बांग्लादेश: पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को फिर नहीं मिली राहत, जमानत याचिका खारिज

भारत ने इस मामले में निष्पक्ष और पारदर्शी सुनवाई की मांग की है और संबंधित लोगों के कानूनी अधिकारों का सम्मान करने पर जोर दिया है।

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ISKCON Priest Chinmoy Krishna Das again did not get relief bail plea rejected Bangladesh court

पुजारी चिन्मय कृष्ण दास (फाइल फोटोः IANS)

ढाका: बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता और हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गुरुवार को चिटगांव कोर्ट ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मेट्रोपॉलिटन पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एडवोकेट मोफिजुर हक भुइयां ने कहा कि चटगांव मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सैफुल इस्लाम ने लगभग 30 मिनट तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जमानत याचिका खारिज कर दी।

सुनवाई के बाद चिन्मय के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने बताया कि वे जमानत के लिए हाईकोर्ट में अपील करने की योजना बना रहे हैं। बता दें कि हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था, तब से वह जेल में हैं। उनके के लिए न्याय की मांग बढ़ती जा रही है।

इससे पहले दिन में अपूर्व कुमार भट्टाचार्य हाई-प्रोफाइल मामले में चिन्मय का प्रतिनिधित्व करने के लिए सुबह करीब 10:15 बजे कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत पहुंचे। उनके प्रयासों के बावजूद, अदालत का फैसला उनकी याचिका के खिलाफ गया।

इससे पहले 11 दिसंबर को इस्कॉन पुजारी की प्रारंभिक जमानत याचिका हुई थी खारिज

बता दें कि इससे पहले, 11 दिसंबर को बांग्लादेश की एक अदालत ने चिन्मय कृष्ण दास की प्रारंभिक जमानत याचिका खारिज कर दी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह याचिका प्रक्रिया में खामियों के कारण खारिज की गई। अदालत ने कहा कि वैध पावर ऑफ अटॉर्नी और वकील की अनुपस्थिति के कारण याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती।

मामले ने तब नया मोड़ ले लिया जब दास के वकीलों में से एक, सुभाशीष शर्मा, सुरक्षा कारणों से तीन दिसंबर की सुनवाई में शामिल नहीं हो सके। अभियोक्ता मोफिजुल हक भुइयां ने कहा कि उचित दस्तावेजों और कानूनी प्रतिनिधित्व की कमी के कारण पहले की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न हुई थी।

इस बीच, भारत ने निष्पक्ष और पारदर्शी सुनवाई की मांग की है, जिसमें सभी संबंधित लोगों के कानूनी अधिकारों का सम्मान करने की जरूरत पर जोर दिया गया है।

चिन्मय कृष्ण दास क्यों हुए थे गिरफ्तार?

बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद अल्पसंख्यकों पर हिंसा और अत्याचार के मामले बढ़ गए हैं। अगस्त में शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से हिंदू संगठनों ने कई बड़ी रैलियां निकालीं।

इन रैलियों में, बांग्लादेश इस्कॉन के नेता चिन्मय कृष्ण दास ने रंगपुर में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एक रैली का नेतृत्व किया। इसके बाद दास और 19 अन्य हिंदुओं के खिलाफ राजद्रोह के मामले दर्ज किए गए।

दरअसल, 25 अक्टूबर को चटगांव के लालदिघी मैदान में सनातन जागरण मंच ने अपनी आठ सूत्री मांगों को लेकर एक विशाल रैली आयोजित की। इस रैली के दौरान मंच के नेताओं ने भाषण दिया। इसी दौरान कुछ लोगों ने आजादी स्तंभ पर एक भगवा ध्वज फहराया, जिस पर "आमी सनातनी" लिखा हुआ था।

बांग्लादेश के राष्ट्रीय झंडे के ऊपर भगवा झंडा लगाने की घटना को राष्ट्रीय झंडे का अपमान माना गया। इसके बाद, 31 अक्टूबर को बीएनपी पार्टी के नेता फिरोज खान ने चिन्मय कृष्ण दास सहित 19 लोगों के खिलाफ चटगांव में राजद्रोह का मामला दर्ज कराया।

चिन्मय कृष्ण दास पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया, जिसके चलते उनकी गिरफ्तारी हुई। हालांकि, चिन्मय कृष्ण दास ने सफाई दी कि इस घटना से सनातन संगठनों का कोई संबंध नहीं था। उन्होंने कहा कि भगवा झंडा लगाने की यह घटना लालदिघी इलाके से लगभग दो किलोमीटर दूर हुई थी।

इसके बाद चिन्मय कृष्ण दास पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया और उन्हें ढाका से गिरफ्तार किया गया। ढाका की एक अदालत ने 26 नवंबर को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।

(समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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