डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो- IANS)
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वॉशिंगटन: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सोमवार (20 जनवरी) को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। भारतीय समय के अनुसार शपथ ग्रहण सोमवार देर रात 10.30 बजे होगा। हालांकि, इससे पहले ही डोनाल्ड ट्रंप दूसरे कार्यकाल में अपने इरादों को जाहिर कर चुके हैं। इसमें अमेरिका में ट्रांसजेंडर और ट्रांसजेंडर एथलीटों से जुड़ा मुद्दा भी शामिल है।
ट्रंप ने रविवार को इस मुद्दे पर एक बार फिर अपनी बात रखी। ट्रंप ने दोहराया कि वे ट्रांसजेंडर एथलीटों को महिलाओं के खेलों में भाग लेने से रोकने के अपने रुख पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रपति पद पर अपने दूसरे कार्यकाल पहले ही दिन 'पुरुषों को बाहर रखने' के अध्यादेश (Executive Order) पर हस्ताक्षर करेंगे।
'अमेरिका में केवल दो जेंडर को मान्यता'
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप ने अपने शपथ ग्रहण समारोह से एक दिन पहले वाशिंगटन में एक रैली को संबोधित करते हुए ये बात कही। पिछले महीने भी ट्रंप ने एरिजोना में लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि एक बार जब वह पद संभालेंगे, तो वह केवल दो जेंडर- पुरुष और महिला की पहचान के लिए एक 'आधिकारिक नीति' बनाएंगे।
ट्रंप ने एरिजोना में कहा था, 'पहले ही दिन मेरी कलम से हम ट्रांसजेंडर वाले पागलपन को रोकने जा रहे हैं।' उन्होंने आगे कहा, 'मैं बाल यौन उत्पीड़न को समाप्त करने, ट्रांसजेंडर को सेना से, हमारे प्राथमिक विद्यालय और मध्य विद्यालय और उच्च विद्यालयों से बाहर करने के लिए अध्यादेशों पर हस्ताक्षर करूंगा।'
हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव पास कर चुकी है बिल
पिछले ही हफ्ते 14 जनवरी को अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव ने एक विधेयक पारित किया। इसमें उन स्कूलों को वित्त सहायता बंद करने की बात कही गई है है जो महिलाओं के खेलों में ट्रांसजेंडर छात्रों की भागीदारी की अनुमति देते हैं।
अमेरिकी सदन में विधेयक पारित करते हुए रिपब्लिकन नेताओं ने तर्क दिया कि इसका उद्देश्य निष्पक्षता को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि मकसद महिला छात्रों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करना है क्योंकि ट्रांसजेंडर एथलीट कद-काठी से ज्यादा मजबूत होते हैं।
महिलाओं के खेलों में ट्रांसजेंडर पर यह बहस नई नहीं है। पिछले ही साल के पेरिस ओलंपिक खेलों के दौरान इस पर खूब चर्चा हुई थी। बाद में ट्रंप ने चुनावी अभियान ने इसे भी मुद्दा बनाया और जो बाइडन प्रशासन की नीतियों की कड़ी आलोचना की।
अमेरिका में ट्रांसजेंडरों की बढ़ेगी मुश्किल!
कुछ आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में 13 लाख व्यस्क और तीन लाख युवकों (कुल 16 लाख) की पहचान ट्रांसजेंडर के तौर पर की गई है। ट्रंप अगर अमेरिका सेना में ट्रांसजेंडरों पर बैन लगाते हैं तो करीब 15 हजार लोग इससे बाहर निकल जाएंगे। इसके अलावा मिलिट्री में इनके शामिल होने पर भी प्रतिबंध लग जाएगा।
ट्रंप के स्टैंड को देखते हुए माना जा रहा है कि ट्रांसजेंडरों के लिए अब अगले कम से कम चार साल अमेरिका में गुजारना आसान नहीं होगा। ट्रांसजेंडरों के संगठन भी एक तरह से निष्क्रिय नजर आ सकते हैं। वहीं, पीबीएस न्यूज के अनुसार, दिसंबर में चुनावी नतीजों के बाद LGBTQ+ युवाओं की मानसिक स्वास्थ्य संकट संबंधी कॉल में 700 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
ट्रंप ने पिछले महीने अपने भाषण में कहा था कि स्थानीय स्कूलों में ट्रांसजेंडर मुद्दों के प्रति खुलापन विनाशकारी नीतियों का हिस्सा हैं और उन्हें समाप्त किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि ट्रंप ने अपने चुनावी कैंपेन के दौरान ट्रांसजेंडर विरोधी अभियान वाले विज्ञापनों पर करीब 65 करोड़ डॉलर खर्च किए थे। उन अभियानों में कहा गया था कि कमला हैरिस कैदियों और 'अवैध एलियंस' के लिए करदाताओं के पैसे से लिंग परिवर्तन का समर्थन करती है। इन अभियानों में कहा गया था, 'कमला उनके लिए हैं। राष्ट्रपति ट्रंप आपके लिए हैं।' साथ ही डेमोक्रेट्स पर बच्चों पर 'ट्रांसजेंडर को थोपने' का भी आरोप लगाया गया था।