नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड'। फोटोः IANS
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काठमांडूः नेपाल में पुष्प कमल दहल की सरकार गिर गई है। शुक्रवार संसद में विश्वास मत हारने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। पिछले दिनों उनकी गठबंधन सरकार में सबसे बड़ी पार्टी 'कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल' ने अपना समर्थन वापस ले लिया था जिसके बाद प्रचंड सरकार खतरे में आ गई थी।
प्रचंड को सिर्फ 63 सदस्यों का मिला साथ
तब दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने प्रचंड से इस्तीफे की मांग की थी लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे और विश्वास मत का सामना करने की बात कही थी। शुक्रवार (12 जुलाई) विश्वास मत जीतने में विफल रहे।
पुष्प कमल दहल संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा के आधे से अधिक सदस्यों का समर्थन हासिल करने में विफल रहे। लिहाजा उन्हें 19 महीने सत्ता में रहने के बाद पद छोड़ना पड़ा। 275 सदस्यी प्रतिनिधि सभा में केवल 63 सदस्यों ने प्रचंड द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि 194 ने इसका भारी विरोध किया।
नेपाली कांग्रेस और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी ने किया गठबंधन
पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ को सत्ता से हटाने के लिए देश के दो सबसे बड़े दल – नेपाली कांग्रेस और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (सीपीएन-यूएमएल) ने नया गठबंधन बना लिया।नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह घटना प्रचंड के चौथी बार विश्वास मत जीतने के सिर्फ एक महीने बाद की।
इस समझौते के अनुसार, ओली डेढ़ साल तक सरकार चलाएंगे इसके बाद वे शेष 1.5 वर्षों के लिए सत्ता देउबा को सौंप देंगे। 78 साल के देउबा और 72 साल के ओली ने शनिवार को मुलाकात की। यह मुलाकात दो पार्टियों के बीच नए राजनीतिक गठबंधन की संभावना तलाशने के लिए थी।
प्रचंड को संसद में पांच बार विश्वास मत प्राप्त करना पड़ा है
2022 के आम चुनावों के बाद सत्ता में आए दहल को कई बार अपने गठबंधन सहयोगियों के बीच मतभेदों का सामना करना पड़ा। जिस वजह से उन्हें संसद में रिकॉर्ड पाँच बार विश्वास मत प्राप्त करना पड़ा। यह अस्थिरता प्रधानमंत्री के रूप में उनके तीसरे कार्यकाल को दर्शाती है। क्योंकि उनके माओवादी समूह ने 2006 में सशस्त्र विद्रोह को समाप्त कर दिया था और मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गए थे।
प्रचंड ने 1996 से 2006 तक एक हिंसक माओवादी कम्युनिस्ट विद्रोह का नेतृत्व किया। संघर्ष के परिणामस्वरूप 17,000 से अधिक मौतें हुईं और कई अनसुलझे लापता हो गए थे। माओवादियों ने 2006 में अपने सशस्त्र विद्रोह को त्याग दिया और संयुक्त राष्ट्र द्वारा सहायता प्राप्त शांति प्रक्रिया में शामिल हो गए। इसके बाद मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश किया।
दहल की पार्टी ने 2008 में सबसे अधिक संसदीय सीटें हासिल कीं, जिससे उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में पहला कार्यकाल मिला, जो राष्ट्रपति के साथ मतभेदों के कारण एक साल बाद समाप्त हो गया।