वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने देश में कर प्रणाली में आने वाले दिनों में कई अहम बदलाव का संकेत दिया है। इससे पहले ट्रंप ऐसे कई देशों पर काफी ज्यादा टैरिफ लगाने की बात कर चुके हैं, जिनसे कथित तौर पर अमेरिकी अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचता है।
डोनाल्ड ट्रंप ने एक नए आर्थिक मॉडल की ओर भी इशारा किया जिसमें अमेरिका अब ‘दूसरे देशों को समृद्ध करने के लिए अपने नागरिकों पर कर नहीं’ लगाएगा। इसके बजाय, ट्रंप ने प्रस्ताव दिया टैरिफ और कर दूसरे देशों को लक्ष्य कर निर्धारित किए जाएंगे, जिससे अमेरिकी नागरिकों और व्यवसायों को लाभ पहुंचेगा।
ट्रंप ने अमेरिकी परिवारों में डिस्पोजेबल आय को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अमेरिकी नागरिकों के लिए आयकर को खत्म करने का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने इस कदम को अमेरिका को ‘अमीर बनाने वाली प्रणाली’ को बहाल करने की दिशा में एक अहम कदम बताया। डिस्पोजेबल इनकम का मतलब वह राशि है जो टैक्स और अन्य सोशल सिक्योरिटी चार्ज आदि के बाद बचती है।
टैरिफ और टैक्स पर ट्रंप ने क्या कहा?
फ्लोरिडा में रिपब्लिकन सांसदों के बीच एक भाषण के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने उच्च टैरिफ लगाने वाले देशों का जिक्र किया। इसमें भारत और चीन के नाम भी उन्होंने लिए। ट्रंप ने कहा कि उनका प्रशासन उन देशों के खिलाफ कार्रवाई करेगा जो अमेरिका को ‘नुकसान’ पहुंचाते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी ‘अमेरिका फर्स्ट’ आर्थिक रणनीति की बात करते हुए कहा, ‘हम बाहरी देशों और बाहरी लोगों पर टैरिफ लगाने जा रहे हैं, जो वास्तव में हमें नुकसान पहुंचाते हैं।’
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका आने वाले दिनों में चीन और भारत सहित उन देशों पर टैरिफ लगाएगा जो ‘अमेरिकी वर्कफोर्स की कीमत पर लाभान्वित’ हो रहे हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ‘देखिए दूसरे क्या करते हैं। चीन एक जबरदस्त टैरिफ मेकर है, और भारत और ब्राजील और कई अन्य देश।’
ट्रंप ने कहा, ‘अमेरिका फर्स्ट मॉडल के तहत जैसे-जैसे अन्य देशों पर टैरिफ बढ़ेगा, अमेरिकी श्रमिकों और व्यवसायों पर कर कम होते जाएंगे।’
1870 से 1913 वाले दौर का जिक्र
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, ‘यह संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए उस प्रणाली में लौटने का समय है जिसने हमें पहले से कहीं अधिक अमीर और अधिक शक्तिशाली बनाया था…दूसरे देशों को समृद्ध करने के लिए अपने नागरिकों पर कर लगाने की बजाय, हमें अपने नागरिकों को समृद्ध करने के लिए दूसरे देशों पर कर लगाना चाहिए।’
ट्रंप ने तर्क दिया कि 1870 से 1913 तक की अवधि अमेरिकी इतिहास में सबसे समृद्ध थी, जब टैरिफ-आधारित आर्थिक प्रणाली लागू थी। उन्होंने कहा कि देश ने उस युग के दौरान आयात शुल्क के माध्यम से ‘भारी’ राजस्व प्राप्त किया था।
टैक्स में कमी से किसे होगा फायदा?
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप की कर नीतियां बड़े पैमाने पर कॉरपोरेशंस और अमीर अमेरिकियों के पक्ष में हैं। ट्रंप इस योजना पर आगे बढ़ते हुए कॉर्पोरेट आयकर दर को 21 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत करना चाहते हैं। इसे उन्होंने सोमवार को हाउस रिपब्लिकन में दिए भाषण के दौरान भी दोहराया।
इसके अतिरिक्त, ट्रंप का लक्ष्य सबसे अमीर अमेरिकियों पर डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से आयकर बढ़ोतरी के फैसले को उलटना भी है। इन परिवर्तनों के साथ-साथ ट्रंप कामकाजी और मध्यम वर्ग के अमेरिकियों को लाभ पहुंचाने वाले प्रस्तावों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसमें अर्जित टिप, सामाजिक सुरक्षा वेतन और ओवरटाइम वेतन को आयकर से छूट देने जैसी बातें शामिल हैं।
ट्रम्प ने भारी टैरिफ से बचने के लिए अमेरिकी कंपनियों को अपने विनिर्माण संयंत्रों को वापस अमेरिका में स्थानांतरित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। खासतौर पर फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर और स्टील जैसे उद्योगों के कारखाने अमेरिकी धरती पर लगाने के लिए ‘प्रोत्साहन’ देने की बात कही
ट्रंप ने कहा, ‘यदि आप करों या टैरिफ का भुगतान बंद करना चाहते हैं तो आपको यहीं अमेरिका में अपना संयंत्र बनाना होगा। यही रिकॉर्ड स्तर पर होने जा रहा है।’