विश्वभर में आज के दिन (18 मई) को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन दुनियाभर के संग्रहालयों में विभिन्न कार्यक्रम और प्रदर्शनियों का आोयजन किया जाता है। जिनका उद्देश्य संग्रहालयों के महत्व के बारे में बताना होता है। संग्रहालय सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए ना सिर्फ महत्वपूर्ण स्थान होते हैं बल्कि ये आपके आपसी समझ को विस्तार देने का काम करते हैं। अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण केंद्र होते हैं। इन संग्रहालयों की खासियत यह है कि ये शिक्षा और शोध को एक साथ लाकर दुनिया को समझने में हमारी मदद करते हैं।
कब हुई अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस की शुरुआत?
अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस की शुरुआत 1977 में हुई थी। रूस के मॉस्को में हुए अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय परिषद (ICOM) महासभा के दौरान एक प्रस्ताव पारित किया गया था। इस प्रस्ताव का उद्देश्य “संग्रहालयों के रचनात्मक लक्ष्यों और प्रयासों को एकजुट करना और दुनिया के लोगों का ध्यान उनकी गतिविधियों की ओर खींचना” था। अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस का उद्देश्य यह संदेश देना था कि संग्रहालय सांस्कृतिक आदान-प्रदान, संस्कृतियों को समृद्ध बनाने और लोगों के बीच आपसी समझ, सहयोग और शांति विकसित करने के महत्वपूर्ण माध्यम हैं।
संग्रहालय परिषद की स्थापना 1946 में हुई थी। यह संग्रहालय पेशेवरों का एक वैश्विक नेटवर्क है जो दुनिया भर में सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर के संरक्षण और प्रचार में योगदान देता है। 1997 में अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय परिषद ने सांस्कृतिक वस्तुओं के अवैध व्यापार से लड़ने की थीम पर कार्यक्रम का पहला आधिकारिक पोस्टर लॉन्च किया था। पोस्टर को 28 देशों द्वारा अपनाया गया था।
2011 में, अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के लिए एक वेबसाइट और संचार किट पेश की गई, जो इस आयोजन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था। आईसीओएम उस वर्ष पहली बार यूरोपियन नाइट ऑफ म्यूजियम का संरक्षक भी था, यह कार्यक्रम प्रत्येक वर्ष 18 मई के निकटतम शनिवार को आयोजित होता है।
अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवसः 2024 की थीम
हर साल अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस एक विशेष थीम ( विशिष्ट विषय) पर आधारित होता है। इस वर्ष की थीम, “शिक्षा और अनुसंधान के लिए संग्रहालय”है। यह थीम संग्रहालयों द्वारा शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने में निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। वे अनुसंधान और खोज के लिए एक मंच प्रदान करते हैं, आलोचनात्मक सोच, नवाचार और जिस दुनिया में हम रहते हैं उसकी गहरी समझ को प्रोत्साहित करते हैं।