तेहरानः ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी आईएईए (इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी) के साथ सहयोग को निलंबित करने वाले विधेयक को अंतिम मंजूरी दे दी है। सरकारी टेलीविजन ने बुधवार को इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि यह कानून अब औपचारिक रूप से प्रभावी हो गया है।
यह निर्णय ऐसे समय आया है जब ईरान-इजराइल युद्ध के बाद क्षेत्रीय तनाव चरम पर है और अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों- इस्फहान, फोर्दो और नतांज- पर हालिया हमलों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
संसद में भारी बहुमत से पारित हुआ था प्रस्ताव
ईरानी संसद ने पिछले सप्ताह आईएईए से सहयोग को निलंबित करने वाले विधेयक को मंजूरी दी थी। खुले सत्र में हुए मतदान में कुल 223 सांसदों में से 221 ने विधेयक के पक्ष में वोट दिया, जबकि केवल एक ने विरोध किया और एक ने मतदान में भाग नहीं लिया।
विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने आईएईए के प्रमुख राफेल ग्रोसी की तीखी आलोचना करते हुए कहा, “ग्रोसी का बमबारी किए गए स्थलों का दौरा करने पर जोर देना सुरक्षा के नाम पर बेमतलब और संभावित रूप से दुर्भावनापूर्ण है… ईरान अपने हितों, जनता और संप्रभुता की रक्षा के लिए कोई भी कदम उठाने का अधिकार रखता है।”
The Parliament of Iran has voted for a halt to collaboration with the IAEA until the safety and security of our nuclear activities can be guaranteed.
— Seyed Abbas Araghchi (@araghchi) June 27, 2025
This is a direct result of @rafaelmgrossi's regrettable role in obfuscating the fact that the Agency—a full decade ago—already…
राष्ट्रपति पेजेश्कियान ने भी फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से बातचीत में स्पष्ट किया कि ईरान ने आईएईए के साथ सहयोग ग्रोसी के 'विनाशकारी व्यवहार' के कारण रोका है। ईरानी अधिकारियों ने आईएईए पर अमेरिकी और इजराइली हमलों की निंदा न करने और 12 जून को ईरान के खिलाफ परमाणु दायित्वों के उल्लंघन का प्रस्ताव पारित करने को लेकर भी कड़ा विरोध जताया है। गौरतलब है कि यह प्रस्ताव इज़राइल के हमले से ठीक एक दिन पहले पारित किया गया था।
ईरान और इजराइल के बीच 24 जून को युद्धविराम की घोषणा हुई थी और तब से दोनों पक्षों में गोलीबारी नहीं हुई है। हालांकि, आईएईए से सहयोग निलंबित करने के निर्णय ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम की पारदर्शिता और वैश्विक परमाणु निगरानी प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ईरान के इस फैसले के क्या होंगे परिणाम?
IAEA दुनिया भर के परमाणु कार्यक्रमों की शांतिपूर्ण प्रकृति की पुष्टि करने में अहम भूमिका निभाती है। पश्चिमी देशों के आरोप रहे हैं कि ईरान परमाणु हथियार बनाने के करीब था, ऐसे में आईएईए की निगरानी ईरान की पारदर्शिता के लिए बेहद जरूरी मानी जाती थी।
हालांकि अमेरिका दावा कर चुका है कि ईरान की परमाणु क्षमता नष्ट हो चुकी है, लेकिन IAEA के निरीक्षण ईरान की नागरिक परमाणु योजनाओं की गुणवत्ता सुधारने और पर्यावरणीय व सुरक्षा दुर्घटनाओं से बचाव के लिए फायदेमंद साबित हो सकते थे।
गौरतलब है कि ईरान ने 2003 में अपने औपचारिक परमाणु हथियार कार्यक्रम को रोकने का ऐलान किया था और उसने दावा कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है। लेकिन अब आईएईए को प्रतिबंधित कर ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम से जुड़े सभी पारदर्शिता उपायों को ठप कर दिया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अविश्वास और तनाव और बढ़ सकता है।