भारत-पाकिस्तान के बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान के आग्रह पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बंद कमरे की बैठक बुलाई गई थी। बैठक बिना किसी बयान, प्रस्ताव या निष्कर्ष के समाप्त हो गई। बैठक में कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई।
पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने एक बार फिर सुरक्षा परिषद के मंच का दुरुपयोग करते हुए भारत के खिलाफ झूठे आरोप लगाए। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे, से ध्यान भटकाने के लिए कश्मीर मुद्दा उठाया और भारत पर सैन्य जमावड़ा व भड़काऊ बयान देने का आरोप लगाया।
अहमद ने भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने को भी आक्रामकता का कार्य बताया, जिसे भारत ने इस्लामाबाद द्वारा सीमा-पार आतंकवाद को समर्थन देने से वैश्विक ध्यान हटाने की सोची-समझी कोशिश करार दिया है।
पाकिस्तान के 'फॉल्स फ्लैग' थ्योरी को किया खारिज
समाचार एजेंसी एएनआई ने न्यूयॉर्क स्थित सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस बैठक में पाकिस्तान द्वारा गढ़ी गई 'फॉल्स फ्लैग' (छद्म ध्वज) वाली कहानी को सदस्य देशों ने सिरे से खारिज कर दिया। बैठक में परिषद के कई सदस्यों ने यह सवाल उठाया कि क्या प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जिसकी पाकिस्तान से गहरी सांठगांठ रही है, इस हमले में शामिल हो सकता है।
बैठक में पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा हुई और दोषियों को जवाबदेह ठहराने की मांग उठी। कुछ देशों ने इस बात पर भी चिंता जताई कि पर्यटकों को उनके धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया गया।
इसके अलावा, पाकिस्तान द्वारा हाल में किए गए मिसाइल परीक्षण और परमाणु बयानबाजी को भी तनाव बढ़ाने वाला कदम माना गया। सोमवार को पाकिस्तान ने “एक्सरसाइज इंद्रस” के तहत फतह सीरीज की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल का प्रशिक्षण परीक्षण किया, जिसकी मारक क्षमता 120 किमी बताई गई है।
पाकिस्तान की ओर से इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की कोशिश भी विफल रही। परिषद के सदस्य देशों ने सलाह दी कि भारत से द्विपक्षीय बातचीत के जरिए ही समाधान निकाला जाए।
निजी कमेर में की गई बैठक
फिलहाल 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बना पाकिस्तान, इस मसले पर विचार-विमर्श के लिए बंद बैठक की मांग कर रहा था। परिषद की अध्यक्षता मई महीने के लिए ग्रीस के पास है, जिसने 5 मई की दोपहर को यह बंद-द्वार चर्चा निर्धारित की। यह बैठक परिषद के पारंपरिक घोड़े की नाल रूपी टेबल वाले कक्ष की बजाय पास के एक निजी कमरे में आयोजित की गई। बैठक के बाद पाकिस्तान के राजदूत असीम इफ्तिखार ने पत्रकारों को संबोधित किया, हालांकि बैठक का कोई आधिकारिक निष्कर्ष नहीं निकला।
बैठक से पहले, भारत के संयुक्त राष्ट्र में पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा था कि “ऐसी चर्चा से कोई सार्थक परिणाम निकलने की उम्मीद नहीं की जा सकती, जिसमें संघर्ष का एक पक्ष अपने अस्थायी सदस्य होने का उपयोग करके धारणाओं को आकार देने का प्रयास कर रहा हो। भारत ऐसे प्रयासों को निष्क्रिय कर देगा।”
गौरतलब है कि अगस्त 2019 में, जब भारत ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किया था, तब चीन ने सुरक्षा परिषद में इसी प्रकार की एक बंद बैठक बुलाई थी। वह बैठक भी बिना किसी बयान या निष्कर्ष के समाप्त हुई थी, जिससे पाकिस्तान और चीन को झटका लगा था। परिषद के अधिकांश सदस्य इस मुद्दे को भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला मानते हैं।
भारत-पाकिस्तान तनाव अपने चरम पर
सोमवार सुबह महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने मीडिया से कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव वर्षों में सबसे खतरनाक स्तर पर है और उन्होंने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की। गुटेरेस ने कहा, “नागरिकों को निशाना बनाना पूरी तरह अस्वीकार्य है – और दोषियों को कानून के दायरे में लाकर न्याय दिलाना आवश्यक है।”
उन्होंने चेतावनी दी कि मौजूदा हालात में किसी भी तरह की सैन्य टकराव की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता, जो स्थिति को बेकाबू कर सकती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “अभी सबसे जरूरी है कि दोनों देश पीछे हटें और संयम बरतें। मेरी बातचीत में यही संदेश मैंने बार-बार दोहराया है – सैन्य समाधान कोई समाधान नहीं है।”