दक्षिण अफ्रिका में नेल्सन मंडेला की पार्टी 'एएनसी' के वर्चस्व का अंत!, क्या है इसके मायने?

बहुमत से लगभग 10% कम होने के कारण, एएनसी को सरकार बनाने के लिए डीए, एमके पार्टी, या ईएफएफ में से किसी एक को समर्थन के लिए मनाना होगा।

एडिट
End of dominance of Nelson Mandela's party 'ANC' in South Africa!, what does it mean?

End of dominance of Nelson Mandela's party 'ANC' in South Africa!, what does it mean?

केप टाउन: दक्षिण अफ्रिका में नेल्सन मंडेला की अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (एएनसी) पार्टी बहुमत पाने से चूक गई है। बुधवार (29 मई) के चुनावों में उसे राष्ट्रीय वोट शेयर का सिर्फ 40% हिस्सा ही मिला है। वह 50 प्रतिशत वोट हासिल नहीं कर पाई। बीते 30 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि एएनसी को बहुमत नहीं मिला।

दक्षिण अफ्रीका की मुख्य विपक्षी पार्टी डेमोक्रेटिक अलायंस (डीए) 22% वोट के साथ दूसरे स्थान पर रही। जबकि जैकब जुमा की पार्टी यूमखोंटो वी सिजवे (एमके) को लगभग 15% वोट और मार्क्सवादी-लेनिनवादी आर्थिक स्वतंत्रता सेनानी (ईएफएफ) को 9% से ज़्यादा वोट हासिल हुए हैं।

अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस के वर्चस्व का अंत

तीन दशक पहले, नेल्सन मंडेला की एएनसी ने दक्षिण अफ्रीका के पहले बहु-नस्लीय चुनाव में भारी जीत हासिल की थी। 10 मई, 1994 को मंडेला देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे। एएनसी ने 62.65% वोट प्राप्त किए और 400 में से 252 सीटें जीतीं। तब से एएनसी ने दक्षिण अफ्रीकी राजनीति में अपना वर्चस्व बनाए रखा। लेकिन हाल के वर्षों में, एएनसी ने धीरे-धीरे लेकिन लगातार गिरावट देखी है। राजनीतिक विशेषज्ञ अब्देलहक बस्सू ने पॉलिसी सेंटर फॉर द न्यू साउथ के लिए एक लेख में कहा कि "कई युवा मतदाताओं ने रंगभेद के दौर को नहीं देखा है। जिस आधार पर वे सरकार का मूल्यांकन करते हैं, वह मुक्ति आंदोलनों पर निर्भर नहीं करता। बल्कि स्वास्थ्य, रोजगार, आर्थिक विकास जैसे क्षेत्रों में उनके परिणामों पर निर्भर करता है। एएनसी का सैन्य इतिहास अब चुनावी मामलों में ज्यादा मददगार नहीं माना जाता।''

गठबंधन में बनेगी सरकार 

30 साल के इतिहास में एएनसी का चुनाव में सबसे खराब प्रदर्शन माना जा रहा है।  71 वर्षीय वर्तमान राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करना चाहेंगे, लेकिन उनकी पार्टी के खराब प्रदर्शन ने स्थिति को उलझा दिया है। बहुमत से लगभग 10% कम होने के कारण, एएनसी को सरकार बनाने के लिए डीए, एमके पार्टी, या ईएफएफ में से किसी एक को समर्थन के लिए मनाना होगा। ऐसा पहली बार होगा कि पार्टी को सरकार बनाने और अपने नेता को राष्ट्रपति के रूप में चुनने के लिए गठबंधन सहयोगियों की तलाश करनी पड़ेगी।

फंसा पेंच

एमके पार्टी ने कहा है कि वह रामाफोसा के नेतृत्व में एएनसी के साथ गठबंधन में नहीं जाएगी। दिसंबर 2023 में स्थापित हुई इस पार्टी ने चुनावों में संभवतः सबसे बड़ी जीत हासिल की है। इसने पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा के गृह प्रांत क्वाज़ुलु नटाल में सत्ता पर कब्जा किया है जहां एएनसी 1994 से कभी नहीं हारी थी। जैकब को यहां से चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया था।

दक्षिण अफ्रिका में राष्ट्रपति का कैसे चुनाव होता है?

दक्षिण अफ्रीका में लोग सीधे राष्ट्रपति के लिए मतदान नहीं करते हैं। इसके बजाय, उनके वोट आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर नेशनल असेंबली (एनए) की संरचना का निर्धारण करते हैं। नेशनल असेंबली फिर साधारण बहुमत (400 सदस्यीय एनए में 201 या अधिक वोट) से राष्ट्रपति का चुनाव करती है। दक्षिण अफ्रीका के संविधान के अनुसार, चुनावी परिणामों की आधिकारिक घोषणा होने के 14 दिनों के भीतर राष्ट्रपति को चुना जाना चाहिए। शक्ति में कौन सा गठबंधन और किसके नेतृत्व में आता है, यहाँ तक कि उस प्रक्रिया में भी चुनौतियों से भरा होगा।

दक्षिण अफ्रीका में 55% लोग गरीबी में जीते हैं

विश्व बैंक के अनुसार, दक्षिण अफ्रीका की जनसंख्या का 55% लोग गरीबी में जीते हैं। यहां की बेरोजगारी दर 33% है। जबकि देश जल, आवास, और ऊर्जा संकटों का भी सामना कर रहा है। आर्थिक असंतोष के कारण अपराध भी तेजी से बढ़े हैं। हत्या दर 100,000 लोगों में 45, दुनिया में सबसे अधिक हैं।

बहुत से लोग मानते हैं कि देश को सही दिशा में बढ़ाने के लिए "एएनसी के वर्चस्व का अंत" होना जरूरी थी। जब 1994 में एएनसी सत्ता में आई तो इसने दक्षिण अफ्रीका के गरीब, अश्वेत लोगों के उत्थान का वादा किया था। हालांकि उसपर इस वादे को पूरा न करने का आरोप लगता है।

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article