फ्रांस चुनाव: पार्टी इलेक्शन हार भी गई तो क्यों राष्ट्रपति बने रहे रहेंगे इमैनुअल मैक्रों? कैसे होता है यहां चुनाव

President Emmanuel Macron's party seems to be in trouble in the mid-term elections in France (file photo- IANS)

फ्रांस के मध्यावधि चुनाव में राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों की पार्टी मुश्किल में नजर आ रही है (फाइल फोटो- IANS)

पेरिस: राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के संसद भंग करने के फैसले के बाद फ्रांस में मध्यावधि चुनाव हो रहे हैं। फ्रांस चुनाव में दो दौर में वोटिंग है। इसमें पहले दौर में 30 जून को मतदान हो गया था। दूसरे दौर की वोटिंग 7 जुलाई को है। मैक्रों ने फ्रांस चुनाव का आह्वान करके एक तरह से सियासी जुआ खेला था। उनका लक्ष्य एक बार फ्रांस की राजनीति पर खुद का प्रभुत्व दिखाना था। हालांकि, ओपिनियन पोल्स मैक्रों के लक्ष्य के विपरीत कुछ और इशारा कर रहे हैं।

ओपिनियन पोल्स के अनुसार कट्टर दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी को बड़ी कामयाबी मिल सकती है। अब सवाल है कि मैक्रों ने अचानक संसद भंग करने मध्यावधि चुनाव क्यों बुलाया? फ्रांस में चुनाव क्यों हो रहे हैं? फ्रांस में चुनावी व्यवस्था कैसे काम करती है? मैक्रों की पार्टी हार गई तो क्या होगा? आईए, इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं।

फ्रांस चुनाव: फ्रांस में बीच में चुनाव क्यों हो रहे हैं?

राष्ट्रपति मैक्रों ने मध्यावधि चुनाव का ऐलान यूरोपीय संसद के चुनाव के नतीजों को देखते हुए किया था। दरअसल, यूरोपीय संसद के चुनाव में उनकी प्रतिद्वंद्वी दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी कामयाबी मिली। मैक्रों को लिए यह किसी झटके से कम नहीं था। उनके पास अगले तीन साल तक संसदीय चुनाव कराने की कोई मजबूरी नहीं थी।

इसके बावजूद 9 जून को यूरोपीय संसद के चुनावी नतीजे आने के कुछ ही घंटे के भीतर मैक्रों ने बड़ा फैसला ले लिया। यूरोपीय संसद चुनाव में उनकी पार्टी तीसरे नंबर पर थी। ऐसे में मैक्रों टीवी पर आए और कहा कि वे ऐसा नहीं दिखा सकते कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं। उन्होंने चुनाव का ऐलान करते हुए लोगों से कट्टरपंथियों को तवज्जों नहीं देने की अपील की।

मैक्रों के लिए फ्रांस चुनाव जल्द कराना मजबूरी भी!

जानकार मानते हैं कि मैक्रो कई महीनों से चुनाव कराने के बारे में सोच रहे थे। हालांकि, जिस तरह उन्होंने अचानक फैसला लिया, यह उनके करीबी सहयोगियों के लिए भी अप्रत्याशित था। फ्रांस में 26 जुलाई से 11 अगस्त तक पेरिस ओलंपिक-2024 का भी आयोजन होना है।

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दरअसल, जून 2022 में नेशनल असेंबली में मैक्रों की पार्टी रेनेसां पूर्ण बहुमत हासिल करने में विफल रही थी। इसके बाद से मैक्रों के लिए कोई कानून पारित करना एक बड़ा सिरदर्द बन गया है। किसी भी विधेयक को पास कराने के लिए उन्हें दूसरे दलों की मदद लेनी पड़ रही है। मैक्रों तर्क देते हैं, 'अगर फ्रांस को शांति और सद्भाव से काम करना है तो उसे स्पष्ट बहुमत चाहिए।'

फ्रांस की नेशनल असेंबली में मौजूदा स्थिति

मैक्रों की पार्टी रेनसां के साथ हॉरिजोंस (Horizons) और मोडेम (MoDem) का गठबंधन हैं। इस गठबंधन को इन्सेंबल (Ensemble) नाम से जाना जाता है। फ्रांस में 577 सीटों वाली नेशनल एसेंबली में इनकी कुल संख्या अभी 249 है। स्पष्ट बहुमत के लिए किसी भी गठबंधन के पास 289 सीटें होनी चाहिए। मौजूदा संसद में दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी के पास 89 सीटें हैं। वहीं, समाजवादियों, ग्रीन पार्टी और अन्य वामपंथी दलों को मिलाकर बने गठबंधन 'फ्रांस इनसोमीस' के पास 149 सीटे हैं।

फ्रांस में चुनाव कैसे होते हैं?

फ्रांस में दो संदन की व्यवस्था है। ऊपरी सदन को सीनेट और नीचली सदन को नेशनल असेंबली कहा जाता है। सीनेट के सदस्यों का चयन नेशनल असेंबली और स्थानीय अधिकारी मिल कर करते हैं। वहीं, जनता नेशनल असेंबली के लिए सदस्यों के चयन के लिए ही वोट डालती है। दो दौर में ये मतदान होते हैं। पहले दौर में 30 जून को वोट डाले गए थे। अब 7 जुलाई को फिर से सभी सीटों पर दोबारा वोटिंग होगी।

पहले दौर में 12.5 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल करने वाले उम्मीदवार अगले दौर के चुनाव में शामिल हो सकते हैं। इस तरह दूसरे दौर में हर सीट पर दो से तीन उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होता है। इनमें से ही कोई एक जीत कर सदन में पहुंचता है। बहुमत के लिए किसी भी दल या पार्टी को 289 सीट चाहिए।

फ्रांस में मौजूदा चुनाव का महत्व क्यों है?

फ्रांस में पहली बार ऐसा लग रहा है कि दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली सत्ता हासिल कर सकती है। इस पार्टी का नेतृत्व 28 साल के जॉर्डन बार्देला कर रहे हैं। हालांकि, संसद में मरीन ले पेन इस पार्टी का नेतृत्व कर रही हैं। माना जाता है कि पार्टी की असल कमान इनके ही पास है। ये तीन बार राष्ट्रपति पद के लिए लड़ चुकी हैं और हर बार हार मिली है।

यह भी दिलचस्प है हर बार उन्हें पहले से अधिक वोट ही मिले हैं। अब सर्वे में कहा जा रहा है कि उनकी पार्टी फ्रांस में सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है। हालांकि, वह पूर्ण बहुमत से पीछे रह सकती है। पेन की नजर तीन साल बाद होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर भी है।

मैक्रों की पार्टी हार गई तो क्या होगा?

फ्रांस में दो दौर में चुनाव की व्यवस्था है। इसलिए अभी कुछ भी कहना जरा मुश्किल है। वैसे मैक्रों साफ कर चुके हैं कि जीत किसी की भी हो, वो राष्ट्रपति पद से इस्तीफा नहीं देंगे। फ्रांस की राजनीतिक व्यवस्था के अनुसार ऐसा हो सकता है। मैक्रों ने 2022 में राष्ट्रपति का चुनाव जीता था। ऐसे में वे 2027 तक पद पर बने रह सकते हैं। वैसे अगर उनकी प्रतिद्वंद्वी पार्टी नेशनल रैली अभी का चुनाव जीत जाती है तो मैक्रों की मुश्किल बढ़ेगी।

ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री नेशनल रैली पार्टी का होगा। मैक्रों को फिर काफी तालमेल से विरोधी दल के साथ सरकार चलानी पड़ेगी। वैसे नेशनल रैली के प्रमुख बार्देला कह चुके हैं कि अगर पार्टी को बहुमत नहीं मिलती तो वे पीएम नहीं बनेंगे। उन्होंने कहा, 'मैं राष्ट्रपति का सहायत नहीं बनना चाहता।'

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