ब्रिटेन में महिलाओं के खिलाफ 'नफरती सोच' रखने वालों को अब माना जाएगा आतंकी, वैसी ही मिलेगी सजा

एनपीसीसी का अनुमान है कि इंग्लैंड और वेल्स में हर साल 12 में से कम से कम एक महिला पुरुषों के द्वारा इस तरह की नफरत या फिर हिंसा की शिकार होती है।

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for first time UK govt plans to treat extreme misogyny as terrorism punish accordingly Yvette Cooper Andrew Tate

प्रतिकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

लंदन: ब्रिटेन में महिलाओं को लेकर पुरुषों की बढ़ती नफरती सोच पर एक्शन लेने की तैयारी की जा रही है। यहां की मौजूदा सरकार महिलाओं के खिलाफ इस तरह की सोच रखने वालों को लेकर एक नई कानून पर विचार कर रही है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, यह कानून काफी सख्त होगा और महिलाओं के प्रति 'अति नफरत' रखने वालों को आतंकवाद की तरह लिया जाएगा और उस हिसाब से उन्हें सजा भी दी जाएगी। कानून का लक्ष्य ऑनलाइन युवा पुरुषों के कट्टरपंथ से कड़ाई से निपटना है।

ब्रिटेन में पिछले कई सालों से महिलाओं के प्रति नफरती भावना देखने को मिल रही है। इसे रोकने के लिए कई प्रयास भी किए गए हैं लेकिन वे कारगर साबित नहीं हुए थे।

पुलिस का कहना है कि एंड्रयू टेट जैसे ऑनलाइन इंफ्लुएंसर महिलाओं को लेकर पुरुषों और युवाओं में नफरती भावना भर रहे हैं। इस तरह के लोगों को कानून के दायरे में लाने की कोशिश की जा रही है।

क्या आदेश दिए गए हैं

रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन की गृह सचिव यवेटे कूपर ने मौजूदा कानून में कमियों की पहचान करने का आदेश दिया है। यही नहीं महिलाओं के खिलाफ उभरती विचारधाराओं की जांच करने के लिए देश की आतंकवाद विरोधी रणनीति की समीक्षा करने का भी निर्देश दिया गया है।

इस आदेश में उन विचारधारा वाले लोगों को ज्यादा फोकस करने की बात कही गई है जो महिलाओं को ऑनलाइन टारगेट कर रहे हैं। अगर यह कानून बन जाता है तो यह ब्रिटेन की इतिहास में पहली बार ऐसा होगा जब महिलाओं के प्रति नफरत रखवाने वालों को आतंकी माना जाएगा और उन्हें उस हिसाब से सजा होगी।

संदिग्धों के बारे में शिक्षकों को देनी होगी जानकारी

इस नए प्रस्तावित कानून में शिक्षकों, हेल्थ से जुड़े लोगों और स्थानीय अधिकारियों को उन लोगों को जानकारी देना जरूरी हो जाएगा जिन पर महिलाओं के खिलाफ नफरत की भावना रखने का शक हो।

जिन लोगों पर शक होगा और उनकी पहचान हो जाएगी, उन पर स्थानीय पुलिस की भी नजर होगी और उनकी गतिविधियों को मॉनिटर किया जाएगा।

यवेटे कूपर ने क्या कहा है

इस पर बोलते हुए यवेटे कूपर ने कहा है कि, 'यह बात लंबे समय से देखी जा रही है कि महिलाओं के खिलाफ ऑन लाइन और सड़कों पर बढ़ते अपराध को रोकने में सरकार नाकाम रही है। हमने यह भी देखा है कि युवाओं में ऑनलाइन कट्टरपंथी सोच भरी जा रही है। इस सोच के जरिए हमारे समुदाय के ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने के लिए उन्हें उकसाया जा रहा है।'

कब लिया गया है कि यह फैसला

ब्रिटेन द्वारा यह फैसला तब लिया गया है जब एंड्रयू टेट जैसे ऑनलाइन इंफ्लुएंसर पर यह आरोप लगा है कि वह ऑनलाइन महिलाओं के खिलाफ नफरत को बढ़ावा दे रहा है।

इससे पहले ब्रिटिश पुलिस ने यह कहा था कि टेट जैसे लोग ऑनलाइन पुरुषों और लड़कों को भड़का रहे हैं जो काफी चिंताजनक है। दावा यह भी है कि टेट जैसे लोग ब्रिटेन के स्कूलों में काफी चर्चित हैं और लड़के उनसे काफी प्रभावित भी हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े

राष्ट्रीय पुलिस प्रमुख परिषद ने इस मुद्दे को "राष्ट्रीय आपातकाल" के रूप में वर्णित किया है। परिषद का कहना है कि इस तरह की विचार रखने वाले लोग महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा करते हैं।

एनपीसीसी का अनुमान है कि इंग्लैंड और वेल्स में हर साल 12 में से कम से कम एक महिला पुरुषों के द्वारा इस तरह की नफरत या फिर हिंसा की शिकार होती है। एनपीसीसी का यह भी कहना है कि अनुमान यह भी है कि इससे हर साल ब्रिटेन में लगभग 20 लाख महिलाएं प्रभावित होती है।

कौन हैं एंड्रयू टेट

एंड्रयू टेट एक विवादास्पद ब्रिटिश अमेरिकी इंफ्लुएंसर है। उसने खुद को महिलाओं का विरोधी बताया है। उस पर महिलाओं के खिलाफ नफरत को जन्म देने के आरोप हैं। साल 2016 में बिग ब्रदर जैसे लोकप्रिय टीवी शो में हिस्सा लेने के बाद वह काफी चर्चित हुआ था जिसके बाद वह युवाओं में काफी फेमस हो गया था।

टेट के खिलाफ यूरोपीय देश रोमानिया में कई मामले चल रहे हैं। टेट पर बलात्कार, मानव तस्करी और महिलाओं का यौन शोषण करने के लिए एक आपराधिक गिरोह बनाने का गंभीर आरोप है। हालांकि इन आरोपों से वह इनकार करते आ रहा है।

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