पहले कोरोना और फिर रूस और यूक्रेन के युद्ध के कारण पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था काफी प्रभावित हुई है। इसका असर अमेरिका के जॉब मार्केट पर भी देखने को मिल रहा है।
शुक्रवार को ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिक्स ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था के ताजा मासिक पेरोल डेटा को जारी किया, जिसमें बताया गया है कि अप्रैल के महीने में यूएस में केवल 175 हजार नए जॉब बढ़ें हैं।
इससे पहले अर्थशास्त्रियों ने यह उम्मीद जताई थी कि अप्रैल के महीने में नौकरियों की संख्या बढ़ सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बल्कि अमेरिका में जो बेरोजगारी मार्च के महीने में 3.8 फीसदी थी वह अप्रैल के महीने में बढ़कर 3.9 प्रतिशत हो गई है।
ऐसे में अमेरिकी जॉब मार्केट को लेकर जानकारों का क्या कहना है और क्या है ताजा हालात, आइए जान लेते हैं।
अमेरिका में पढ़ रहे भारतीयों छात्रों को नहीं मिल रही इंटर्नशिप
द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूएस में जिस तरीके से नौकरियां में कमी देखी गई है उससे वहां पढ़ने वाले भारतीय छात्रों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।
जानकारों का कहना है कि बहुत से ऐसे भारतीय छात्र हैं जो अमेरिका के अच्छे-अच्छे कॉलेजों में पढ़ रहे हैं। जब वे किसी कंपनी में इंटर्नशिप के लिए अप्लाई करते हैं तो उन्हें अवसर नहीं मिलता है।
रिपोर्ट में एजुकेशन कंसल्टिंग कंपनी कॉलेजीफाई के सह-संस्थापक आदर्श खंडेलवाल का जिक्र किया गया है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका के आइवी लीग स्कूलों सहित ईस्ट कोस्ट और वेस्ट कोस्ट में लगभग 400 भारतीय छात्र हैं, जो ग्रेजुएशन के अंतिम साल में हैं।
इन छात्रों को वे लगभग एक साल से काउंसिलिंग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन छात्रों में से किसी को भी अभी तक कोई भी इंटर्नशिप नहीं मिली है।
अमेरिका में इन वर्कर्स की बढ़ रही है मांग
एनबीसी न्यूज के अनुसार, हाल के दिनों में अमेरिका के जॉब मार्केट में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। नौकरियों के बारे में जानकारी रखने वाले अर्थशास्त्रियों का कहना है कि हाल के दिनों में यहां पर उन कामों की मांग अधिक बढ़ी है जिनके पास कोई स्किल हो।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ महीनों से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भारी भर्तियां देखी गईं। वहीं दूसरी ओर ऑफिस के पदों के लिए कम हायरिंग हुई है।
यूएस के ताजा जॉब मार्केट पर बोलते हुए जॉब साइट ग्लासडोर के मुख्य अर्थशास्त्री एरोन टेरेजस ने कहा है कि यह समय उन लोगों के लिए अच्छा है जिनके पास कोई स्किल हैं और इन लोगों को आसानी से नौकरियां मिल रही है। वहीं टेरेजस ने कम स्किल वाले कर्मचारियों के लिए यह एक कठिन समय बताया है।
कई और भी हो सकते हैं कारण
द इकोनॉमिक टाइम्स ने अमेरिका में पढ़ रहे छात्र, कुछ एजुकेशन कंसल्टेंट और भारतीय-अमेरिकी पेशेवरों के हवाले से बताया कि यूएस जॉब मार्केट के काफी धीमी गति का सबसे प्रमुख कारण वैश्विक आर्थिक मंदी हैं।
कई भारतीय छात्रों ने यह भी बताया कि अमेरिका में हाल में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों को देखते हुए बहुत सी कंपनियां स्थानीय लोगों को अपने यहां नौकरी पर रख रही है। बता दें कि वैश्विक आर्थिक मंदी के बाद यह दूसरा प्रमुख कारण है जिससे भारतीय छात्र काफी प्रभावित हो रहे हैं।
इन सब कारणों के अलावा महंगाई, रहने और खाने के चीजों के दामों में बढ़ोतरी, स्थानीय लोगों का बेरोजगार होना और स्पॉन्सरशिप जैसे कुछ अन्य समस्याएं भी हैं जिसे वहां पढ़ रहे भारतीय छात्रों को झेलना पड़ रहा है।