तमाम आशंकाओं के बीच आखिरकार ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन से इजराइल पर शनिवर रात हमला बोल दिया। यह पहली बार है जब ईरान ने सीधे-सीधे इजराइल पर इस तरह की कार्रवाई की है। इस हमले के बाद इजरायल में हवाई हमले की चेतावनी जारी कर दी गई। इससे पहले शनिवार (13 अप्रैल) को ईरान ने इजराइल के एक मालवाहक जहाज को भी कब्जे में ले लिया था। सामने आई जानकारी के अनुसार इस जहाज में कुल 25 लोग सवार थे, जिनमें से 17 भारतीय हैं।
ऐसे में भारतीय को सुरक्षित छुडा़ने के लिए भारत सरकार अपनी कोशिशें शुरू कर चुकी है। ऐसी खबरें हैं कि भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और उनकी जल्द रिहाई को लेकर भारक सरकार ईरान की सरकार के संपर्क में है। हालांकि भारत की चिंता केवल इन भारतीय को सुरक्षित शिप से बाहर निकालने भर से खत्म नहीं होने वाली है। इजराइल और ईरान के बीच अगर संघर्ष बढ़ा तो ऐसी परिस्थिति भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है।
ईरान और इजराइल…दोनों से हैं भारत के अच्छे संबंध
भारत के ईरान और इजरायल दोनों ही देशों से भारत के बेहद अच्छे संबंध हैं। जाहिर है ऐसे में भारत को कोई भी स्टैंड लेने से पहले कई बार सोचना होगा। इजरायल में लगभग 18000 भारतीय रहते हैं। वहीं, ईरान में लगभग 10000 भारतीय रहते हैं। ऐसे में इजराइल ने अगर ईरान के हमले का जवाब दिया तो बात बढ़ सकती है और फिर दोनों देशों में रह रहे भारतीय की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाएगी।
इन्हीं तमाम वजहों से भारत ने रविवार को इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव पर गंभीर चिंता व्यक्त की और दोनों देशों से संयम बरतने व हिंसा से पीछे हटने का आह्वान किया। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा गया, ‘हम इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव से गंभीर रूप से चिंतित हैं, इससे क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को खतरा है।’
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के एक्स पर किए पोस्ट में कहा, ‘हम स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। क्षेत्र में अपने दूतावास व भारतीय समुदाय के साथ निकट संपर्क में हैं। यह महत्वपूर्ण है कि क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता बनी रहे।’
Iran Vs Israel: भारत के लिए यह क्षेत्र महत्वपूर्ण क्यों है?
इन दोनों देशों और आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं, ये भारत की चिंता का एक अहम कारण है। इसके अलावा इस बात पर भी गौर करना होगा कि पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली-तेहरान संबंधों का फोकस चाबहार बंदरगाह का विकास रहा है। भारत द्वारा ईरान में तैयार किया गया यह बंदरगाह पाकिस्तान में चीन द्वारा वित्त पोषित ग्वादर बंदरगाह से सिर्फ 200 किमी दूर स्थित है। इसी साल जनवरी में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने तेहरान का दौरा भी किया था और दोनों पक्षों ने चाबहार बंदरगाह के लिए और दीर्घकालिक सहयोग ढांचे पर प्रतिबद्धता जताई।
चूकी यूक्रेन-रूस जंग के बाद से भारत के रूस के साथ व्यापार में भी काफी उछाल आया है। ऐसे में चाबहार बंदरगाह में भारत के रणनीतिक हितों ने इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) के प्रस्ताव को भी प्रमुख बना दिया है। इस कॉरिडोर के तहत भारत-ईरान-अजरबैजान-मध्य एशिया-यूरोप को एक साथ कनेक्ट करने की योजना है।
जानकार मानते हैं यह रास्ता स्वेज नहर से कहीं ज्यादा सुगम, सस्ता और समय की बचत करने वाला भी है। इस रूट से भारत की यूरोप तक पहुंच आसान हो जाएगी। साथ ही ईरान और रूस को भी फायदा होगा। हालांकि, ईरान अगर इजराइल के साथ युद्ध में फंसता है तो भारत की चाबहार को लेकर महत्वकांक्षी योजना भी फंसती नजर आएगी जिसकी क्रियान्वयन की चाल पहले ही बेहद धीमी है।