तेल अवीव: इजराइली सेना ने बुधवार को विवादित गाजा पट्टी पर कब्जा करने की योजना को आगे बढ़ाते हुए इस पर कार्रवाई शुरू कर दी है। वहीं, दूसरी ओर कब्जे वाले वेस्ट बैंक पर हजारों नए आवासों को मंजूरी दी गई है। इस कदम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता और बहस पैदा कर दी है। फिलिस्तीनी राज्य के भविष्य को लेकर भी संशय पैदा हो गया है। 

बहरहाल, इजराइल की सेना के मुख्य प्रवक्ता, ब्रिगेडियर जनरल एफी डेफ्रिन ने घोषणा की है कि इजराइल ने 'युद्ध का अगला चरण शुरू कर दिया है' और सेना गाजा शहर के बाहरी इलाकों में पहुँच गई है। बताया गया कि विस्थापित निवासियों को दक्षिणी गाजा में स्थानांतरित करने की तैयारी चल रही है।

इस बीच, वेस्ट बैंक पर इजराइली सरकार ने 3,400 बस्तियों के निर्माण को हरी झंडी दे दी है। परियोजना को इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कट्टरपंथी गठबंधन सहयोगी और वित्त मंत्री बेजेल स्मोट्रिच ने इस बात का प्रमाण बताया कि 'फलिस्तीनी राज्य का विचार बातचीत से गायब हो रहा है।'

इस अधिग्रहण के लिए इजराइल के रक्षा मंत्री इजरायल कात्ज ने लगभग 60,000 रिजर्व सैनिकों को बुलाने की अनुमति दी है, जिससे हमास पर दबाव बढ़ रहा है। ये दो घोषणाएँ ऐसे समय में की गईं जब मध्यस्थों ने एक नया युद्धविराम प्रस्ताव पेश किया है, जो कथित तौर पर इजराइल द्वारा पहले बताई गई शर्तों के करीब है। अब हालाँकि, अधिग्रहण की योजना पर आगे बढ़ने की इजराइल की योजना ने संदेह पैदा कर दिया है कि क्या बढ़ते तनाव के बीच बातचीत आगे बढ़ पाएगी।

गाजा पर इजराइल के कब्जे की कोशिश, क्या है इसका मतलब?

अगर इजराइल गाजा पर 'पूरी तरह नियंत्रण' करता है, तो वह 2005 में लिए गए उस फैसले को पलट देगा जब इजराइल ने इस क्षेत्र से अपने सैनिकों और बसने वालों को वापस बुला लिया था। तब से, इजराइल ने गाज़ा की सीमाओं, हवाई क्षेत्र पर नियंत्रण बनाए रखा है। अब इस कदम का मतलब यह भी हो सकता है कि इजराइली सेना गाजा के उन हिस्सों में प्रवेश करेगी जिन पर अभी उसका नियंत्रण नहीं है। 

इजराइल के कुछ दक्षिणपंथी नेताओं का तर्क है कि 2005 में गाजा से सैनिकों की वापसी ने हमास को 2006 में चुनाव जीतकर सत्ता में आने में मदद की। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि लक्ष्य हमास को हराना और बचे हुए बंधकों को छुड़ाना है। फिलहाल लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इजराइल की गाजा पर नियंत्रण की यह योजना अल्पकालिक है या दीर्घकालिक।

गाजा का शासन कौन चलाएगा?

पिछले कुछ समय से ऐसी खबरें आती रही हैं कि इजराइल खुद गाजा पर शासन नहीं चलाना चाहता है। हाल में फॉक्स न्यूज से बातचीत में नेतन्याहू ने कहा था कि इजराइल गाजा को अपने नियंत्रण में नहीं रखेगा। उन्होंने कहा था कि इजराइल एक सुरक्षा घेरा बनाना चाहता है और शासन नहीं करना चाहता। ऐसी भी खबरें सामने आईं कि नेतन्याहू इसे अरब देशों को शासन के लिए सौंप देंगे।

हालांकि, अब तक कोई भी अरब देश गाजा पर शासन करने में मदद के लिए सहमत नहीं हुआ है। एक जॉर्डन अधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, 'अरब देश केवल उसी का समर्थन करेंगे जिस पर फिलिस्तीनी सहमत होंगे और निर्णय लेंगे।' उन्होंने आगे कहा कि सुरक्षा का प्रबंधन फिलिस्तीनी संस्थाओं द्वारा किया जाना चाहिए। वहीं, हमास नेता ओसामा हमदान ने अल जजीरा से का था कि इजराइल के साथ मिलकर गाजा पर शासन करने की कोशिश करने वाली किसी भी ताकत को 'कब्जा करने वाली' शक्ति माना जाएगा। 

इस साल की शुरुआत में, मिस्र ने युद्ध के बाद गाजा पर शासन करने के लिए एक तटस्थ फिलिस्तीनी समिति गठित करने की अरब देशों द्वारा समर्थित एक योजना का प्रस्ताव रखा था। लेकिन इजराइल और अमेरिका दोनों ने इसे अस्वीकार कर दिया था।

गाजा की स्थिति क्या है?

इजरायली सेना ने दावा किया है कि अभी गाजा के लगभग 75 प्रतिशत हिस्से पर उसका नियंत्रण है। लेकिन गाजा के 20 लाख लोगों में से ज्यादातर पिछले 22 महीनों में युद्ध के दौरान कई बार विस्थापित हुए हैं। एक स्थानीय निवासी 30 वर्षीय अया मोहम्मद ने कहा, 'हम कहाँ जाएँ? हम काफी विस्थापित और अपमानित हो चुके हैं।' हमास का कहना है कि वह केवल उसी समझौते पर सहमत होगा जो युद्ध को स्थायी रूप से समाप्त कर दे। इजरायल का कहना है कि हमास सत्ता छोड़ने को लेकर गंभीर नहीं है।