अमेरिकाः नाटो और यूएन से निकलने का अरबपति मस्क ने किया समर्थन

अरबपति एलन मस्क ने अमेरिका के यूएन और नाटो से निकलने का समर्थन किया है। फरवरी में इसके लिए रिपब्लिन सीनेटर की तरफ से एक प्रस्ताव लाया गया था।

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नाटो और यूएन से अमेरिका के निकलने का मस्क ने किया समर्थन

वाशिंगटन: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सलाहकार और सरकारी दक्षता विभाग के प्रमुख एलन मस्क ने नाटो और यूएन से अमेरिका के बाहर निकलने का समर्थन किया है।  

मस्क ने अपना रुख ऐसे समय में जाहिर किया है जब यूक्रेन संघर्ष पर वाशिंगटन और उसके यूरोपीय सहयोगियों के बीच मतभेद गंभीर होते जा रहे हैं और शुक्रवार को ही पूरी दुनिया ने व्हाइट हाउस में ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच तीखी बहस देखी है।

दरअसल राजनीतिक टिप्पणीकार और एमएजीए कार्यकर्ता गुंथर ईगलमैन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "नाटो और यूएन को छोड़ने का समय आ गया है।' उन्होंने रिपब्लिकन सीनेटर माइक ली द्वारा इस तरह के कदम के लिए आह्वान करने वाले पोस्ट को साझा किया था।

ईगलमैन की पोस्ट पर रिएक्शन देते हुए मस्क ने लिखा, "मैं सहमत हूं"

फरवरी में लाया गया था प्रस्ताव

फरवरी में, यूटा के सीनेटर ली ने संयुक्त राष्ट्र संकट से संपूर्ण रूप से अलग होने का प्रस्ताव पेश किया था। इसमें विश्व निकाय को 'अत्याचारियों का मंच' बताया गया था, जो अमेरिका और उसके सहयोगियों पर हमला करता है और अपने सारी फंडिंग के बावजूद युद्ध, नरसंहार, मानवाधिकार उल्लंघन और महामारी को रोकने में सक्षम नहीं है।

मस्क ने उस वक्त ली के रुख का समर्थन करते हुए एक्स पर एक पोस्ट में कहा था कि अमेरिका 'संयुक्त राष्ट्र और उससे जुड़ी संस्थाओं को जरूरत से ज्यादा धनराशि प्रदान करता है।'

यह पहली बार नहीं है जब मस्क ने नाटो में अमेरिका की सदस्यता पर प्रश्न उठाया है। पिछले महीने ही उन्होंने इसे शीत युद्ध के बाद के युग में अप्रासंगिक बताया था।

अरबपति बिजनेसमैन ने अमेरिकी करदाताओं द्वारा यूरोप की रक्षा लागत का एक बड़ा हिस्सा वहन करने के पीछे के तर्क पर भी सवाल उठाए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका नाटो के सैन्य खर्च का लगभग 67 प्रतिशत भुगतान करता है, जबकि अपने सकल घरेलू उत्पाद का केवल 3.5 प्रतिशत ही रक्षा पर खर्च करता है।

ट्रंप ने भी नाटो की आलोचना की है, और इससे बाहर निकलने की धमकी दी है, इस आधार पर कि अमेरिका यूरोपीय सुरक्षा के लिए अनुचित वित्तीय बोझ सहन करता है।

(यह खबर आईएएनएस समाचार एजेंसी की फीड द्वारा प्रकाशित है। इसका शीर्षक बोले भारत न्यूज डेस्क द्वारा दिया गया है।)

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