भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर जल्द लग सकती है मुहर, यूएस वाणिज्य सचिव ने दिया बड़ा अपडेट

अमेरिकी टैरिफ को लेकर उलझे भारत और अमेरिका जल्द ही व्यापार समझौता कर सकते हैं। उनके बीच व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

Donald Trump and Narendra Modi

नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप Photograph: (X)

जल्द ही भारत और अमेरिका के बीच एक अहम व्यापार समझौता हो सकता है। अमेरिका के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटकनिक ने सोमवार को कहा कि दोनों देशों ने एक ऐसा साझा आधार खोज लिया है, जो उनके हितों के अनुरूप है।  उन्होंने भरोसा जताया कि यह समझौता अब “बहुत दूर नहीं” है और निकट भविष्य में इसकी घोषणा हो सकती है।  गौरतलब है कि 2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार का मूल्य 131.84 बिलियन डॉलर था।  अमेरिका भारत के कुल निर्यात का 18%, आयात का 6.22%, और कुल व्यापार का 10. 73% हिस्सा है।  2024 में भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) 45.7 अरब डॉलर था। 

भारत-अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की जल्द

यूएस-इंडिया स्‍ट्रेटैजिक पार्टनर्शिप फोरम को संबोधित करते हुए हॉवर्ड लटकनिक ने कहा, “जब भारत की ओर सही प्रतिनिधि बैठे और दूसरी ओर अमेरिका की टीम ने संतुलन बनाया, तब हमने बड़ी सफलता पाई।  हमें एक ऐसा मॉडल मिला है जो दोनों देशों के लिए काम करता है।  इसीलिए आप भारत-अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की जल्द उम्मीद कर सकते हैं। ” विशेषज्ञों का मानना है कि यह व्यापार समझौता दोनों देशों के बीच न केवल व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करेगा, बल्कि तकनीक, निवेश और आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्र में भी सहयोग को बढ़ावा देगा।  ऐसे में निकट भविष्य में इसकी औपचारिक घोषणा की पूरी संभावना जताई जा रही है। 

2025 ग्लोबल लीडरशिप अवार्ड्स की घोषणा 

इस कार्यक्रम के दौरान USISPF ने 2025 ग्लोबल लीडरशिप अवार्ड्स की घोषणा भी की।  यह पुरस्कार IBM के चेयरमैन अरविंद कृष्णा, आदित्य बिरला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला और हिताची के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन तोशियाकी हिगाशिहारा को दिए गए।  उन्हें अमेरिका, भारत और जापान के बीच आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने में दिए गए विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया गया। 

गौरतलब है कि यह पहला मौका है जब QUAD समूह (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) से जुड़े कॉरपोरेट नेताओं को USISPF समिट में एक मंच पर सम्मानित किया गया।  यह इस बात का संकेत है कि इन देशों के बीच आर्थिक सहयोग और रणनीतिक साझेदारी को नया आयाम दिया जा रहा है। 

 

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