फ्रांस में वामपंथी दल वाले गठबंधन को सबसे ज्यादा सीटें लेकिन बहुमत नहीं, दक्षिणपंथी नेशनल रैली तीसरे पायदन पर

फ्रांस के संसदीय चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। हालांकि वामपंथी-मध्यमार्गी दलों के गठबंधन न्यू पॉपुलर फ्रंट ने सबसे ज्यादा सीटें जीती हैं। पहले दौर में दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली सबसे आगे रही थी।

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In France, the leftist alliance has the most seats but not the majority, the rightist National Rally is at the third position.

In France, the leftist alliance has the most seats but not the majority, the rightist National Rally is at the third position. फोटो क्रेडिट- X

पेरिस: फ्रांस के संसदीय चुनाव के नतीजे बड़ा उलटफेर लेकर आए हैं। चुनावी नतीजों के बीच देश में कई जगहों पर हिंसा और आगजनी की भी खबरें आ रही हैं। दूसरे दौर के मतदान के बाद आए नतीजों में उम्मीद के उलट वामपंथी-मध्यमार्गी विचारधारा वाले गठबंधन न्यू पॉपुलर फ्रंट (एनएफपी) ने सबसे ज्यादा सीटें जीती है। इस गठबंधन को 182 सीटें मिली हैं।

पहले दौर में हुए मतदान के बाद दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली सबसे आगे रही थी। ऐसे में उसके चुनाव जीतने की उम्मीद जताई जा रही थी। हालांकि, दूसरे दौर में उसे 143 सीटें मिली हैं और वह तीसरे नंबर पर है।

वहीं, दूसरे स्थान पर राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों की पार्टी रेनसां के नेतृत्व वाला गठबंधन इनसेंबल (Ensemble) है। इस गठबंधन को 168 सीटें प्राप्त हुई है। ऐसे में फ्रांस में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। फ्रांस में 577 सीटों वाली नेशनल एसेंबली में स्पष्ट बहुमत के लिए किसी भी गठबंधन के पास 289 सीटें होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ग्रैबिएल एटल देंगे इस्तीफा

फ्रांस-24 के अनुसार चुनावी नतीजों के पूरी तरह स्पष्ट होने के बाद प्रधानमंत्री गेब्रियल एटल सोमवार को अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि वह आगामी पेरिस ओलंपिक तक पद पर बने रहने के इच्छुक हैं। वहीं, प्रेसिडेंशियल पैलेस के अनुसार, मैंक्रॉ प्रधानमंत्री के रूप में किसे नियुक्त करेंगे, इसे लेकर फैसले से पहले वह नए सदन की अंतिम रूप-रेखा क्या बनती है, इसका इंतजार कर रहे हैं।

मैक्रों के फैसले की वजह से हुए मध्यावधि चुनाव

राष्ट्रपति मैक्रों ने मध्यावधि चुनाव का ऐलान यूरोपीय संसद के चुनाव के नतीजों को देखते हुए किया था। दरअसल, यूरोपीय संसद के चुनाव में उनकी प्रतिद्वंद्वी दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी को बड़ी कामयाबी मिली। ऐसे में मैक्रों को लिए यह किसी झटके से कम नहीं था। हालांकि, उनके पास अगले तीन साल तक संसदीय चुनाव कराने की कोई मजबूरी नहीं थी। इसके बावजूद 9 जून को यूरोपीय संसद के चुनावी नतीजे आने के कुछ ही घंटे के भीतर मैक्रों ने बड़ा फैसला ले लिया। यूरोपीय संसद चुनाव में उनकी पार्टी तीसरे नंबर पर थी।

बता दें कि फ्रांस में दो संदन की व्यवस्था है। ऊपरी सदन को सीनेट और नीचली सदन को नेशनल असेंबली कहा जाता है। सीनेट के सदस्यों का चयन नेशनल असेंबली और स्थानीय अधिकारी मिल कर करते हैं। वहीं, जनता नेशनल असेंबली के लिए सदस्यों के चयन के लिए ही वोट डालती है। दो दौर में ये मतदान होते हैं। पहले दौर में 30 जून को वोट डाले गए थे।

पहले दौर में 12.5 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल करने वाले उम्मीदवार अगले दौर के चुनाव में शामिल हो सकते हैं। इस तरह दूसरे दौर में हर सीट पर दो से तीन उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होता है। इनमें से ही कोई एक जीत कर सदन में पहुंचता है।

राष्ट्रपति बने रहें इमैनुअल मैक्रों

फ्रांस की राजनीतिक व्यवस्था के अनुसार इमैनुअल मैक्रों की पार्टी चुनावी नतीजों के अनुसार हार गई है। इसके बावजूद वे राष्ट्रपति बने रह सकते हैं। मैक्रों ने 2022 में राष्ट्रपति का चुनाव जीता था। ऐसे में वे 2027 तक पद पर बने रह सकते हैं। हालांकि, अब उनके लिए दूसरे दल के साथ तालमेल बनाए रखना और अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में दिक्कत हो सकती है।

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