पर्थ: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के कई देशों पर टैरिफ का ऐलान बुधवार को कर दिया। इस लिस्ट में कुछ सबसे दूरदराज के क्षेत्र और देश भी शामिल हैं, जिन पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया गया है। इन्हीं में से एक क्षेत्र अंटार्कटिका के पास स्थित बंजर, निर्जन ज्वालामुखी वाले द्वीपों का एक समूह भी शामिल हैं, जिस पर ट्रंप प्रशासन ने 10% टैरिफ लगाने की घोषणा की है।
ये जगहें हैं- हर्ड आइलैंड और मैकडॉनल्ड आइलैंड। ट्रंप का दावा है कि पूरी दुनिया में कई देशों पर लगाए गए टैरिफ का उद्देश्य अमेरिका में विनिर्माण को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा, 'हमारे देश को करीबी और दूर के देशों, मित्र और शत्रु दोनों ने लूटा है।'
बहरहाल, सवाल है कि ट्रंप ने आखिर हर्ड और मैकडोनाल्ड जैसे द्वीपों पर क्यों टैरिफ लगाया? इसके पीछे की वजह क्या है, जबकि यहां मानव रहते ही नहीं। पेंगविन और कुछ चिड़ियाओं का यह निवास स्थान जरूर है। आखिरी बार यहां इंसान के कदम को पड़े हुए करीब एक दशक से ज्यादा समय गुजर गया है। फिर यहां के लिए ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ क्यों लगाया?
हर्ड और मैकडोनाल्ड द्वीप क्या हैं?
द्वीपों का यह समूह दक्षिणी महासागर में स्थित है, जो अंटार्कटिका से लगभग 1,700 किमी और ऑस्ट्रेलिया के पर्थ से 4,100 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यूनेस्को के अनुसार ये एकमात्र ज्वालामुखीय रूप से सक्रिय उप-अंटार्कटिक द्वीप हैं। ये ऑस्ट्रेलिया के बाहरी क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इन द्वीप तक पहुँचना भी आसान नहीं है। अगल नाव से चला जाए तो पर्थ से वहां पहुंचने में दो सप्ताह का समय लग जाता है।
हर्ड द्वीप पर एक सक्रिय ज्वालामुखी है जिसे बिग बेन नाम दिया गया है। यह समुद्र तल से 2,745 मीटर ऊपर है और बड़े पैमाने पर बर्फ और ग्लेशियरों से ढका हुआ है। वहीं, मैकडॉनल्ड द्वीप बहुत छोटा है, जो यूनेस्को में शामिल होने के समय सिर्फ़ 100 हेक्टेयर में फैला हुआ था, और कई छोटी चट्टानों और टापुओं से घिरा हुआ है।
हर्ड और मैकडोनाल्ड द्वीप पर क्या इंसान रहते हैं?
यहां इंसान नहीं रहते। इस मामले में ये द्वीप पूरी तरह से निर्जन हैं। आखिरी बार मानव के कदम यहां लगभग एक दशक पहले पड़े थे। हालांकि, ये द्वीप समुद्री पक्षियों और कुछ स्तनधारी जानवरों के लिए एक महत्वपूर्ण निवास स्थान हैं। इसमें सील, पेट्रेल, अल्बाट्रॉस और पेंगुइन की आबादी शामिल है।
हर्ड और मैकडोनाल्ड द्वीप पर जाने के लिए किसी भी व्यक्ति को परमिट प्राप्त करना होता है। ऑस्ट्रेलियाई अंटार्कटिक कार्यक्रम के अनुसार हेलीकॉप्टर, इन्फ्लेटेबल रबर बोट (IRB) या बड़े जहाज से भी यहां लैंडिंग संभव है।
यहां पहली मानव यात्रा का रिकॉर्ड 1855 का मिलता है। इसके बाद से अब तक केवल 240 तट-आधारित यात्राएँ ही हुई हैं। वहीं, मैकडॉनल्ड द्वीप की बात करें तो यहाँ केवल दो बार (1971 और 1980 में) लैंडिंग दर्ज हुई है।
ट्रंप ने क्यों लगाया इन द्वीपों पर टैरिफ?
उप-अंटार्कटिक हिंद महासागर में स्थित इन ऑस्ट्रेलियाई क्षेत्र पर उसके सभी निर्यातों के लिए 10% टैरिफ लगाया गया है। ये द्वीप व्हाइट हाउस की उन देशों और क्षेत्रों की सूची में शामिल हैं, जिन पर नए व्यापार टैरिफ लगाए गए हैं। सवाल है क्यों?
एक्स पर एक पोस्ट में न्यू जर्सी के पूर्व सांसद टॉम मालिनोव्स्की ने चुटकी लेते हुए लिखा है, 'हर्ड आइलैंड और मैकडॉनल्ड पेंगुइन बहुत लंबे समय से हमारा फायदा उठा रहे हैं, अब समय आ गया है कि हम उनके सामने सख्ती से खड़े हों!'
वहीं, अमेरिकन इमिग्रेशन काउंसिल के एक वरिष्ठ फ़ेलो आरोन रीचलिन-मेलनिक ने एक्स पर लिखा, 'ऐसा लगता है जैसे व्हाइट हाउस के एक इंटर्न ने विकिपीडिया से देशों की सूची देखी और बिना किसी और शोध के बस उसी से यह सूची तैयार कर ली।'
The Heard and McDonald Islands are completely uninhabited. Population zero. I guess we're going to tariff the seagulls?
— Aaron Reichlin-Melnick (@ReichlinMelnick) April 2, 2025
It kind of feels like a White House intern went through Wikipedia's list of countries and just generated this list off of that with no further research. https://t.co/UpTgcICbg1
बहरहाल, अभी तक व्हाइट हाउस ने इस बात पर कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया है कि ट्रंप प्रशासन ने इन द्वीपों पर टैरिफ लगाने का फैसला क्यों किया। ऐसा लगता है कि उन्हें शामिल करने के पीछे केवल यही वजह है कि वे ऑस्ट्रेलियाई क्षेत्र में आते हैं।
ऑस्ट्रेलिया ने इस पर क्या कहा है?
इस कदम पर आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, 'पृथ्वी पर कहीं कोई भी सुरक्षित नहीं है।'
ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने कहा, 'नॉरफॉक (Norfolk) द्वीप पर 29% टैरिफ लगाया गया है। मैं इस बात को लेकर निश्चित नहीं हूं कि नॉरफॉक द्वीप अमेरिका की विशाल अर्थव्यवस्था के साथ व्यापार में कितना प्रतिस्पर्धी है, लेकिन यह सिर्फ इस तथ्य को दर्शाता है और इसका उदाहरण है कि पृथ्वी पर कोई भी देश इससे सुरक्षित नहीं है।'
उन्होंने आगे कहा, 'ट्रंप प्रशासन के टैरिफ का कोई तार्किक आधार नहीं है और वे हमारे दोनों देशों की साझेदारी के आधार के विरुद्ध हैं। यह किसी मित्र का काम नहीं है।' अल्बनीज ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया संयुक्त राज्य अमेरिका पर पारस्परिक टैरिफ नहीं लगाएगा।
अल्बनीज ने कहा, 'हम और नीचे की ओर जाने वाली दौड़ में शामिल नहीं होंगे, जिससे कीमतें बढ़ जाएँगी और विकास धीमा हो जाएगा।'