पेरिस: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एक बड़ा ऐलान किया है। मैक्रों ने गुरुवार को कहा कि उनका देश सितंबर में संयुक्त राष्ट्र की बैठक के दौरान औपचारिक रूप से फिलिस्तीन को अलग राष्ट्र की मान्यता देगा। मैक्रों की यह घोषणा गाजा में बढ़ते मानवीय संकट पर तेज होती बहस के बीच आई है।
फ्रांस यह कदम उठाता है तो वह इस तरह के कदम की घोषणा करने वाला सबसे शक्तिशाली यूरोपीय राष्ट्र हो जाएगा। दूसरी ओर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मैक्रों के कदम की आलोचना की है। अमेरिका ने भी इस पर नाराजदी जताई है।
इजराइल की हमास के खिलाफ शुरू की हई कार्रवाई में गाजा में अभी तक हजारों लोगों की मौत हुई है। कई लोग फँसे हुए हैं। इन सबके बीच प्रभावित स्थानों पर मानवीय सहायता के पहुंचने में देरी की भी खबरें आती रही है। कई नागरिकों के भूख से भी मरने की खबरें आई हैं।
इमैनुएल मैक्रों ने क्या कहा है?
मैक्रों ने कहा, 'मध्य पूर्व में न्यायसंगत और स्थायी शांति के प्रति अपनी ऐतिहासिक प्रतिबद्धता के अनुरूप मैंने निर्णय लिया है कि फ्रांस फिलिस्तीन को अलग देश की मान्यता देगा। मैं इस सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के समक्ष यह गंभीर घोषणा करूँगा।'
उन्होंने आगे कहा कि गाजा में युद्ध को समाप्त करना और नागरिकों को राहत पहुँचाना तत्काल प्राथमिकता है। मैक्रों ने तत्काल युद्धविराम, सभी बंधकों की रिहाई और गाजा के लोगों के लिए व्यापक मानवीय सहायता, साथ ही हमास के विसैन्यीकरण और गाजा के पुनर्निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया।
Consistent with its historic commitment to a just and lasting peace in the Middle East, I have decided that France will recognize the State of Palestine.
— Emmanuel Macron (@EmmanuelMacron) July 24, 2025
I will make this solemn announcement before the United Nations General Assembly this coming September.… pic.twitter.com/VTSVGVH41I
मैक्रों ने आगे कहा, 'हमें फिलिस्तीन राज्य का निर्माण करना होगा, उसकी व्यवहार्यता सुनिश्चित करनी होगी, और यह सुनिश्चित करना होगा कि इसके विसैन्यीकरण को स्वीकार करके और इजराइल को पूर्ण मान्यता देकर, हम इस क्षेत्र में सभी की सुरक्षा में योगदान दें। इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। फ्रांसीसी लोग मध्य पूर्व में शांति चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा, 'यह हमारी जिम्मेदारी है - फ्रांसीसी नागरिकों के रूप में, इजराइलियों, फिलिस्तीनियों और हमारे यूरोपीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोगियों के साथ - कि हम यह साबित करें कि शांति संभव है।'
फ्रांस के कदम पर भड़के अमेरिका और इजराइल
मैक्रों की घोषणा पर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने नाराजगी जताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इस तरह का कदम "आतंकवाद को बढ़ावा" देगा और "एक और ईरानी प्रॉक्सी के निर्माण का जोखिम" पैदा करेगा।
नेतन्याहू ने एक बयान में कहा, 'हम 7 अक्टूबर के नरसंहार के बाद तेल अवीव के बगल में एक फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने के राष्ट्रपति मैक्रों के फैसले की कड़ी निंदा करते हैं। इस तरह का कदम आतंक को बढ़ावा देता है और एक और ईरानी प्रॉक्सी के निर्माण का जोखिम पैदा करता है, जैसा कि गाजा बन गया है।'
उन्होंने आगे कहा, 'इन परिस्थितियों में एक फिलिस्तीनी राज्य, इजराइल को नष्ट करने का एक लॉन्च पैड होगा - न कि उसके साथ शांति से रहने का। यह स्पष्ट कर दूं कि फ़िलिस्तीनी इजराइल के साथ एक देश नहीं चाहते; वे इजराइल को हटाकर बजाय एक देश चाहते हैं।'
वहीं, दूसरी ओर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने की मैक्रों की योजना का 'कड़ा विरोध' करता है। उन्होंने आगे कहा, 'यह लापरवाही भरा फैसला केवल हमास के दुष्प्रचार को बढ़ावा देता है और शांति को बाधित करता है। यह 7 अक्टूबर के पीड़ितों के मुँह पर एक तमाचा है।'
कितने देशों ने दी है फिलिस्तीन को मान्यता?
फ्रांस के ऐलान के बाद फिलिस्तीनी प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारी हुसैन अल-शेख ने इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने कहा यह 'अंतर्राष्ट्रीय कानून के प्रति फ्रांस की प्रतिबद्धता और फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार और हमारे स्वतंत्र राज्य की स्थापना के प्रति उसके समर्थन को दर्शाता है।'
हमास ने भी मैक्रों की घोषणा की प्रशंसा की है।
बता दें कि गाजा संघर्ष के मद्देनजर अब कम से कम 142 देश फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता दे रहे हैं या मान्यता देने की योजना बना रहे हैं। यह संघर्ष तब शुरू हुआ जब 7 अक्टूबर, 2023 को हमास ने इजराइल पर हमला किया, जिसमें 1,200 से अधिक लोग मारे गए और 250 से अधिक बंधक बना लिए गए।
इसके बाद इजराइल ने तेज सैन्य कार्रवाई शुरू की और गाजा का एक बड़ा हिस्सा मलबे में तब्दील हो गया है। गाजा संघर्ष शुरू होने के बाद, नॉर्वे, स्पेन, आयरलैंड और स्लोवेनिया जैसे देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता देने का कदम उठाया है। इसके अलावा कई गैर-यूरोपीय देश भी इस लिस्ट में शामिल हैं। ब्रिटिश प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने घोषणा की है कि वह शुक्रवार को जर्मनी और फ्रांस में अपने समकक्षों के साथ लड़ाई रोकने के प्रयासों पर चर्चा करेंगे।