इजराइल का दावा- 'हिज्बुल्लाह के 100 से ज्यादा रॉकेट लॉन्चर ध्वस्त किए', भारत की भी चिंता बढ़ाएगा पश्चिम एशिया का तनाव

इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच सीधी जंग का मतलब होगा कि ईरान भी इस संघर्ष का हिस्सा बन सकता है। पश्चिम एशिया के इस क्षेत्र में 90 लाख से ज्यादा भारतीय रहते हैं। भारत का लगभग दो-तिहाई कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस भी पश्चिम एशियाई क्षेत्र से आता है।

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इजराइल का दावा- 'हिज्बुल्लाह के 100 से ज्यादा रॉकेट लॉन्चर ध्वस्त किए', भारत की भी चिंता बढ़ाएगा पश्चिम एशिया का तनाव

तेल अवीव: इजराइल ने दावा किया है कि उसके लड़ाकू विमानों ने हिज्बुल्लाह के 100 से ज्यादा रॉकेट लॉन्चर सहित कुछ अन्य 'आतंकी ठिकानों' को ध्वस्त कर दिया है। इजराइल के अनुसार उसने दक्षिणी लेबनान के हिस्सों में हमला कर उस एक जगह को भी ध्वस्त किया जहां कई हथियार रखे गए थे।

इजराइल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) का कहना है कि नष्ट किए गए ये लॉन्चर इजराइल पर हमले के लिए तैयार थे। फिलहाल ये साफ नहीं है कि इजराइल की कार्रवाई में कोई हताहत हुआ है या नहीं।

इस बीच लेबनान की सरकारी नेशनल न्यूज एजेंसी ने बताया है कि इजराइल ने दक्षिणी हिस्से में गुरुवार शाम (स्थानीय समय) कम से कम 52 स्ट्राइक किए। लेबनान ने कहा है कि उसने भी उत्तरी इजराइल में सैन्य ठिकानों पर हमले किए हैं। गुरुवार की सुबह, दक्षिणी लेबनान में हिज्बुल्लाह के लड़ाकों ने सीमा पार से दो एंटी टैंक मिसाइलें दागी थी। इसके बाद ड्रोन भी दागे गए। आईडीएफ ने बताया कि दो इजरायली सैनिक इसमें मारे गए और तीसरा गंभीर रूप से घायल हो गया।

इससे पहले, हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह ने कहा था कि लेबनान में पेजर और वॉकी टॉकी जैसे उपकरणों में कराए गए घातक विस्फोटों ने 'सभी हदों को पार कर दिया है।' हसन नसरल्लाह ने आरोप लगाया कि इजराइल की ओर से ये युद्ध की घोषणा है।

इजराइल ने पेजर धमाकों पर क्या कहा है?

लेबनान में हिज्बुल्लाह सदस्यों को टार्गेट कर कराए गए पेजर और वॉकी टॉकी धमाकों पर इजराइल ने अभी चुप्पी साध रखी है। लेबनान में मंगलवार और बुधवार को देश भर में पेजर और वॉकी-टॉकी में एक साथ कई विस्फोट हुए थे। लेबनानी अधिकारियों के अनुसार इसमें 37 लोग मारे गए और 3,000 से ज्यादा घायल हुए।

हालांकि इजराइली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने ये जरूर कहा है कि इजराइल 'युद्ध के नए चरण' की शुरुआत कर रहा है और अपने प्रयासों को उत्तर में अधिक केंद्रित कर रहा है।

गौरतलब है कि पिछले साल 8 अक्टूबर को हमास के बंदूकधारियों द्वारा इजराइल के क्षेत्र में अभूतपूर्व हमले के बाद से इस इलाके में युद्ध भड़का है। हमास पर कार्रवाई के लिए इजराइल ने गाजा में हमले शुरू किए। वहीं, हिजबुल्लाह ने फिलिस्तीन के साथ एकजुटता दिखाने हुए इजराइली ठिकानों पर गोलीबारी की।

इसके बाद से इजराइल के लेबनान के साथ लगती सीमा पर गोलीबारी जारी है। इसमें सैकड़ों लोग मारे गए हैं। ज्यादातर हिजबुल्लाह लड़ाके हैं। हजारों लोग विस्थापित भी हुए हैं। हिजबुल्लाह ने कहा है कि वह हमास के समर्थन में लड़ रहा रहा है। खास बात ये है कि हमास और हिज्बुल्लाह दोनों को ईरान का समर्थित हैं। दूसरी ओर इजराइल सहित दुनिया के कई देश इन दोनों ग्रुप को आतंकवादी संगठन मानते हैं और प्रतिबंध लगाया हुआ है।

बढ़ता तनाव भारत के लिए क्यों होगा चिंता का विषय?

इजराइल अभी तक हमास के खिलाफ जंग कर रहा था। हिज्बुल्लाह से छिटपुट गोलीबारी जैसे परिदृश्य थे। अगर इजराइल और हिज्बुल्लाह पूरी तरह जंग की शुरुआत करते हैं तो भारत की चिंता भी बढ़ सकती है। दरअसल, भारत अब तक इजराइल और फिलिस्तीनियों के बीच मुद्दों पर कूटनीतिक तरीके से आगे बढ़ने में कामयाब रहा है।

हालांकि इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच जंग का मतलब होगा कि ईरान भी इस संघर्ष का हिस्सा बन सकता है। ऐसे में आशंका होगी कि अमेरिका भी शामिल हो जाए। इससे भारत के सामने जटिल कूटनीतिक चुनौती आ सकती है। साल 2012 की फरवरी में नई दिल्ली में एक बम हमले में एक इजराइली राजनयिक की पत्नी को निशाना बनाया गया था। भारत नहीं चाहेगा कि ऐसी घटना फिर से हो।

वैसे भी इस पूरे क्षेत्र में लगभग 90 लाख से अधिक भारतीय रहते हैं और काम करते हैं। इनमें से कई अपने परिवारों के एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं। साथ ही भारत में बाहर से पैसे आने का ये बड़ा स्रोत भी हैं। जंग के और व्यापर स्तर पर पहुंचने से भारत के लिए अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता बढ़ जाएगी।

एक और अहम बात ये भी है कि भारत का लगभग दो-तिहाई कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस पश्चिम एशियाई क्षेत्र से आता है। हालात बिगड़ते हैं तो कच्चे तेल की कीमतों और आपूर्ति पर बड़ा असर होगा।

इससे पहले जब ईरान ने कुछ महीने पहले अप्रैल में जब इजराइल पर हमला किया था, तब भारत ने गंभीर चिंता व्यक्त की थी और दोनों देशों से तत्काल तनाव कम करने का आह्वान किया था। फिलहाल की स्थिति पर भारत की ओर से कोई बयान अभी नहीं आया है।

अप्रैल के हमले के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन सहित इजराइल के विदेश मंत्री इजराइल काट्ज से भी पूरे हालात को लेकर चर्चा की थी। इससे ये संदेश जाता है कि दोनों पक्षों ने भारत पर भरोसा कायम रखा हुआ है। वैसे भी भारत के इजराइल और ईरान दोनों से अच्छे रिश्ते हैं। हालांकि तनाव अगर चरम पर पहुंच गया तो भारत की भूमिका कैसी होगी, यह देखना अभी बाकी है।

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