कहा कि यह दिन संयुक्त राष्ट्र की बदनामी के दिन के तौर पर याद किया जाएगा।

महासभा में भाषण के दौरान एर्दान ने इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि इसने पिछले महीने सुरक्षा परिषद में अमेरिका के वीटो को दरकिनार कर दिया। उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर को फाड़कर सदस्य देशों को आइना दिखा रहे हैं।

इजराइल ने कहा, यह दिन कलंक के रूप में याद किया जाएगा

संयुक्त राष्ट्र चार्टर को फाड़ते हुए इजराइली राजदूत ने कहा, "यह दिन कलंक के रूप में याद किया जाएगा। मैं चाहता हूं कि पूरी दुनिया इस अनैतिक कृत्य को याद रखे...आज मैं आपके लिए एक आईना दिखाना चाहता हूं, ताकि आप देख सकें कि आप इस विनाशकारी मतदान के साथ संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर क्या थोप रहे हैं। आप अपने ही हाथों से संयुक्त राष्ट्र के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।" एर्दान ने इसका वीडियो अपने आधिकारिक एक्स से शेयर किया है।

भारत सहित 143 मतों के बहुमत से पारित हुआ प्रस्ताव 

संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने शुक्रवार को विश्‍व निकाय में फिलिस्तीन की सदस्यता को विशेष दर्जा देने के लिए मतदान किया, जिसका उद्देश्य पूर्ण सदस्यता पर अमेरिकी वीटो को रोकना था। प्रस्ताव को भारत सहित 143 मतों के बहुमत से पारित किया गया। 25 देशों ने भाग नहीं लिया और संयुक्त राज्य अमेरिका और इजराइल सहित 9 देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया।

आधुनिक नाजियों के दरवाजा खोल दिया

प्रस्ताव निर्धारित करता है कि "फिलिस्तीन राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 4 के अनुसार संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिए योग्य है और इसलिए उसे संयुक्त राष्ट्र में सदस्यता दी जानी चाहिए"। इजराइल के दूत ने आरोप लगाया कि फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता देने के लिए पारित प्रस्ताव ने आधुनिक नाजियों के दरवाजा खोल दिया है, जिसका मतलब हमास से है। आप हमास जैसे आतंकी संगठन को भी विशेषाधिकार देने और भविष्य के आतंकवादी राष्ट्र को लिखने जा रहे हैं। आपने संयुक्त राष्ट्र को आधुनिक नाजियों के लिए खोल दिया है, हमारे समय के हिटलर के लिए...।

प्रस्ताव पास होने के बाद फिलिस्तीन UN का परमानेंट मेंबर बन गया?

वर्तमान प्रस्ताव फिलिस्तीन को परमानेंट मेंबर का दर्जा नहीं देता है। लेकिन उन्हें इसमें शामिल होने के लिए योग्य मानता है। साथ ही उसको संयुक्त राष्ट्र महासभा के भीतर भागीदारी और कुछ विशेष अधिकार मिलेगा। इस प्रस्ताव के बाद फिलिस्तीन सितंबर 2024 से असेंबली हॉल में संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के साथ बैठ सकेगा। हालांकि उसे संयुक्त राष्ट्र के किसी भी प्रस्ताव में मतदान का अधिकार नहीं होगा।

प्रस्ताव के विरोध में किन देशों ने मतदान किया

संयुक्त राज्य अमेरिका और इजराइल सहित 9 देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया जिनमें अर्जेंटीना, चेक गणराज्य, हंगरी, माइक्रोनेशिया, माउरू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी शामिल हैं।

कब एक प्रस्ताव पास होता है?

यूएन दस्तावेज के अनुसार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में कोई भी प्रस्ताव तब पास होता है जब कम से कम नौ सदस्य उसके पक्ष में मतदान करते हैं। और किसी भी स्थायी सदस्य - चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका - वीटो का इस्तेमाल नहीं करते हैं। पिछली बार भी फिलिस्तीन को परमानेंट मेंबर बनाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पेश किया गया था लेकिन अमेरिका ने वीटो लगा दिया था। प्रस्ताव के पक्ष में तब 12 वोट पड़े थे।  न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक मौजूदा प्रस्ताव भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जाएगा, जहाँ अमेरिका इस पर वीटो लगा देगा।