त्बिलिसी। जॉर्जिया में एक नए कानून को लेकर सरकार और आम जनता आमने-सामने आ चुके हैं। जॉर्जिया की राजधानी त्बिलिसी में इस मसौदा कानून को लेकर शनिवार को हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। पिछले दो हफ्तों से इस कानून के खिलाफ जॉर्जियाई प्रदर्शन कर रहे हैं। शनिवार को सरकार ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया।
विरोध जता रहे लोगों ने मसौदा कानून को ‘रूसी कानून’ बताया है। कई लोगों ने सरकार पर संगठन बनाने और मीडिया के काम में बाधा डालने के लिए इस कानून को बनाने का आरोप लगाया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह कानून जॉर्जिया को यूरोपीय संघ में शामिल होने से रोकता है।
‘सोवियत यूनियन में वापस नहीं जाना’
दरअसल, जॉर्जिया में फिलहाल एक मास्को समर्थित सरकार है। ये सरकार रूस के इशारे पर एक नया कानून (फॉरेन एन्फ्लुएंस) ला रही है जिसके खिलाफ लोग सड़कों पर उतर गए हैं। इस प्रदर्शन में कई लोग जॉर्जियाई झंडों के साथ साथ यूरोपीय संघ के झंडे भी लहरा रहे थे। उनका कहना है कि उन्हें फिर से सोवियत यूनियन में वापस नहीं जाना है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, विवादास्पद “रूसी कानून” के खिलाफ विरोध के दौरान कोई बड़ी घटना नहीं हुई। रविवार सुबह तक हजारों लोग संसद भवन के सामने धरना दे रहे थे और इस कानून को नहीं लाने की मांग कर रहे थे।
जॉर्जिया के नए मसौदा कानून में क्या है?
यह कानून अगले सप्ताह की शुरुआत में संसद में पारित होने वाला है। इसके तहत विदेशों से 20 फीसदी से ज्यादा फंडिंग लेने वाले गैर-सरकारी संगठनों (गैर-सरकारी संगठनों और मीडिया आउटलेट) को हिसाब देना होगा। साथ ही इन्हें विदेशी प्रभाव के हितों को आगे बढ़ाने वाले संगठनों के रूप में पंजीकरण करना होगा। ऐसा नहीं करने पर $9,000 (करीब 7 लाख रुपए) तक का कठोर दंड लगाया जा सकता है।
‘रूसी कानून’ को जॉर्जिया में लागू करने की तैयारी
रूस में, कई संगठनों और व्यक्तियों को “विदेशी एजेंट” के रूप में माना जाता है। जो अक्सर बड़ी समस्याएं पैदा करता है। इस कानून को आलोचकों को चुप कराने के रूप में भी देखा जाता है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2012 में विदेशी एजेंट कानून लाया था। 2022 में, उन्होंने इसे विस्तारित कर दिया। जिससे रूस के बाहर से समर्थन प्राप्त करने वाले किसी भी व्यक्ति को विदेशी एजेंट के रूप में पंजीकरण और घोषणा करने की बाध्यता हो गई। जॉर्जिया में, ऐसी आशंका है कि नया कानून देश में सत्तावादी दृष्टिकोण का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। जॉर्जिया सालों से यूरोपीय संघ में शामिल होना चाहता है, लेकिन वहां की मौजूदा सरकार रूस समर्थित है।
यूरोपिय भविष्य की मांग
अल जजीरा के मुताबिक, पिछले साल हुए बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों ने सरकार को इसी तरह के एक विधेयक को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया था। इस दूसरे प्रयास ने स्कूली बच्चों से लेकर विश्वविद्यालय के छात्रों तक हजारों युवाओं को नई ऊर्जा प्रदान की है, जिससे असंतोष की लहर तेज हो गई है। उनका मानना है कि उनकी सरकार क्रेमलिन के प्रभाव में आ गई है और यूरोप का हिस्सा बनने के उनके सपनों को तोड़ रही है। हर रात, रैलियों की शुरुआत जॉर्जियाई राष्ट्रगान के साथ-साथ यूरोपीय संघ के गान, ओड टू जॉय के साथ होती है।