वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को दी जाने वाली 21 मिलियन डॉलर (लगभग 182 करोड़ रुपये) की फंडिंग को रद्द करने का बचाव किया। यह अनुदान मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए दिए जाते थे। ट्रंप ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और वह उच्च कर दरों वाला देश है। ऐसे में उसे इस वित्तीय मदद की जरूरत नहीं है।

ट्रंप ने मार-ए-लागो में कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर करने के बाद कहा, "हम भारत को 21 मिलियन डॉलर क्यों दे रहे हैं? उनके पास पहले से ही बहुत पैसा है। वे दुनिया के सबसे ज्यादा कर लगाने वाले देशों में से एक हैं, खासकर हमारे संदर्भ में। हमें वहां व्यापार करना मुश्किल हो रहा है क्योंकि उनके टैरिफ बहुत ज्यादा हैं। मैं भारत और उनके प्रधानमंत्री का सम्मान करता हूं, लेकिन मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर क्यों देना?"

DOGE ने 723 मिलियन डॉलर की विदेशी सहायता फंडिंग को किया रद्द

रविवार को DOGE ने अपने एक बयान में घोषणा की कि उसने सरकारी खर्चों में कटौती के लिए 723 मिलियन डॉलर (62.85 हजार करोड़) की विदेशी सहायता फंडिंग को समाप्त करने का निर्णय लिया है।

इस फैसले के तहत भारत के लिए 21 मिलियन डॉलर की अनुदान राशि के अलावा, बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य को मजबूत करने के लिए 29 मिलियन डॉलर और नेपाल में राजकोषीय संघवाद सुधारने के लिए 29 मिलियन डॉलर की फंडिंग भी रद्द कर दी गई। विभाग ने जोर देकर कहा कि यह फैसला अनावश्यक सरकारी खर्चों में कटौती की व्यापक योजना का हिस्सा है।

21 मिलियन के अनुदान को लेकर भारत में छिड़ा विवाद

DOGE के इस फैसले के बाद भारत में राजनीतिक विवाद छिड़ गया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला।

भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर लिखा, "यह अब स्पष्ट होता जा रहा है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने व्यवस्थित रूप से भारत की संस्थाओं में ऐसे तत्वों को प्रवेश दिलाया, जो राष्ट्रीय हितों के खिलाफ काम करते हैं और भारत को कमजोर करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते।"

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि "इस पूरी प्रक्रिया के पीछे अमेरिकी अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस का हाथ हो सकता है, जो कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार से जुड़े रहे हैं। उनकी छाया हमारे चुनावी तंत्र पर मंडरा रही है।"

वहीं, भाजपा के आरोपों के जवाब में कांग्रेस ने किसी भी विदेशी हस्तक्षेप को अनुचित बताते हुए इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की। कांग्रेस नेता अजय माकन ने PTI से कहा, "कांग्रेस का मानना है कि हमारे लोकतांत्रिक या चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का विदेशी हस्तक्षेप अनुचित और अस्वीकार्य है। हम इसका विरोध करते हैं, इसकी निंदा करते हैं और इस पर उचित जांच की मांग करते हैं।"

भारतीय अर्थशास्त्री संजीव सान्याल समेत अन्य ने क्या कहा?

ट्रंप की इस घोषणा के बाद प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य, अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने भी प्रतिक्रिया दी और USAID (यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट) को "मानव इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला" करार दिया।

सान्याल ने ट्वीट कर कहा था, "मैं यह जानने के लिए उत्सुक हूं कि भारत में 'मतदाता मतदान बढ़ाने' के लिए खर्च किए गए 21 मिलियन डॉलर और बांग्लादेश के 'राजनीतिक परिदृश्य को मजबूत करने' के लिए 29 मिलियन डॉलर आखिर किसे मिले? नेपाल में 'राजकोषीय संघवाद' सुधारने के लिए 29 मिलियन डॉलर की फंडिंग भी थी। USAID मानव इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है।"

इसके अलावा, भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. कुरैशी ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया और उन खबरों को खारिज कर दिया जिनमें कहा गया था कि अमेरिका भारतीय चुनाव आयोग को मतदाता मतदान बढ़ाने के लिए फंडिंग दे रहा था।

उन्होंने ट्वीट किया, "2012 में जब मैं मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) था, तब चुनाव आयोग (ECI) और एक अमेरिकी एजेंसी के बीच भारत में मतदाता मतदान बढ़ाने के लिए फंडिंग से जुड़ा कोई समझौता हुआ था—यह दावा पूरी तरह गलत है।"