वॉशिंगटन डीसी: इसी साल नवंबर में अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव होने वाले हैं। चुनाव के मद्देनजर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका से ग्रेजुएशन पास करने वाले विदेश छात्रों के लिए ग्रीन कार्ड देने का प्रस्ताव रखा है।
हालांकि ट्रंप जब सत्ता में थे तब वे ग्रीन कार्ड और इमिग्रेशन जैसे मुद्दों अलग राय रखते थे। इस दौरान उन्होंने कभी भी विदेशी छात्रों को ग्रीन कार्ड देने की बात नहीं कही थी। बल्कि उन्होंने कुछ खास देशों से अमेरिका आने वाले लोगों के बैन भी कर रखा था।
भारत से भी भारी संख्या में छात्र जाते हैं अमेरिका पढ़ने
अमेरिका में पढ़ाई कर रहे अंतरराष्ट्रीय छात्रों को ध्यान में रखते हुए पूर्व राष्ट्रपति द्वारा यह घोषणा की गई है। दुनिया के कई देशों समेत भारत से भी भारी संख्या में छात्र अमेरिका में पढ़ाई करने जाते हैं। जिन छात्रों को अमेरिका का ग्रीन कार्ड मिल जाता है वे यहां पर पढ़ाई के बाद रहने और काम करने के लिए कानूनी तरीके से योग्य हो जाते हैं।
अमेरिका में विदेशी छात्रों की क्या है चिंताएं
पढ़ाई पूरी करने के बाद ये छात्र अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित रहते हैं कि क्या इसके बाद उन्हें यहां काम मिलेगा या नहीं। उनकी यह भी चिंता होती है कि अगर यहां अच्छी नौकरी नहीं मिली तो उन्हें अपना देश वापस लौटना होगा।
अमेरिका में पढ़ाई कर रहे छात्र ग्रीन कार्ड के बारे में बाद में सोचते हैं, पहले उन्हें अच्छी नौकरी की चिंता होती है। ऐसे में आइए जान लेते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप के ग्रीम कार्ड के प्रस्ताव से अमेरिका में पढ़ रहे विदेशी छात्रों को क्या कोई नई उम्मीद जगी है या फिर यह भी एक आम चुनावी वादों की तरह ही एक जुमला ही है।
डोनाल्ड ट्रंप ने क्या प्रस्ताव दिया है
इलेक्शन कैंपेन के दौरान पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने “ऑल-इन” नामक एक पॉडकास्ट में हिस्सा लिया था। पॉडकास्ट में उन्होंने अमेरिका में पढ़ रहे विदेशी छात्रों के उनके ग्रेजुएशन पास होने के बाद उन्हें ग्रीन कार्ड देने की बात कही है।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा है कि अमेरिका में पढ़ रहे विदेशी छात्र ग्रेजुएशन पास होने के बाद वे यहां रहना चाहते हैं लेकिन वे रह नहीं पाते हैं।
विदेशी छात्रों के अमेरिका से बाहर जाने से देश का हो रहा नुकसान-ट्र्ंप
ट्रंप के अनुसार, पास हुए छात्रों के पास एक कंपनी और योजना भी होती है लेकिन वे यहां नहीं रह सकते हैं जिसके लिए उन्हें अनपे देश वापस जाना होता है। वे अपने देश जाकर नई कंपनियां खोलते हैं और हजारों लोगों को नौकरियां देते हैं।
इस तरीके से अमेरिका में पढ़े हुए छात्र अपने देश में अरबपति बन जाते हैं और यहां के लोगों को कुछ भी फायदा नहीं पहुंचता है। ट्रंप इन विदेशी छात्र को ग्रीन कार्ड देने की वकालत कर इन छात्रों को अमेरिका छोड़ने से रोकना चाहते हैं और यहीं पर कंपनियां खोलने और नौकरियां देने पर जोर देने की बात कर रहे हैं।
इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप का क्या था स्टैंड
डोनाल्ड ट्रंप जब 2017 से 2021 के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति थे तब उन्होंने यूएस-मेक्सिको सीमा पर एक विशाल दीवार खड़ा किया था। वे इस दीवार के जरिए अमेरिका में अवैध रूप से घुसने वाले आप्रवासियों को रोकना चाहते थे। यही नहीं उस दौरान उन्होंने मुस्लिम देशों के लोगों के अमेरिका में एंट्री पर भी बैन लगा दिया था।
जब वे राष्ट्रपति थे तब वे कभी भी कॉलेज-शिक्षित आप्रवासियों के प्रवेश में वृद्धि को लेकर कोई बात नहीं कही थी। यही नहीं इस दौरान उन्होंने कभी भी अमेरिका के विश्वविद्यालयों से ग्रेजुएशन पास करने वाले विदेशी छात्रों को डायरेक्ट ग्रीन कार्ड देने का कोई भी प्रस्ताव नहीं दिया था।
पहले भी किए गए हैं ऐसे वादें
यह पहली बार नहीं जब अमेरिका के किसी नेता ने विदेशी छात्रों और कुशल श्रमिकों के लिए इमिग्रेशन को आसान बनाने का वादा नहीं किया है। इससे पहले भी इस तरह के कई वादे किए जा चुके हैं जिससे इमिग्रेशन की प्रक्रिया आसान तो नहीं हुई है बल्कि यह और भी उलझ गई है।
इससे पहले जब बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्र्पति थे तब डेफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड अराइवल्स (डीएसीए) कार्यक्रम शुरू किया गया था जिसमें युवा अप्रवासियों को अस्थायी राहत देने की योजना बनाई गई थी।
लेकिन इस कार्यक्रम को कई कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जिससे इसके भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। साल 2016 में ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान के दौरान यह ऐलान किया था कि वे एच-1बी वीजा कार्यक्रम को समाप्त कर देंगे।
ट्रंप का कहना था कि इस वीजा को इस्तेमाल कर अमेरिकी कंपनियां कम वेतन पर विदेशी कर्मचारियों को नौकरी दे रही है जिसका असर अमेरिकी श्रमिकों पर पड़ रहा है। हालांकि काफी समय से यह वीजा ऐसे ही है और इसे लेकर कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है।
छात्रों ने दी मिली-जुली प्रतिक्रिया
डोनाल्ड ट्रंप के विदेशी छात्रों को ग्रीन कार्ड के प्रस्ताव पर छात्रों ने मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी है। उन्होंने कहा है कि पहले भी इस तरह के वादे किए गए हैं जो कभी पूरे नहीं किए गए थे। कुछ छात्रों ने इसे अच्छा कदम बताया है और इसका स्वागत भी किया है।
अमेरिका में कंप्यूटर सांइंस की पढ़ाई कर रहे दिल्ली के एक छात्र ने कहा है कि इस तरह के प्रस्ताव से छात्रों के बीच पढ़ाई के बाद जो अनिश्चितता का माहौल पैदा होता है, इससे वह दूर हो सकता है। तेलंगाना के वारंगल से अमेरिका गए एक इंजीनियरिंग छात्र ने कहा है कि ये वादे कितने सही साबित होते हैं, इसके लिए इंतजार करके देखना होगा।
इस प्रस्ताव से अमेरिका को होगा लाभ
अगर डोनाल्ड ट्रंप यह चुनाव जीत जाते हैं और इस प्रस्ताव को अमेरिका में लागू कर देते हैं तो इससे भारी संख्या में विदेशी छात्र अमेरिका में पढ़ाई के लिए आवेदन करेंगे। इस तरीके से भारी संख्या में छात्रों के यहां पर पढ़ने से देश की अर्थव्यवस्था को काफी लाभ पहुंचेगा।
यही नहीं अगर यह प्रस्ताव लागू हो जाता है तो कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके पर भी दबाव बन जाएगा जो विदेशी छात्रों को अपने यहां अकर्षित करने में काफी हद तक कामयाब भी रहती हैं। इससे इन देशों को भी विदेशी छात्रों को इस तरह के ऑफर देने पड़ सकते हैं।
क्या कहते हैं आंकड़े
अमेरिका में पढ़ाई करने और फिर ग्रीन कार्ड मिलने के बाद वहां पर रहने का सपना देख रहे विदेशी छात्रों को वीजा रद्द होने जैसी बाधाओं का भी डर बना रहता है। आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल छात्रों के वीजा रद्द होने में 36 फीसदी का इजाफा हुआ है जिससे 253, 355 छात्र अमेरिका में प्रवेश नहीं कर पाए थे।
इससे छात्रों में काफी निराशा और तनाव जैसे हालात पैदा होते हैं। ट्रंप द्वारा ग्रीन कार्ड का वादा आकर्षक है, लेकिन वीजा संबंधी कठिनाइयां छात्रों के लिए बाधा बनी हुई हैं।
आने वाले सालों में बढ़ सकती है छात्रों की संख्या
2022-23 शैक्षणिक वर्ष की अगर बात करें तो इस दौरान अमेरिका के कॉलेजों में दस लाख से भी अधिक विदेशी छात्र पढ़ाई कर रहे हैं और आने वाले सालों में यह संख्या और भी बढ़ सकती है।
अमेरिका भी भारतीय छात्रों में काफी लोकप्रिय है और भारी संख्या में छात्र यहां पर पढ़ाई करने की इच्छा रखते हैं। अमेरिका के अलावा कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके भी भारतीय छात्रों के बीच काफी फेमस है।