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तेल अवीवः सोमवार को उत्तरी इजराइल के हाइफा और उसके आस-पास के इलाकों में सायरनों की गूंज ने इलाके में दहशत फैला दी, जब हिजबुल्लाह ने कई रॉकेट इजराइली हवाई क्षेत्र में दागे। यह हमला इजराइली रक्षा बलों (आईडीएफ) द्वारा लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकानों पर किए गए जबरदस्त हवाई हमलों के जवाब में हुआ, जो संगठन के लिए हाल के दशकों में सबसे भयानक दिन साबित हुआ।
इजराइल की अत्याधुनिक रक्षा प्रणाली 'आयरन डोम' ने इस हमले में एक बार फिर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और अधिकतर रॉकेटों को सफलतापूर्वक हवा में ही नष्ट कर दिया। इजराइली सेना की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे दिन लगभग 180 रॉकेट और एक ड्रोन इजराइल के उत्तरी हिस्सों में दाखिल हुए, लेकिन अधिकांश को आयरन डोम ने रोक लिया, जिससे बड़ा नुकसान टल गया।
इस हमले का उद्देश्य आईडीएफ द्वारा हिज़बुल्लाह पर किए गए 300 से अधिक हवाई हमलों का बदला लेना था। इन हमलों में लगभग 500 लोग मारे गए और हजारों लोग घायल हुए। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, मरने वालों में 35 बच्चे और 58 महिलाएं शामिल थीं। दक्षिणी लेबनान के हजारों नागरिक अपने घर छोड़कर भागने पर मजबूर हुए, जिससे बेरूत की ओर जाने वाली सड़कों पर भीषण जाम लग गया। 2006 में इजराइल और हिज़बुल्लाह के बीच हुए युद्ध के बाद यह सबसे बड़ी पलायन की स्थिति थी।
रिपोर्टों के मुताबिक, इजराइली हमलों में हिज़बुल्लाह का एक शीर्ष सैन्य कमांडर और दर्जन भर से अधिक महत्वपूर्ण अधिकारी मारे गए। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने लेबनान के नागरिकों से अपील की, "हिज़बुल्लाह आपकी सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है। उन्होंने आपके घरों में रॉकेट और मिसाइलें रखी हैं। उन्हें ऐसा करने से रोकें, ताकि आपकी और आपके अपनों की जान सुरक्षित रहे।"
आयरन डोम क्या है?
आयरन डोम एक अत्याधुनिक रक्षा प्रणाली है जिसे मुख्य रूप से गाज़ा से हमास द्वारा दागे गए कम-तकनीकी रॉकेटों को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे इजराइल की राज्य-स्वामित्व वाली कंपनी राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स ने अमेरिका के सहयोग से विकसित किया और 2011 में इसे परिचालन में लाया गया। प्रत्येक आयरन डोम इकाई को ट्रक के ज़रिए तैनात किया जाता है और इसमें रडार-निर्देशित मिसाइलों का उपयोग किया जाता है, जो रॉकेट, मोर्टार और ड्रोन जैसी कम दूरी की खतरों को नष्ट करने में सक्षम हैं।
आयरन डोम की सबसे खास विशेषता यह है कि यह खतरों और गैर-खतरों के बीच अंतर कर सकता है। यह प्रणाली उन रॉकेटों की पहचान, मूल्यांकन और अवरोधन करने के लिए डिज़ाइन की गई है, जो आबादी वाले क्षेत्रों या महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के लिए खतरा बन सकते हैं। इसमें रडार सिस्टम का उपयोग करके आने वाले खतरों का पता लगाया जाता है, और एक उन्नत कंप्यूटर प्रणाली इन खतरों का आकलन करती है कि कौन सा रॉकेट अवरोधन के योग्य है।
यह प्रणाली पहली बार 2011 में इजराइल के बे'र शेवा में तैनात की गई थी ताकि गाज़ा से होने वाले रॉकेट हमलों से सुरक्षा प्रदान की जा सके। अक्टूबर 2023 में हमास के इजराइल पर हमले के दौरान, समूह ने हजारों रॉकेट दागे, जिनमें से अधिकतर को आयरन डोम ने सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया।
आयरन डोम कैसे काम करता है?
आयरन डोम एक उन्नत हवाई रक्षा प्रणाली है जिसे इजराइल ने कम दूरी के खतरों जैसे रॉकेट, मोर्टार और तोपों के गोले से सुरक्षा के लिए विकसित किया है। यह प्रणाली हर मौसम में काम करती है और इसका उद्देश्य आने वाले प्रोजेक्टाइल को आबादी वाले क्षेत्रों या महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे तक पहुंचने से पहले नष्ट करना है।
यह कैसे काम करता है:
- पहचान और ट्रैकिंग: आयरन डोम अपने उन्नत रडार सिस्टम का उपयोग करके आने वाले खतरों का पता लगाता है और उन्हें ट्रैक करता है। यह रडार रॉकेट के रास्ते की पहचान करता है और यह निर्धारित करता है कि वे आबादी वाले क्षेत्रों में गिरेंगे या खुले इलाकों में।
- खतरे का आकलन: इस प्रणाली की एक खास विशेषता यह है कि यह उन रॉकेटों को पहचान सकती है जो आबादी वाले क्षेत्रों के लिए खतरा हैं और जो नहीं हैं। अगर सिस्टम यह आकलन करता है कि रॉकेट किसी महत्वपूर्ण क्षेत्र को नुकसान पहुंचा सकता है, तो यह अपने बचाव तंत्र को सक्रिय करता है।
- इंटरसेप्शन: जब कोई खतरा पहचाना जाता है, तो आयरन डोम इंटरसेप्टर मिसाइलों को लॉन्च करता है, जो केवल उन प्रोजेक्टाइल को निशाना बनाती हैं जो खतरनाक हैं। ये इंटरसेप्टर मिसाइल रॉकेट के रास्ते में आकर उसे हवा में ही नष्ट कर देती हैं, आमतौर पर यह आबादी वाले क्षेत्रों से काफी दूर होता है।
- तैनाती: आयरन डोम प्रणाली में कई बैटरियां होती हैं, जो इज़राइल भर में तैनात रहती हैं। प्रत्येक बैटरी में तीन से चार लॉन्चर होते हैं, और प्रत्येक लॉन्चर 20 इंटरसेप्टर मिसाइलें दाग सकता है। यह प्रणाली स्थिर और मोबाइल दोनों रूपों में उपलब्ध है, जिससे खतरे के आधार पर इसे कहीं भी तैनात किया जा सकता है।
आयरन डोम का पहली बार इस्तेमाल कब हुआ?
2006 में इजराइल और दक्षिणी लेबनान स्थित उग्रवादी समूह हिजबुल्लाह के बीच हुए संघर्ष के बाद इस सिस्टम को विकसित किया गया था। हिजबुल्लाह ने उस समय हजारों रॉकेट इजराइल पर दागे थे, जिससे भारी नुकसान हुआ और दर्जनों नागरिकों की मौत हुई थी। इसके जवाब में, इजराइल ने एक नई मिसाइल रक्षा प्रणाली 'आयरन डोम' विकसित की।
आयरन डोम को पहली बार 2011 में गाज़ा पट्टी से दागे गए एक मिसाइल को निष्क्रिय करने के लिए युद्ध में इस्तेमाल किया गया था। 2019 में अमेरिका ने भी इस प्रणाली की कुछ बैटरियों को खरीदने और परीक्षण करने की घोषणा की।
आयरन डोम कितना कारगर?
इजराइली सेना ने आयरन डोम की सफलता दर को 90% तक बताया है। हमास ने 7 अक्टूबर के हमले में दावा किया कि उसने 5,000 रॉकेट दागे, हालांकि इजराइली सेना का कहना है कि वास्तविक संख्या इससे आधी हो सकती है। इसके बावजूद, आयरन डोम ने इन रॉकेटों का अधिकांश भाग हवा में ही नष्ट कर दिया। हालाँकि, कुछ रॉकेट इजराइल के भीतर बसे हुए क्षेत्रों में गिरे, जिससे कई लोग घायल हुए और कुछ मौतें भी हुईं। इजराइल के रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि आयरन डोम ने बड़ी संख्या में नागरिकों की जान बचाई है, और अगर यह प्रणाली नहीं होती, तो मृतकों और घायलों की संख्या कहीं अधिक होती।
अमेरिका ने इजराइल को आयरन डोम की अतिरिक्त बैटरियों की आपूर्ति का आश्वासन दिया है और साथ ही अन्य मिसाइल प्रणालियों को भी प्रदान करने का वादा किया है, जिनमें टर्मिनल हाई ऑल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) और पैट्रियट मिसाइल बैटरियां शामिल हैं।
आयरन डोम से भी अधिक शक्तिशाली डिफेंस सिस्टम विकसित कर चुका है इजराइल
इजराइल हमास के रॉकेट हमलों को रोकने के लिए कई वर्षों से अपने काफी महंगे आयरन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल करता आ रहा है। इजरायल को यह काफी महंगा पड़ता है। यही वजह है कि उसने आयरन डोम से भी उन्नत और कम कीमत वाले एक नए डिफेंस सिस्टम को विकसित किया। यह है 'आयरन बीम' जिसे लेजर गन नाम दिया गया है।
इसका दो साल पहले 2022 में सफल परीक्षण किया जा चुका है। आयरन बीम दुनिया का पहला लेजर मिसाइल डिफेंस सिस्टम है जो ड्रोन, रॉकेट, मोर्टार और टैंक रोधी मिसाइलों को सफलतापूर्वक मार गिराने में कामयाब रहा है। रिपोर्टों की मानें तो साल 2025 में यह इजराइली सेना में शामिल हो जाएगा।