वाशिंगटनः अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) एच आर मैकमास्टर ने अपनी किताब “एट वॉर विद अवरसेल्व्स” में भारत-अमेरिका के संबंधों को लेकर बड़ा दावा किया है। मैकमास्टर ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय सरकार चीनी आक्रामकता के कारण अमेरिका के साथ अभूतपूर्व सहयोग करने की इच्छुक है। लेकिन वह फंसने और कुछ छोड़ने को लेकर डरी हुई है।
डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के दौरान एनएसए रहे मैकमास्टर की यह किताब मंगलवार को बुक स्टोर पर उपलब्ध हो गई है। इस किताब में मैकमास्टर ने अपने कार्यकाल, अमेरिका की विदेश नीति और भारत-अमेरिकी संबंधों समेत कई मुद्दों का उल्लेख किया है। इसमें भारत के एनएसए अजित डोभाल से हुई बातचीत का भी जिक्र किया है।
मैकमास्टर लिखते हैं कि 2018 में ट्रम्प द्वारा बर्खास्त किए जाने से एक दिन पहले उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष अजित के डोभाल से मुलाकात की थी। उन्होंने लिखा है, ‘जिस दिन मुझे बर्खास्त किया गया था, उसके एक दिन पहले मैंने अपने भारतीय समकक्ष अजित डोभाल के साथ क्वार्टर्स 13, फोर्ट मैकनायर में डिनर किया था। डिनर के बाद हमारे चलने के दौरान, उन्होंने धीरे से पूछा, ‘हम और कितने समय तक साथ काम करेंगे?’
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मैकमास्टर ने आगे लिखा, डोभाल की इंटेलिजेंस पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को यह समझने में देर नहीं लगी कि मैं ट्रम्प प्रशासन से जाने वाला था। सीधे जवाब दिए बिना, मैंने उन्हें बताया कि यह मेरे लिए एक सौभाग्य की बात थी। मैंने उन्हें भरोसा दिलाया कि यह संबंध जारी रहेगा।
डोभाल ने उनसे फिर पूछा, आपके जाने के बाद अफगानिस्तान में क्या होगा?” इसपर मैकमास्टर ने उन्हें ट्रम्प के दक्षिण एशिया रणनीति को मंजूरी की याद दिलाई जो 17 वर्षों के युद्ध में पहली तार्किक और स्थायी रणनीति थी। हालांकि मुझे पता था कि मेरा जवाब पूरी तरह से आश्वस्त करने वाला नहीं था। ट्रम्प अपरंपरागत और आवेगशील थे। आवेग में कभी-कभी वे अच्छे फैसले लेते थे लेकिन कभी कभी ये इतने अच्छे नहीं होते थे।
अजित डोभाल को लेकर मैकमास्टर किताब में लिखते हैं कि सामान्य सी चर्चा के दौरान भी वे झुककर और बहुत ही धीमी आवाज में बोलते थे। वे एक-दूसरे को अच्छी तरह जानते थे, इसलिए डोभाल उनसे सीधे कुछ भी पूछ सकते थे।
अपनी पुस्तक में मैकमास्टर ने 14-17 अप्रैल, 2017 के दौरान अपने अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के दौरे का विस्तृत विवरण दिया है, जिसमें उन्होंने नई दिल्ली में तत्कालीन विदेश सचिव एस जयशंकर, डोभाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी।
मैकमास्टर ने डोभाल के जनपथ निवास पर हुई बैठक के बारे में लिखा है, “बातचीत सहज थी, क्योंकि डोभाल, जयशंकर और मैं मानते थे कि हमारे पास अपने आपसी उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करने का एक शानदार अवसर है।” तब जयशंकर विदेश सचिव थे और दिवंगत सुषमा स्वराज विदेश मंत्री थीं।
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मैकमास्टर लिखते हैं, हमने अफगानिस्तान में युद्ध और परमाणु-सशस्त्र, पाकिस्तान से भारत को खतरे के बारे में बात की, लेकिन जयशंकर और डोभाल ने चीन के आक्रामक रवैये के बारे में बात की। शी जिनपिंग की आक्रामकता के कारण दोनों देशों के नेता अभूतपूर्व सहयोग के लिए तैयार थे, जाहिर तौर पर 2017 में डोकलाम में भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध का जिक्र करते हुए।
मैकमास्टर ने आगे लिखते हैं- दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने लोकतंत्रों के बीच गहरी होती साझेदारी तार्किक लगती है, लेकिन भारत को इस बात का डर है कि वह उन प्रतिस्पर्धाओं में फंस सकता है जिनसे वह बचना चाहता है और अमेरिका के दक्षिण एशिया पर कम ध्यान देने और असमंजस के कारण कुछ छोड़ने का भी डर है।
मैकमास्टर ने किताब में लिखा है कि अपने दौरे के अंतिम दिन उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की। जहां मोदी ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। पूर्व एनएसए लिखते हैं कि यह स्पष्ट था कि हमारे संबंधों को गहरा और विस्तारित करना उनके लिए एक शीर्ष प्राथमिकता थी। उन्होंने भारत की कीमत पर अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन के बढ़ते आक्रामक प्रयासों और क्षेत्र में इसकी बढ़ती सैन्य उपस्थिति पर चिंता व्यक्त की।
मैकमास्टर कहते हैं, मोदी ने चीन की ‘वन बेल्ट वन रोड’ पहल के उलट अमेरिका, भारत, जापान और समान विचारधारा वाले साझेदार सभी के लाभ के लिए एक समावेशी प्रयास के रूप में एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक की अवधारणा पर जोर दिया। बैठक के अंत में प्रधानमंत्री ने उन्हें गले लगाया, उनके कंधों पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। कहा, आपके पास एक आभा है, और आप मानवता के लिए अच्छा करेंगे। कुछ महीनों बाद, ट्रम्प ने 25-26 जून, 2017 को व्हाइट हाउस में मोदी के साथ बैठक की मेजबानी की।
बता दें मैकमास्टर की पुस्तक, जो ट्रम्प के कमांडर-इन-चीफ के रूप में कार्यकाल पर केंद्रित है, ऐसे समय में आई है जब कई अमेरिकियों ने यह सोचना शुरू किया है कि ट्रम्प या उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, उनके डेमोक्रेटिक पार्टी प्रतिद्वंद्वी, 5 नवंबर के चुनाव में एक बेहतर कमांडर-इन-चीफ होंगे। एक अधिकारी होने के अलावा, मैकमास्टर के पास इतिहास में डॉक्टरेट भी है। उन्होंने एक और किताब लिखी है जिसका शीर्षक है, “डेरिलिक्शन ऑफ ड्यूटी: जॉनसन, मैकमारा, द जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ, एंड द लाइज दैट लेड टू वियतनाम।”