तेहरान: ईरान की एक यूनिवर्सिटी में हिजाब के विरोध में कपड़े उतारने वाली युवती अहू दरयाई के लिए तस्लीमा नसरीन ने समर्थन जताया है। बांग्लादेश की लेखिका और अब भारत में रह रहीं तस्लीमा नसरीन अक्सर रूढ़िवादिता और कट्टर इस्लामिक मान्यताओं के खिलाफ बोलती नजर आती हैं।

ईरान की युवती अहू दरयाई की वायरल हो रही तस्वीर के साथ तस्लीमा नसरीन ने एक्स पर एक लंबा पोस्ट लिखा। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा कि काश वो भी इस लड़की की तरह बहादुत होतीं।

तस्लीमा नसरीन ने लिखा, 'ओह, काश मैं भी इस लड़की की तरह बहादुर होता! काश मैं भी उसकी तरह बहादुर होती! इस लड़की ने तेहरान में हिजाब का कुछ इस तरह विरोध किया। अपने विश्वविद्यालय के सामने, वह आराम से सिर्फ अपनी ब्रा और पैंटी में ऐसे चल रही थी जैसे कुछ हुआ ही न हो। शायद उसने कोई गाना भी गुनगुनाया हो। बाद में पुलिस ने उसे बेरहमी से पीटते हुए गिरफ्तार कर लिया! उसके सिर से खून निकल रहा था। वह महसा अमिनी की तरह मर सकती है। लेकिन उसने ऐसा किया।'

तस्लीमा नसरीन ने आगे लिखा, 'वह समर्थ थी! बहुत सारी लड़कियों ने अलग-अलग तरीकों से हिजाब का विरोध किया है - अपने बाल काटना, अपने बालों से प्रतीक बनाना, हिजाब लहराना, हिजाब जलाना! महसा अमिनी की हत्या उसके हिजाब की लंबाई या चौड़ाई में कमी के कारण कर दी गई और उसकी मौत के बाद, पूरे ईरान में एक अभूतपूर्व हिजाब विरोधी आंदोलन शुरू हुआ, जिसमें 550 लोग शहीद हो गए।'

बकौल तस्लीमा नसरीन, 'यह बहादुर लड़की सब कुछ जानती है, समझती है कि अधिकारी उसे मार सकते हैं, फिर भी वह ऐसा करती है और सभी को विरोध का दूसरा रूप दिखाती है। जब जुल्म गंभीर हो तो विरोध भी उग्र होना चाहिए। शायद इस लड़की को बाद में एक मनोरोग अस्पताल में कैद कर दिया जाएगा। ओह, काश हर लड़की ऐसी 'पागल' होती!'

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, पिछले हफ्ते एक ईरानी लड़की को यूनिवर्सिटी कैंपस में अपने कपड़े उतारने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था। सोशल मीडिया पर इस घटना के वीडियो वायरल हुए। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह घटना शनिवार (2 नवंबर) की है और लड़की ने देश के सख्त इस्लामी ड्रेस कोड के खिलाफ विरोध में अपने कपड़े उतारे थे।

वहीं कुछ रिपोट्स में यह भी कहा गया कि लड़की के साथ ईरान की मोरैलिटी पुलिस ने गलत बर्ताव किया जिसके विरोध में उसने यह कदम उठाया। यह घटना तेहरान की साइंस और रिसर्च यूनिवर्सिटी की है। इसके बाद उसे अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया।

दूसरी ओर ईरान की सरकारी एजेंसी आईआरएनए के मुताबिक इस्लामिक आजाद यूनिवर्सिटी के जनसंपर्क महानिदेशक आमिर महजौब ने रविवार को अपने एक्स अकाउंट पर घटना पर प्रतिक्रिया दी। महजौब ने बताया कि उत्तरी तेहरान में स्थित इस्लामिक आजाद यूनिवर्सिटी की साइंस और रिसर्च ब्रांच में एक छात्रा द्वारा की गई 'अभद्र हरकत' के बाद, परिसर की सुरक्षा ने कदम उठाए और उसे कानून प्रवर्तन अधिकारियों को सौंप दिया। उन्होंने कहा कि जांच से पता चला है कि छात्रा मानसिक दबाव में थी।

ईरान में ड्रेस कोड का विरोध

पिछले कुछ सालों में ईरान में महिलाओं द्वारा ड्रेस कोड का विरोध बढ़ा है। 1979 की क्रांति के बाद ईरान में महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया। इन प्रतिबंधों ने कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों द्वारा कई आंदोलनों को जन्म दिया जो अनिवार्य हिजाब को चुनौती देते हैं।

सितंबर 2022 में मोरैलिटी पुलिस की हिरासत में एक युवा ईरानी महिला महसा अमिनी की मौत के बाद देश भर में बड़े पैमाने पर हिजाब प्रतिबंधों के खिलाफ प्रोटेस्ट शुरू हो गए जिन्हें सरकार ने शक्ति से दबा दिया।

अमिनी को सरकारी मानकों के अनुसार हिजाब नहीं पहनने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सरकार का दावा था कि उसे एक पुलिस स्टेशन में दिल का दौरा पड़ा, वह गिर गई, और अस्पताल ले जाने से पहले वह कोमा में चली गई। हालांकि, अमिनी के साथ हिरासत में ली गई महिलाओं सहित प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उसे बुरी तरह पीटा गया था और पुलिस की बर्बरता के परिणामस्वरूप उसकी मौत हो गई।

(समाचार एजेंसी IANS इनपुट के साथ)