अमेरिका के बाद इजराइल का ईरान के फोर्दो परमाणु संयंत्र पर हमला, छह एयरबेस पर भी एयर स्ट्राइक

विवार को अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों—फोर्दो, नतांज और इस्फहान—पर बंकर बस्टर बम से हमला किया था। इसे ट्रंप ने एक "बहुत सफल सैन्य अभियान" करार दिया था।

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फोर्दो परमाणु संयंत्र। फोटोः X/@leandroOnX

तेहरान/तेल अवीलः ईरानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिकी एयर स्ट्राइक के बाद इजराइल ने भी ईरान की राजधानी तेहरान के दक्षिण में स्थित भूमिगत फोर्दो परमाणु संयंत्र को निशाना बनाया है। कोम प्रांत के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रवक्ता के हवाले से तस्नीम समाचार एजेंसी ने बताया कि आक्रमणकारी ने फोर्दो परमाणु स्थल पर फिर हमला किया है। रविवार अमेरिकी एयर स्ट्राइक में ईरान के फोर्दो, नतांज और इस्फहान स्थित परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया था।

इजराइली सेना ने सोमवार को यह भी कहा कि उसने ईरान के छह प्रमुख एयरबेस पर समन्वित हवाई हमले किए हैं। इन हमलों का उद्देश्य ईरान की वायुसेना की क्षमताओं को गंभीर रूप से कमजोर करना और ईरानी हवाई हमलों की संभावनाओं को रोकना था। इज़रायली डिफेंस फोर्स (IDF) के अनुसार, यह ऑपरेशन देश की "ईरानी वायु क्षेत्र पर वायु श्रेष्ठता" को और गहरा करने के लिए किया गया।

IDF के बयान के अनुसार, यह हमले ईरान के पश्चिमी, मध्य और पूर्वी हिस्सों में फैले छह हवाई ठिकानों पर किए गए। इन ठिकानों पर रनवे, भूमिगत हैंगर, ईंधन भरने वाले विमानों और ईरान के F-14, F-5 और AH-1 जैसे फाइटर जेट्स को निशाना बनाया गया। रिपोर्टों के मुताबिक, ये विमान इजराइली लड़ाकू विमानों पर जवाबी हमला करने के लिए तैयार किए जा रहे थे।

मिसाइल लॉन्च साइटों पर अलग से हमला

IDF ने बताया कि इसके अलावा इजराइल के 15 से अधिक फाइटर जेट्स ने केरमांशाह में ईरान की जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल लॉन्च साइटों पर हमला किया, जिससे ईरान की ओर से संभावित मिसाइल हमलों की क्षमता को "निष्क्रिय" किया जा सके। सेना के मुताबिक, "इन हवाई ठिकानों से लॉन्चिंग की क्षमता को बाधित किया गया है और ईरानी वायुसेना की शक्ति को गंभीर क्षति पहुंचाई गई है।"

ईरान का दावा- सीरिया में अमेरिकी सैन्य अड्डो पर हमला किया

सोमवार को ईरान ने भी सीरिया स्थित अमेरिका के एक सैन्य अड्डे पर हमला किया। हालांकि इस कथित हमले की अब तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। गौरतलब है कि रविवार को अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों—फोर्दो, नतांज और इस्फहान—पर बंकर बस्टर बम से हमला किया था। इसे ट्रंप ने एक "बहुत सफल सैन्य अभियान" करार दिया था। उन्होंने ने 'ट्रुथ सोशल' पर इसे अमेरिका, इजराइल और दुनिया के लिए ऐतिहासिक क्षण बताते हुए ईरान से युद्ध समाप्त करने की अपील की।

अमेरिकी हमले के बाद ट्रंप ने अपने संबोधन में चेतावनी दी, “ईरान या तो शांति का रास्ता चुनेगा, या ऐसी तबाही झेलेगा जैसी पिछले आठ दिनों में भी नहीं देखी गई।” उन्होंने इसे अमेरिका के सैन्य इतिहास में दशकों में सबसे बड़ा अभियान बताया और कहा कि ईरान को अब यह समझ लेना चाहिए कि उसकी गुंडागर्दी और परमाणु धमकियों का युग खत्म हो चुका है।

ट्रंप ने आगे कहा था, मैंने बहुत पहले ही तय कर लिया था कि मैं ईरान को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने दूंगा। ईरान सिर्फ इजराइल के लिए नहीं, बल्कि अमेरिका के लिए भी खतरा है। ईरान पिछले 40 सालों से अमेरिका और इजराइल के खात्मे की बात करता रहा है। 

खामेनेई की अमेरिका को चेतावनी

इसी बीच, अमेरिका द्वारा ईरानी परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों के बाद, ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई ने पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए सख्त चेतावनी दी। उन्होंने एक्स पर लिखा, “यहूदी दुश्मनों ने बहुत बड़ी गलती की है, एक गंभीर अपराध किया है, उसे सजा मिलनी चाहिए और वह सजा दी जा रही है।”

उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने ये हमले 13 जून को इजराइल द्वारा ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों के बाद किए थे, जिनमें कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए थे। इसके जवाब में ईरान ने भी इजराइल पर मिसाइल और ड्रोन से हमले किए।

इसी दिन, इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने भी कहा, “इजराइल, ईरान और गाजा दोनों मोर्चों पर अपने ऑपरेशन को पूरी शक्ति के साथ जारी रखेगा। हम इस ऐतिहासिक अभियान को तब तक नहीं रोकेंगे जब तक अपने लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते।”

एक मानवाधिकार समूह ने कहा कि ईरान पर इजरायली हमलों में कम से कम 950 लोग मारे गए हैं और 3,450 अन्य घायल हुए हैं।

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका-ईरान आमने-सामने

उधर, सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में अमेरिका और ईरान के बीच तीखी बहस देखने को मिली। ईरान के यूएन दूत, अमीर सईद इरावानी ने अमेरिका के हमलों को अपराध बताते हुए प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर आरोप लगाया कि उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप को इस युद्ध में घसीटा, जिसकी शुरुआत 13 जून को इजराइल के परमाणु स्थलों और वैज्ञानिकों पर किए गए हमले से हुई थी। इरावानी ने चेतावनी दी कि “अब जवाब का समय, तरीका और आकार ईरान की सशस्त्र सेनाएं तय करेंगी।”

 

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