यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी को कुशल कामगारों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। पिछले 20 सालों से जर्मनी लोगों को स्थिर नौकरियां दिलाने में काफी अहम भुमिका निभाई है लेकिन उसे अभी भी कुशल श्रमिकों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
बड़ी संख्या में जर्मनी की आबादी वृद्धावस्था की ओर बढ़ रही है, जिस कारण काम करने वालों की संख्या में कमी देखी गई है। कुछ रिपोर्ट के अनुसार,आबादी के 20 फीसदी लोग 65 साल से ज्यादा उम्र वाले हैं जो काम करने में असमर्थ हैं।
यही नहीं यहां पर नौकरियां तो हैं लेकिन उन कामों को करने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षित लोग नहीं है। साथ ही भारी संख्या में जर्मनी के लोग रिटायर भी हो रहे हैं और ये पद जल्दी भर नहीं रहे हैं जिससे काम का बैलेंस बिगड़ रहा है और देश में बड़ी-बड़ी कंपनियों को श्रमिकों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
किन क्षेत्र में कामगारों की है भारी कमी
ताजा आंकड़ों के अनुसार, जर्मनी में समाजिक काम करने वाले, बच्चों की देखभाल करने वाले, शिक्षा और सेल्स से जुड़े कामगारों की भारी कमी है। वही अगर बात करें 2023 की तो यहां पर परिवहन और लॉजिस्टिक्स उद्योग में सबसे अधिक नौकरियां निकली है। जर्मनी में अप्रेंटिस प्रोग्राम के लिए भी श्रमिक नहीं मिल रहे हैं।
पिछले 12 सालों में केवल कुछ ही लोगों ने इन अप्रेंटिस प्रोग्रामों के लिए आवेदन किया था, इससे पहले इन प्रोग्राम के तहत काम पाने के लिए लोगों की भारी भीड़ देखी जाती थी और नौकरियों से ज्यादा आवेदन करने वाले कामगार होते थे।
ऐसे में हाल में आवेदकों की संख्या और उपलब्ध नौकरियों के बीच बड़ा अंतर देखा जा रहा है, अगर यही ट्रेंड रहा तो आने वाले दिनों में जर्मनी में श्रमिकों की मांग और बढ़ने वाली है।
क्या कह रहे हैं आंकड़ें
पिछले साल जर्मनी के म्यूनिख स्थित इफो इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है कि देश के अधिक से अधिक कंपनियों को कुशल कामगारों की तलाश में काफी परेशानी हो रही है।
जर्मनी के करीब 9000 कंपनियों को लेकर यह सर्वेक्षण किया गया था, जिसमें यह खुलासा हुआ है कि पिछले साल अप्रैल में 42 फीसदी से अधिक कंपनियों ने यह माना कि उन्हें कुशल कामगार नहीं मिल रहे हैं और यह आंकड़ा जुलाई में 43 फीसदी हो गया था।
मार्च 2024 में टाइम्स ऑफ इंडिया ने एएफपी की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया था कि जर्मनी के नूर्नबर्ग की पब्लिक परिवहन ऑपरेटर-वीएजी में कामगारों की भारी कमी पाई गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, वीएजी में ट्राम ड्राइवरों की इतनी कमी देखी गई है कि परिवहन ऑपरेटर विश्वविद्यालय के छात्रों को पार्ट टाइम नौकरी पर रख रहा है और उनसे ट्राम को चलवा रहा है। कंशट्रक्शन, मैनिफेक्चरिंग और उपभोक्ताओं के सामानों को बनाने वाली जर्मनी की आधी कंपनियां कुशल श्रमिकों की कमी का ज्यादा शिकार हैं।
क्या उठा रही है सरकार कदम
कुशल कामगारों की कमी को दूर करने के लिए जर्मन सरकार ने कई अहम कदम उठाएं है। सरकार ने हाल में अवसर कार्ड (Opportunity Card) नामक एक नई पहल शुरू की है।
इस कार्ड के जरिए सरकार दुनिया भर के इच्छुक कुशल पेशेवरों को अपने यहां नौकरी दे रही है। जिन लोगों को यह कार्ड मिलेगा वे लोग जर्मनी जा सकेंगे और वहां वे एक साल तक रह पाएंगे। इस दौरान वे अपने लिए नौकरी भी खोज सकेंगे।
यही नहीं वहां के सरकार ने वीजा के नियमों में भाी काफी बदलाव किए हैं ताकि नार्मल वर्क परमिट भी आसानी से मिल जाए। जर्मनी में ज्यादातर लोग जर्मन बोलते हैं और वहां अंग्रेजी का चलन बहुत ही कम है, ऐसे में विदेश से जाने वाले कारगारों को भाषा को लेकर काफी दिक्कत होती है।
सरकार ने जर्मन के बाद अंग्रेजी को भी बोलचाल में लाने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं।
जर्मनी में जाकर काम करने वालों के लिए सरकार ने एक वेबसाइट भी लॉन्च की है, जिसमें नौकरी से जुड़ी जानकारियों से लेकर नौकरी खोजने तक, सभी प्रकार की मदद और सुविधा सरकार द्वारा फ्री में उपलब्ध कराई जाती है।