हर छठा इंसान अकेलेपन का शिकार, हर घंटे 100 मौतों से जुड़ा संकट; WHO रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

रिपोर्ट में बताया गया है कि किशोर और युवा वयस्क सबसे अधिक अकेलेपन से प्रभावित हैं। 13–17 आयु वर्ग में 20.9% और 18–29 आयु वर्ग में 17.4% युवा इससे जूझते हैं।

Loneliness, 1 in 6 people worldwide affected,  हर छठा व्यक्ति अकेलेपन से जूझ रहा,

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में हर छह में से एक व्यक्ति अकेलेपन से जूझ रहा है। यानी कुल 17% आबादी इससे प्रभावित है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि यह अकेलापन केवल एक भावनात्मक स्थिति नहीं, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन चुका है। 2014 से 2023 के बीच अकेलेपन से जुड़ी स्थितियों के कारण हर घंटे औसतन 100 लोगों की जान गई, यानी कुल 8,71,000 मौतें हुईं। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अकेलापन उस पीड़ादायक भावना का नाम है जो व्यक्ति तब महसूस करता है जब उसकी सामाजिक अपेक्षाएं और वास्तविकता के बीच बड़ा अंतर हो। वहीं, सामाजिक अलगाव का मतलब है – पर्याप्त सामाजिक संपर्कों का वस्तुनिष्ठ अभाव। इसके उलट, सामाजिक जुड़ाव वह तरीका है जिससे लोग एक-दूसरे से रिश्ते बनाते और संवाद करते हैं।

किसे सबसे अधिक महसूस होता है अकेलापन?

रिपोर्ट में बताया गया है कि किशोर और युवा वयस्क सबसे अधिक अकेलेपन से प्रभावित हैं। 13–17 आयु वर्ग में 20.9% और 18–29 आयु वर्ग में 17.4% युवा इससे जूझते हैं।

रिपोर्ट बताती है कि कम आय वाले देशों में यह समस्या और गंभीर है, जहां हर चौथा व्यक्ति (24%) खुद को अकेला महसूस करता है। अफ्रीकी क्षेत्र में यह दर सबसे अधिक है (24%) — जो उच्च आय वाले देशों की तुलना में दोगुनी है (लगभग 11%)। वहीं, यूरोप में यह दर सबसे कम (10%) पाई गई।

विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख डॉ. टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस ने कहा, "ऐसे युग में जब जुड़ने की संभावनाएं अनगिनत हैं, लोग पहले से कहीं ज्यादा अकेले और अलग-थलग महसूस कर रहे हैं।" उन्होंने चेताया कि अगर इस समस्या की अनदेखी की गई, तो अकेलापन और सामाजिक अलगाव समाज को स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसे क्षेत्रों में अरबों डॉलर का नुकसान पहुंचा सकता है।

किन कारणों से बढ़ रहा है अकेलापन?

WHO की रिपोर्ट के अनुसार अकेलापन केवल भावनात्मक स्थिति नहीं, बल्कि जीवनशैली, आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी कारकों से गहराई से जुड़ा हुआ संकट बन चुका है। रिपोर्ट बताती है कि खराब शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य, कम आय और शिक्षा स्तर, अकेले रहना, आसपास जरूरी सामुदायिक सुविधाओं और सार्वजनिक नीतियों की कमी- ये सभी कारक अकेलेपन की स्थिति को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा, अत्यधिक स्क्रीन समय और सोशल मीडिया पर नकारात्मक अनुभव भी लोगों को वास्तविक सामाजिक जुड़ाव से दूर कर रहे हैं, जिससे मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

WHO ने विशेष रूप से युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर डिजिटल तकनीकों के अत्यधिक इस्तेमाल और सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव को लेकर सतर्कता बरतने की आवश्यकता जताई है।

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article